संयोग! 68 किमी ऊपर तो 14 किमी जमीन के नीचे दौड़ेगी रैपिड 

 68 किमी ही यूपी तो 14 किमी दिल्ली की सीमा में चलेगी ट्रेन

 दिल्ली से मेरठ के बीच 2890 पिलर उठाएंगे रैपिड का बोझ

तैयारियां अब बिल्कुल अंतिम चरणों में, ट्रेन संचालन को कभी भी मिल सकती है हरी झंडी 

मेरठ। 5 साल पहले बुना गया रैपिड संचालन का सपना अब धरातल पर साकार होने को तैयार है। पूरे 82.15 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर पर ट्रायल रन सफलता के साथ किए जा रहे हैं। इस पूरे कॉरीडोर की खास बात यह कि 82.15 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर पर रैपिड ट्रेन 68.3 किलोमीटर के हिस्से पर जमीन के ऊपर (एलिवेटेड) तो 14.12 किलोमीटर के हिस्से में ज़मीन के नीचे (अंडर ग्राउंड) दौड़ेगी। 



यह भी एक संयोग होगा कि रैपिड 68 किलोमीटर उत्तर प्रदेश में तो 14 किलोमीटर दिल्ली में दौड़ेगी। उधर दिल्ली (सराय काले खां) से मेरठ (मोदीपुरम डिपो) के बीच रैपिड का बोझ कुल 2890 पिलर्स उठाएंगे। यानि कि इन पिलर्स पर रैपिड एलिवेटेड दौड़ेगी। 14 किलोमीटर का हिस्सा भूमिगत (अंडर ग्राउंड) है। यानि कि इतने हिस्से में रैपिड सुरंगों में होकर गुजरेगी। अंडर ग्राउंड ट्रेन संचालन के लिए मेरठ शहर के पुराने हिस्से में बनाई गईं सुरंगे एनसीआरटीसी की आधुनिक  तकनीक का कमाल कही जा सकती हैं। पुराना शहर होने के कारण यहां सुरंगे बनाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा था लेकिन एनसीआरटीसी ने चैलेंज एक्सेप्ट किया और तकनीक के बल पर यह जंग भी जीत ली।

 प्रदूषण भी घटाएगी रैपिड रेल 

 प्रदूषण को कम करने में भी यह रेल सहायक सिद्ध होगी। यह रेल हर साल लगभग ढाई लाख टन कार्बन उत्सर्जन घटाएगी। पूरे कॉरीडोर पर संचालन के साथ ही  एनसीआर की सड़कों से लगभग 1 लाख वाहनों का दबाव कम हो जाएगा। यह वह वाहन होंगे जिनके यात्री अपने वाहन छोड़ रैपिड से सफर करेंगे। इस कॉरिडोर के यात्रियों के लिए ऑटोमेटिक फेयर कलेक्शन सिस्टम भी बेहद खास है। 

. एक कोच  प्रीमियम बिजनेस क्लास भी 

 छह कोच वाली रैपिड ट्रेन में जहां एक कोच महिलाओं के लिए आरक्षित है वहीं प्रीमियम बिजनेस क्लास के लिए भी एक कोच आरक्षित किया गया है। हालांकि इस कोच का किराया सामान्य कोच से अधिक है लेकिन सुविधाएं भी अतिरिक्त और लग्जरी हैं। सूत्रों के अनुसार भीड़ बढ़ने पर रैपिड ट्रेन छह की जगह 9 कोच की हो सकती है।


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