नैतिक मूल्यों के उत्थान में शिक्षा एवं शिक्षक की भूमिका
- प्रशान्त चौधरी
शिक्षा तथा शिक्षक दोनों ही छात्रों में नैतिक मूल्यों, सांस्कृतिक मूल्यों और मानदंडों को स्थापित करके उन्हें समाज से जोड़ते हैं तथा उन्हें एक सर्वश्रेष्ट नागरिक एवं समाज का उत्पादक सदस्य बनने के लिए आवश्यक जीवन कौशलों से सुसज्जित करते हैं। शिक्षा का अभिप्राय केवल छात्रों को प्रदान किये जाने वाले किताबी ज्ञान से नहीं है अपितु छात्रों के चारित्रिक विकास नैतिक विकास, कौशल विकास एवं समाज के प्रति ज्ञान से है, जिसमें शिक्षक की भूमिका अहम होती है। शिक्षक द्वारा छात्रों को विषय ज्ञान के साथ साथ व्यावहारिक ज्ञान नैतिक मूल्यों नेतृत्व क्षमता और सकारात्मक दृष्टिकोण का ज्ञान देना चाहिए। शिक्षा और शिक्षक दोनों सजग प्रहरी के रूप में छात्रों में राष्ट्रभावना, नैतिक विकास समाज एवं देश के प्रति समर्पण की भावना एवं उनके चारित्रिक विकास में वृद्धि कर भारतीय संस्कृति के संरक्षण में अपना उत्कृष्ट एवं महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करते हैं।
नैतिक मूल्यों में आई गिरावट का ही कारण है कि देश के पढ़े लिखे युवा भ्रष्टाचार चरित्रहीनता, नशे की लत में पड़कर न केवल स्वयं के लिए अपितु पूरे समाज एवं देश के लिए खतरा बन जाते हैं। प्रतिदिन समाचार पत्रों में प्रकाशित लूट, बलात्कार, हत्या इत्यादि घटनाएं इस ओर इंगित करती हैं कि युवाओं द्वारा प्राप्त शिक्षा में नैतिक एवं सामाजिक ज्ञान तथा चारित्रिक ज्ञान का अभाव रहा है। शिक्षक का प्रथम कर्तव्य एवं उद्देश्य छात्रों के नैतिक एवं सामाजिक मूल्यों में वृद्धि कर उनका चारित्रिक विकास कर देश के सर्वश्रेष्ट नागरिकों का निर्माण करना है।
"विद्यास्ति ज्ञानविज्ञानदर्शनः संस्कृियात्मनि " अर्थात् शिक्षा का लक्ष्य ज्ञान विज्ञान एवं दर्शन से आत्मा में एक प्रकार का संस्कार उत्पन्न करना है। लेकिन बड़े खेद का विषय है कि अच्छे अंक प्राप्त करने वाले युवा नैतिक एवं चारित्रिक ज्ञान के अभाव में अपने राष्ट्र निर्माण अच्छे नागरिक बनने के पथ से दिग्भ्रमित होकर लूट, हत्या, बलात्कार जैसी समाज एवं देश को कलंकित तथा शर्मसार करने वाली घटनाओं को अंजाम देते हैं यह नैतिक मूल्यों में पतन एवं चारित्रिक विकास का अभाव ही है।
विद्यालय में शिक्षकों एवं घर पर अभिभावकों का मूल कर्तव्य एवं उद्देश्य छात्रों के नैतिक मूल्यों में वृद्धि करना उनका चारित्रिक विकास करना, सामाजिकता का ज्ञान प्रदान करना तथा पारिवारिक संस्कार प्रदान करना है, जिससे छात्र अनुशासित ढंग से ज्ञानार्जन कर राष्ट्र के निर्माण में एक अच्छा नागरिक बनकर अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान कर सके।
देश को अच्छे वैज्ञानिकों, डॉक्टरों इंजीनियरों आदि के साथ-साथ सर्वप्रथम राष्ट्र के निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले देश के सर्वश्रेष्ट नागरिकों का निर्माण करना शिक्षा एवं शिक्षक दोनों का सर्वोपरि उद्देश्य एवं लक्ष्य है।
(उपप्रधानाचार्य, राजकीय इंटर कॉलेज, मेरठ)
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