आलोचना से कभी न डरें क्योंकि आलोचना ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है प्रोफेसर जमाल अहमद सिद्दीकी 

मेरठ। शुक्रवार को चौधरी चरण सिंह विवि के उर्दू विभाग में डॉ. इरशाद स्यानवी और उज्मा सहर की पुस्तकों का लोकार्पण किया गया ।कार्यक्रम की शुरुआत कुरान शरीफ की तिलावत से मुहम्मद नदीम ने की। इसके बाद साजिद रब्बानी ने नात पेश की और अतिथियों का स्वागत फूलों से किया गया। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी ने की। ताहिर अली सैफी जिलाध्यक्ष समाजवादी पार्टी बुलंदशहर,सरधना के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. मुहम्मद आदिल प्रसिद्ध चिकित्सक, सरधना,विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। स्वागत भाषण डॉ. शादाब अलीम ने, संचालन डॉ. आसिफअली ने और आभार डॉ अलका वशिष्ठ ने किया। इस दौरान डॉ इरशाद स्यानवी की नई आलोचनात्मक पुस्तक कथा आलोचना: परंपरा और समकालीन परिदृश्य और उर्दू विभाग की शोध छात्रा उज़मा सहर द्वारा संकलित पुस्तक सैयद अहमद शमीम: साहित्य की विश्वसनीयता का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया।समारोह में मुख्य अतिथि प्रोफेसर जमाल अहमद सिद्दीकी पुस्तकालय अध्यक्ष, सीसीएसयू ने बताया कि पुस्तक लिखना कोई आसान काम नहीं है। पुस्तक लिखने के दो उद्देश्य होते हैं। एक तो अपना विकास, यानी पुस्तक का लेखक अपना स्कोर बढ़ाना चाहता है और दूसरा समाज के लिए, जो इसे पढ़कर आगे बढ़ सके और यह प्रक्रिया किसी भी लेखक के लिए शिखर होती है। दोनों लेखकों को बधाई, खासकर उज्मा सहर को। क्योंकि वह अभी भी एक शोधार्थी हैं और उन्होंने बहुत अच्छा काम किया है। एक और बात मैं कहना चाहूंगा कि आलोचना से कभी न डरें क्योंकि आलोचना ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है। साथ ही मैं यह भी कहना चाहूंगा कि यह सफर रुकना नहीं चाहिए। विभाग की शोध छात्रा सैयदा मरियम इलाही ने कथा आलोचना: परंपरा और समकालीन परिदृश्य और डॉ नवीद खान ने सैयद अहमद शमीम: साहित्य की विश्वसनीयता पर टिप्पणियां प्रस्तुत कीं। इस अवसर पर डॉ ईश्वर चंद गंभीर ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अंत में अपने अध्यक्षीय भाषण में विमोचित पुस्तकों पर अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी ने कहा कि डॉ इरशाद स्यानवी की किताब का अपना अलग मुकाम है। साथ ही यह भी कहा जा सकता है कि 21वीं सदी में लिखे जा रहे उपन्यासों की दिशा और गति तथा उसकी बारीकियों को समझने के लिए किताब को पढ़ना अपरिहार्य है। आधुनिक कथा आलोचना में इस किताब का महत्व है।कार्यक्रम में डॉ. शबिस्तान आस मुहम्मद, नुज़हत अख्तर, ताहिरा परवीन, फैजान ज़फर, जाहिद मिर्ज़ा जाहिद, मुईनुद्दीन, आरिफ खटोलवी, डॉ. मसीह-उल-ज़मां, हाजी मुहम्मद इरफ़ान, मुहम्मद रियाज़ुद्दीन, मुहम्मद यूनुस, मुहम्मद इदरीस, हाजी आफ़ताब, समर अहमद, मुहम्मद मोहसिन, मुहम्मद कैफ़, लाइबा, शिफ़ा, उमयदीन शाहर और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ उपस्थित थे।


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