प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  दिया लैब टू लैंड मंत्र 

-- 29 मई से देश के 700 से ज्यादा जिलों में चलेगा विकसित कृषि संकल्प अभियान

मोदीपुरम। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तत्वाधान में पूरे देश में  विकसित कृषि संकल्प अभियान चलाया जाएगा। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि यह अभियान 700 से ज्यादा जिलों में 29 मई से प्रारंभ होकर 12 जून तक चलेगा। इस दौरान कृषि वैज्ञानिक एवं मंत्रालय के अधिकारी-कर्मचारी, स्थानीय कृषिकर्मियों के साथ टीम बनाकर प्रतिदिन अलग-अलग गांवों में पहुंचकर किसानों से सीधे संवाद करेंगे और उन्हें खेती-किसानी के संबंध में अपने स्तर पर जागरूक करेंगे। बताया गया है कि यह अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लैब टू लैंड  मंत्र को साकार करने के लिए चलाया जा रहा है। आधुनिक व आदर्श खेती के साथ ही, यह एक देश, एक कृषि है।

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस संबंध में  एक उच्चस्तरीय बैठक भी दिल्ली में आयोजित की, जिसमें देशभर के 731 कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के साथ ही देशभर में फैले आईसीएआर के 100 से अधिक संस्थानों तथा कृषि विज्ञान से जुड़े अन्य संस्थानों के साथ ही केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी हाईब्रिड मोड में शामिल हुए। बैठक में केंद्रीय कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी तथा आईसीएआर के महानिदेशक डा. एम.एल. जाट भी उपस्थित रहे।

शिवराज सिंह ने कहा कि इस रचनात्मक व महत्वाकांक्षी अभियान का मकसद है कि हमारी खेती उन्नत-विकसित हो और हमारे किसानों को इसका सीधा फायदा मिलें। पूरे अभियान के दौरान उन्नत तकनीकों, नई किस्मों व सरकारी योजनाओं के बारे में किसानों के बीच जागरूकता का प्रसार किया जाएगा, साथ ही प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना भी उद्देश्य है। अभियान में चार-चार वैज्ञानिकों की टीमें, किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड में सुझाई गई विभिन्न फसलों में संतुलित खादों के प्रयोग के लिए जागरूक व शिक्षित करेगी। केवीके, आईसीएआर के संस्थानों व इफको आदि द्वारा कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकी के उपयोग का प्रदर्शन भी किया जाएगा।  धान की सीधी बुवाई फसल विविधीकरण, सोयाबीन की फसल में मशीनीकरण जैसी उन्नत तकनीकों का प्रसार भी केवीके के विशेषज्ञ करेंगे। टीमों में राज्य कृषि, बागवानी, पशुपालन, मत्स्यपालन विभागों, आत्मा के अधिकारी, राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली से जुड़े पौध संरक्षण अधिकारियों के साथ प्रगतिशील किसान, कृषि उद्यमी, एफपीओध एफआईजीध्स्वयं सहायता समूहों के सदस्य भी शामिल होंगे।

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