नया बहुआयामी शक्तिशाली देश बने भारत

- डा. जयंतीलाल भंडारी
यकीनन इजरायल-ईरान युद्ध और ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत-पाक संघर्ष के परिणामों का विश्लेषण बताता है कि युद्ध में नई एआई तकनीक और आर्थिक ताकत की अहमियत दिखाई दी है और परमाणु हमले की धमकी बेअसर साबित हुई है। लेकिन अब पाकिस्तान के द्वारा चीन के सहयोग से परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल जैसे हथियार विकसित किए जाने के मद्देनजर भारत के लिए उन्नत परमाणु शक्ति संपन्न देश बनना भी जरूरी है। चूंकि शक्ति के माध्यम से ही शांति आती है और शक्ति से भविष्य के युद्ध भी रोके जा सकते हैं, अतएव भारत को हर मोर्चे पर शक्तिशाली बनाने के सपने को साकार करने के लिए देश के आसमान छूते वैज्ञानिक, तकनीकी विशेषज्ञ, उद्यमी-कारोबारी और और पूरे देश का जनबल एकजुटता से कदम आगे बढ़ाते हुए दिखाई दे रहा है।
गौरतलब है कि हाल ही में 24 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में सरकार ने आर्थिक और सामरिक क्षेत्र को मजबूत बनाया है। भारत ने आतंकवाद के प्रति कठोर नीति अपनाई है। ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने महज 22 मिनट में स्वदेशी हथियारों से दुश्मन को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। वस्तुत: ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने एआई के उपयोग से पाकिस्तान के लक्षित आतंकी ठिकानों को बर्बाद करके अभूतपूर्व मिसाल पेश की है। ऐसे में भारत दुनिया की आर्थिक शक्ति बनने, पाकिस्तान और चीन की सैन्य चुनौतियों से मुकाबले के लिए एआई तकनीकों और उन्नत परमाणु हथियारों के शक्ति संपन्न देश बनने की संभावनाओं को साकार कर सकता है। नि:संदेह भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था भारत को वैश्विक आर्थिक शक्ति बना सकती है।
यह कोई छोटी बात नहीं है कि पिछले दिनों दुनिया को हिलाने वाले इजराइल और ईरान के बीच भारत अपने बहुआयामी आर्थिक आधारों से युद्ध की आर्थिक चुनौतियों के बीच सक्षम बनकर मजबूती के साथ खड़ा रहा है। जहां इस युद्ध से दुनिया के कई देशों में पेट्रोल-डीजल के दाम में वृद्धि, व्यापार में कमी, खाद्यान्न सहित जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति में कमी और शेयर बाजार में गिरावट का परिदृश्य उभरकर दिखाई दिया, वहीं भारत इन सब मुश्किलों के मद्देनजर बेहतर स्थिति में बना रहा है। यह भी महत्वपूर्ण है कि आपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के साथ संघर्ष का भी भारत की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर नहीं गिरा। भारत का बड़ा घरेलू बाजार, निर्यात पर कम निर्भरता, सरकार के भारी पूंजीगत व्यय, बढ़ती क्रय शक्ति, मेक इन इंडिया और कृषि क्षेत्र में ऊंची सफलता ने देश को बाहरी आर्थिक झटकों को झेलने की मजबूत स्थिति में रखा है। युद्ध के दौर में भी भारत के निर्यात बढ़े हैं और भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में वृद्धि हुई है।


इतना ही नहीं, इजराइल-ईरान युद्ध से जहां दुनिया में महंगाई बढ़ी, वहीं भारत में महंगाई घटी रही। भारत की खुदरा महंगाई दर महज 2.82 प्रतिशत है और थोक महंगाई दर महज 0.39 फीसदी ही है। यह पिछले 14 महीनों का सबसे निचला स्तर है। जहां युद्ध की चुनौती के बीच दुनिया के कई देशों में खाद्यान्न की कमी से खाद्यान्न के मूल्य बढ़ गए, वहीं भारत खाद्यान्न के मोर्चे पर अत्यधिक मजबूत है। देश के खाद्यान्न भंडार में एक साल से भी अधिक की जरूरत आपूर्ति के गेहूं और चावल का पर्याप्त भंडार है। इतना ही नहीं हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा जारी फसल वर्ष 2024-25 के लिए कृषि उत्पादन के तीसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक इस वर्ष खाद्यान्न उत्पादन लगभग 6.5 फीसदी बढक़र 35.39 करोड़ टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। यह भी कोई छोटी बात नहीं है कि युद्ध के बीच भी भारत पर दुनिया का आर्थिक विश्वास बना रहा। भारत के निर्यात आदेश भी बढ़े। इस समय भारत के पास 699 अरब डॉलर से अधिक का विदेशी मुद्रा भंडार है।

