कांवड़ यात्रा में टोल बंद, टोल कंपनियों को चार करोड़ का नुकसान

 मेरठ। सावन मास में चल रही कांवड़ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुचारु यातायात व्यवस्था को प्राथमिकता देते हुए टोल प्रशासन ने 19 जुलाई से 22 जुलाई तक कई टोल प्लाजाओं पर टोल वसूली बंद रखी। इस निर्णय से जहां कांवड़ियों और यात्रियों को राहत मिली, वहीं टोल कंपनियों को भारी आर्थिक झटका लगा।  अप वेस्टर्न टोल प्लाजा सिवाया  को लगभग दो करोड़ रुपए का नुकसान हुआ, जबकि काशी टोल प्लाजा को भी लगभग दो करोड़ रुपए का घाटा झेलना पड़ा। कुल मिलाकर टोल कंपनियों को चार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

चार दिनों में चार करोड़ का नुकसान

टोल कंपनी के आंकड़ों के मुताबिक, सामान्य दिनों में सिवाया टोल प्लाजा पर प्रतिदिन औसतन 45 से 50 लाख रुपए की वसूली होती है। इसी तरह परतापुर काशी टोल प्लाजा पर भी औसतन 40 से 45 लाख रुपए प्रतिदिन वसूले जाते हैं। चार दिनों में टोल बंद रहने से मेरठ क्षेत्र में दो करोड़ और काशी टोल प्लाजा को दो करोड़ रुपए का घाटा हुआ।

कंपनियों ने जताई चिंता

वेस्टर्न यूपी टोल प्लाजा कंपनी के प्रबंधक अनुज सोम ने कहा हम हर साल सावन मास में कंपनी के शीर्ष प्रबंधन के निर्देशों का पालन करते हैं। धार्मिक भावनाओं का सम्मान हमारी पहली प्राथमिकता है, लेकिन आर्थिक रूप से हमें बड़ा नुकसान होता है। सरकार को इस अवधि में टोल कंपनियों के लिए मुआवजा नीति पर विचार करना चाहिए।

काशी टोल प्लाजा के वरिष्ठ प्रबंधक अवनीश चौहान ने बताया कि चार दिनों में लगभग दो करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। यहां से  गुजरने वाले वाहनों की संख्या कांवड़ यात्रा के कारण काफी कम हो गई थी।

टोल बंद रहने से यात्रियों को राहत की सांस ली दिल्ली-देहरादून हाईवे, मेरठ-हरिद्वार मार्ग और दिल्ली मेरठ मार्ग से गुजरने वाले हजारों निजी वाहन मालिकों और ट्रांसपोर्टरों को राहत मिली।

कांवड़ियों की भीड़ बनी वजह

चार दिनों में दौराला, मोदीपुरम, मुजफ्फरनगर और परतापुर के मार्गों पर लाखों कांवड़ियों की भीड़ उमड़ी। प्रशासन का दावा है कि टोल बंद रहने से यातायात व्यवस्था नियंत्रित रही और दुर्घटनाओं की आशंका न्यूनतम रही।


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