तुम आना तो
तुम आना तो मुस्कान लेकर आना
मन में कोई दुविधा को मत लाना
आ रही हो अजीज से मिलने तो
निज अभिमान को छोड़ देना
जाति-धर्म के बंधन को तोड़ देना
कुछ पल हृदय के भार को हटा लेना
मन में थोड़ी साहस जुटा लेना
तज देना सुंदरता की असीम भार को
बोली-भाषा कुरूपता की दरार को
लज्जा रखना आँखों में,
और अपने होठों पे मुस्कान
स्वतंत्रता की पल्लू ओढ़े,
मस्तक को रखना ऊँची तान
खुशियों से लबरेज,उत्सुकता विचारों में
बरसों बाद मेल की,सलीका हो व्यवहारों में
मोड़ आना रास्ते अपने,छोड़ कुछ पल रीत
सालों के बिछड़े यार के,हृदय लेने को जीत
तुम आना तो बेधड़क होकर आना
दबे पाँव दरवाजे मत खटखटाना
रखना मुझ पर भी थोड़ा विश्वास
संसार के वचनों को तज और संत्रास ।।
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- चन्द्रकांत खुंटे 'क्रांति'
जांजगीर-चाम्पा (छत्तीसगढ़)
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