कागज पर सीमित प्लास्टिक बंदी, शहर में धड़ल्ले से प्लास्टिक बैग का उपयोग

दुकानों ,फल वालों व आदि स्थानों पर हो रहा प्रतिबंधित प्लास्टिक की पन्नी का प्रयोग 

 पूरी तरह प्रतिंबध न होने से शहर के नाले हो रहे चॉ़क 

मेरठ।  प्लास्टिक का विघटन जल्द नहीं होने के कारण पर्यावरण के लिए हमेशा ही खतरा बना हुआ है़ परिणामवश राज्य सरकार ने 1 जुलाई 2022 से सिंगल यूज प्लास्टिक का उत्पादन, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री तथा उपयोग पर पाबंदी लगाई है़ नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए है़ किंतु, धड़ल्ले से प्लास्टिक बैग का उपयोग होते दिखाई दे रहा है़ कार्रवाई का कोई अता पता नहीं होने से प्लास्टिक बंदी कागजातों पर ही सीमित रह गई है। दुकानों पर फल वालों पर आदि स्थानों पर प्लास्टिक की पन्नी को आसानी से देखा जा सकता है। दिखावे के लिए नगर निगम द्वारा कार्रवाई जरूर की जाती है। 

केंद्र सरकार के 12 अगस्त 2021 के अध्यादेश के अनुसार सिंगल यूज प्लास्टिक पर 1 जुलाई 2022 से पूर्णत: पाबंदी लगाई गई है. इस बारे में  नगर निगम ने सार्वजनिक जगहों पर बैनर्स लगाने के निर्देश दिए थे।   जिन प्लास्टिक वस्तुओं का एक बार उपयोग कर फेंकना पड़ता है, उसे सिंगल यूज प्लास्टिक कहते है़ उपयोग के बाद प्लास्टिक निरुपयोगी होने से विघटन नहीं होता।प्लास्टिक का रिसायकलिंग भी करना संभव नहीं है़ शुरुआत में नगर निगम  ने शहर में प्लास्टिक बंदी के बैनर भी लगाएं थे।  लेकिन इसके बाद शहर में प्लास्टिक पाबंदी के निर्देशों पर पूर्णत: अनदेखी हुई हैद्ध  50 मायक्रान से कम मोटे प्लास्टिक का धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है़ सब्जी, फल, खाद्य पदार्थों के ठेले तथा दूकानों में भी प्लास्टिक का उपयोग हो रहा है। इसमें अन्य प्रतिबंधित प्लास्टिक वस्तुओं का भी समावेश है। 



आइस्क्रिम खाने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले प्लास्टिक के चम्मच, प्लेट्स, चाय व पानी पीने के कप, ग्लासेस, काटे, चम्मच, चाकू, स्ट्रा, ट्रे आदि 100 मायक्रान से कम प्लास्टिक अथवा पीवीसी बैनर कचरा व नर्सरी के लिए उपयोग में लाई जाने वाली थैलियां छोड़कर, सभी कम्पोस्टेबल प्लास्टिक की थैलियां, डिश बाऊल, कंटेनर, सजावटी प्लास्टीक व पॉलिस्टीरिन थर्माकोल, मिठाई, निमंत्रण पत्रिका, सिगरेट पैकेट के उपर का प्लास्टिक आवरण, प्लास्टिक के झंडों का समावेश है़  पैकेजिंग के लिए 50 माइक्रान से मोटी प्लास्टिक का उपयोग करना अनिवार्य है। 

 प्लास्टिक से अटे नाले व नालिया 

 प्रतिबंधित होने के बाद प्लास्टिक की पन्नी का धडल्ले से प्रयोग होने के कारण शहर के सभी नाले अधिकतर प्लास्टिक के सामान से भरे पड़े है। निगम हर साल कराेड़ रूपये खर्च करता है। लेकिन स्थिति ज्यू की त्यू बनी हुई है। 

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