सीसीएसयू में गुरू पूर्णिमा पर्व धूमधाम से मनाया गया
प्रो. चतुर्वेदी को मिला शिष्यों का प्यार भरा सम्मान, बने जीवन को दिशा देने वाले मार्गदर्शक
मेरठ। चौधरी चरण सिंह विवि में गुरु पूर्णिमा का पर्व ‘गुरु दर्शन’ कार्यक्रम के साथ धूमधाम से मनाया गया। इतिहास विभाग के बंदा बैरागी हॉल में राजनीति विज्ञान विभाग के पूर्व छात्रों ने अपने प्रिय गुरु प्रो. एस.के. चतुर्वेदी के सम्मान में भव्य समारोह आयोजित किया। माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम शुरू हुआ, जिसमें प्रो. चतुर्वेदी, विभागाध्यक्ष प्रो. संजीव कुमार शर्मा, डॉ. स्नेहवीर पुंडीर, डॉ. कुलदीप उज्ज्वल सहित कई शिक्षकों ने हिस्सा लिया।
पूर्व छात्रों ने प्रो. चतुर्वेदी को स्मृति चिन्ह और शॉल भेंट कर अपनी कृतज्ञता और स्नेह प्रकट किया। यह भावुक क्षण सभागार में उपस्थित हर शख्स के दिल को छू गया। डॉ. स्नेहवीर पुंडीर ने संचालन करते हुए अपने स्वागत भाषण में सर के मार्गदर्शन को जीवन का आधार बताया और उनकी प्रेरणा को अविस्मरणीय कहा।
मंच पर आत्मविश्वास की सीख
डॉ. पुंडीर ने साझा किया कि मंच पर बोलने का डर दूर करने में प्रो. चतुर्वेदी का योगदान अतुलनीय रहा। उनकी शिक्षण शैली ने न सिर्फ किताबी ज्ञान दिया, बल्कि आत्मविश्वास और व्यक्तित्व को निखारा। उन्होंने बताया कि सर की प्रेरणा ने उन्हें वाद-विवाद और सार्वजनिक मंचों पर बोलने की कला सिखाई।
सफलता का श्रेय गुरु को
डॉ. प्रतीत कुमार ने भावुक होकर कहा कि उनकी हर उपलब्धि के पीछे प्रो. चतुर्वेदी का मार्गदर्शन है। उन्होंने सर की शिक्षाओं को जीवन का आधार बताते हुए सभी से गुरुओं के प्रति कृतज्ञता बनाए रखने की अपील की। डॉ. कुलदीप उज्ज्वल ने भी सर को आदर्श शिक्षक और प्रेरणास्रोत बताया।
जीवन को दिशा देने वाला मार्गदर्शन
डॉ. योगेन्द्र विकल ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि छात्र जीवन की दुविधाओं में प्रो. चतुर्वेदी ने उन्हें सही रास्ता दिखाया। उनकी अनुशासित शैली और स्नेह ने उनके जीवन को गहराई से प्रभावित किया। ड
साक्षात्कार का निर्णायक क्षण
डॉ. सरोहा ने बताया कि उनके उच्च शिक्षा साक्षात्कार में प्रो. चतुर्वेदी का मार्गदर्शन उनके करियर का टर्निंग पॉइंट था। उनकी विद्वत्ता और नैतिक समर्थन ने उन्हें आज इस मुकाम तक पहुँचाया। उन्होंने सर को अपने जीवन का प्रेरणास्रोत बताया।
गुरु की अमरता का मंत्र
प्रो. चतुर्वेदी ने अपने उद्बोधन में कहा, “सच्चा शिक्षक अपने विचारों और शिक्षाओं में अमर रहता है।” गुरु द्रोणाचार्य का उदाहरण देते हुए उन्होंने शिष्यों से सत्य, निष्ठा और सेवा के मूल्यों को अपनाने का आग्रह किया। प्रो. संजीव शर्मा ने सर को एक संस्था बताते हुए उनकी बौद्धिक समृद्धि और समर्पण की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि सर ने विभाग को नई ऊँचाइयाँ दीं।
यादगार और भावपूर्ण समापन
कार्यक्रम का समापन डॉ. पुंडीर के धन्यवाद ज्ञापन और सांझ की चाय के साथ हुआ। पूर्व छात्रों और शिक्षाविदों की उपस्थिति ने इस आयोजन को यादगार बनाया। यह कार्यक्रम गुरु-शिष्य परंपरा का उत्सव और एक आत्मीय पुनर्मिलन बनकर सभी के दिलों में बस गया।
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