नेक्स्ट्रा बाय एयरटेल ने हरित ऊर्जा स्रोतों को बढ़ाया  

मेरठ : नेक्स्ट्रा बाय एयरटेल और एएमपीआईएन एनर्जी ट्रांज़िशनने अपनी साझेदारी को और मजबूत करते हुए 125.65मेगावॉट सोलर-विंड हाइब्रिड एनर्जीकी आपूर्ति के लिए एक नया पावर-व्हीलिंग समझौता किया है, जो इंटर-स्टेटट्रांसमिशन सिस्टम (आईएसटीएस) से जुड़े प्लांट्स के ज़रिए दी जाएगी। इस नई साझेदारीके साथ दोनों कंपनियों के बीच कुल रिन्यूएबल एनर्जी सहयोग 200 मेगावॉटके पार पहुँच चुका है। यह कदम नेक्स्ट्रा की इंफ्रास्ट्रक्चर एफिशिएंसी को बढ़ाएगा, डी-कार्बनाइजेशनको तेज़ करेगा और ऑपरेशनल एक्सीलेंस को मज़बूत करेगा — जिससे नेक्स्ट्रा भारत में सस्टेनेबलडेटा सेंटर सॉल्यूशंस का प्रमुख खिलाड़ी बना रहेगा।

 नेक्स्ट्रा बाय एयरटेल के सीईओ आशीष अरोड़ा ने कहा, “सस्टेनेबिलिटीसिर्फ एक वादा नहीं है — यह हमारी ज़िम्मेदारी है और नेतृत्व का अवसर भी।  एएमपीआईएन के साथ 200मेगावॉट से अधिक रिन्यूएबल एनर्जीसे अपने डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को पावर देकर हम इंडस्ट्री के लिए नए मानक स्थापितकर रहे हैं। यह उपलब्धि इस बात को दर्शाती है कि हम आईएसटीएस-बेस्ड क्लीन एनर्जी सेअपने डेटा सेंटर्स को सस्टेनेबली चला रहे हैं, जिससे भरोसेमंद सेवाएं मिलती हैं और जलवायु पर ठोस सकारात्मकप्रभाव पड़ता है। नेक्स्ट्रा में हमारा लक्ष्य इनोवेशन को बढ़ावा देना और बदलाव कीप्रेरणा देना है, ताकि हमारी सेवाएं न केवल भारत की डिजिटल ग्रोथ को बढ़ावादें, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्यावरण की रक्षा भी करें।” 

 यह अतिरिक्त क्षमता नेक्स्ट्रा को दो चरणों में दी जाएगी — पहली राजस्थान औरदूसरी कर्नाटक में कैप्टिव सोलर-विंड पावर प्रोजेक्ट्स के माध्यम से।  एएमपीआईएन पहले से उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्रऔर ओडिशा में इन्ट्रा-स्टेट ओपन एक्सेस के ज़रिए नेक्स्ट्रा को सोलर पावर सप्लाई कररहा है। इस नए समझौते के तहत,एएमपीआईएन अब 11और राज्यों में विस्तार करेगा औरसाथ ही बड़े पैमाने पर आईएसटीएस रिन्यूएबल एनर्जी सप्लाई और एकल इंडिपेंडेंट पावर प्रोड्यूसर(आईपीपी) से ग्रीन एनर्जी की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करेगा। 

 एएमपीआईएन की स्केलेबल और सस्टेनेबल एनर्जी सॉल्यूशंस प्रदान करने की नेतृत्वक्षमता इस बात का उदाहरण है कि वह कैसे तकनीकी और भौगोलिक विविधताओं के बीच दीर्घकालिकग्राहक संबंध बनाता है। दोनों कंपनियों का उद्देश्य है यह दिखाना कि किस तरह बड़े स्तरकी हरित ऊर्जा साझेदारियां पूरी प्रणाली की एफिशिएंसी और डी-कार्बनाइजेशन को तेज़ करसकती हैं।


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