भारत की विकास दर चालू वित्त वर्ष 2025-26 में 6.5 फीसदी रहेगी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की विश्व आर्थिक परिदृश्य से जुड़ी रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2025 में भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनते हुए दिखाई देगा। ऐसे में अब भारत को दुनिया की नई आर्थिक शक्ति बनाने के लिए कई बातों पर ध्यान देना होगा। चीन से आयात में कमी लाकर व्यापार घाटा नियंत्रित किया जाना होगा। चीन के साथ द्विपक्षीय कारोबार में भारत लगातार घाटे की स्थिति में बना हुआ है। पिछले वित्त वर्ष 2024-25 में चीन के साथ व्यापार घाटा बढक़र 99.2 अरब डॉलर हो गया, जो 2023-24 में 85.07 अरब डॉलर था। सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यम (एमएसएमई) तेज विकास व रोजगार के लिए एक कारगर हथियार बन सकते हैं। एमएसएमई निर्यात बढ़ाते हुए आयात नियंत्रित करके आर्थिक चिंता कम कर सकते हैं। देश से सेवा निर्यात (सर्विस एक्सपोर्ट) बढ़ाकर व्यापार घाटे में कमी लाई जा सकती है। आत्मनिर्भर भारत अभियान, मेक इन इंडिया, जीएसटी और लॉजिस्टिक सुधार के साथ-साथ आर्थिक और वित्तीय सुधार भारतीय अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ा सकते हैं। इस समय पूरी दुनिया में भारत सेवा निर्यात की डगर पर छलांगे लगाकर आगे बढ़ रहा है। भारत को सेवा निर्यात की नई वैश्विक राजधानी के रूप में रेखांकित किया जा रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत का सेवा निर्यात करीब 387.5 अरब डॉलर का रहा है।
अब भारत की नई वैश्विक व्यापार रणनीति के तहत नए मुक्त व्यापार समझौतों और द्विपक्षीय व्यापार समझौतों से व्यापार घाटे में कमी लाई जानी होगी। भारत के द्वारा ब्रिटेन के साथ किए गए मुक्त व्यापार समझौते के बाद अब अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के साथ-साथ मुक्त व्यापार समझौतों को 31 दिसंबर 2025 तक पूर्ण किए जाने के लक्ष्य की ओर तेजी से आगे बढऩा होगा। भारत के द्वारा ओमान, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, इजराइल, भारत गल्फ कंट्रीज काउंसिल सहित अन्य प्रमुख देशों के साथ भी एफटीए को शीघ्रता पूर्वक अंतिम रूप दिया जाना होगा। निश्चित रूप से इजरायल-ईरान युद्ध और ऑपरेशन सिंदूर का यह भी सबक है कि युद्ध सिर्फ आर्थिक ताकत और अत्याधुनिक एआई तकनीक के दम पर ही लड़े जाते हैं तथा परमाणु हमले की धमकी से युद्ध नहीं जीते जाते हैं। किन्तु इस समय पाकिस्तान और चीन की युद्ध चुनौतियों के मद्देनजर भारत के द्वारा परमाणु हथियारों को उन्नत किया जाना भी जरूरी है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक परमाणु हथियारों की संख्या में कमी का युग खत्म हो रहा है।

अब परमाणु हथियारों में वृद्धि और हथियार नियंत्रण समझौतों को छोडऩे की प्रवृत्ति दिख रही है। परमाणु हथियारों की बढ़ती संख्या, नए हथियारों का विकास और हथियार नियंत्रण की कमी एक नई हथियार दौड़ को जन्म दे रही है। दुनिया के नौ परमाणु शक्ति संपन्न देश अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इजराइल सभी अपने परमाणु हथियारों को और उन्नत करने में जुटे हैं। अमेरिका और रूस के पास दुनिया के करीब 90 प्रतिशत परमाणु हथियार हैं। चीन के पास करीब 600 परमाणु हथियार हैं। भारत के पास 180 और पाकिस्तान के पास 170 परमाणु हथियार हैं। 


यह बात भी महत्वपूर्ण है कि पाकिस्तान भारत के ऑपरेशन सिंदूर से बुरी तरह पराजित होकर चीन की मदद से अपने परमाणु हथियारों को उन्नत करने की कोशिश में जुट गया है, ऐसे में दो शत्रु देश चीन और पाकिस्तान के साथ होने से भारत के लिए एआई, साइबर तकनीक और मिसाइल रक्षा जैसी नई तकनीकों से उन्नत परमाणु शक्ति बनना जरूरी है। उम्मीद करें कि सरकार इजरायल-ईरान युद्ध और ऑपरेशन सिंदूर से भारत के लिए जो उम्मीदों भरे आर्थिक-सामरिक सबक निकले हैं, उनके मद्देनजर भारत को आर्थिक शक्ति, एआई की नई तकनीकों और उन्नत परमाणु शक्ति संपन्न देश बनाने के लिए रणनीति पूर्वक आगे बढ़ेगी। तभी भारत विकसित देशों की श्रेणी में आ पाएगा।

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