मेडिकल में शीहान सिंड्रोम से मरीज का सफल उपचार
खून की कमी व लो ब्लड प्रेशर से जूझ रहा था मरीज
मेरठ। मेडिकल कॉलेज मेरठ के मेडिसिन विभाग में शीहान सिंड्रोम से पीड़ित एक मरीज का सफल उपचार किया गया। महिला पिछले चार साल से खून की कमी व ब्लड प्रेशर की बीमारी से जूझ रही थी। विशेषज्ञ चिकित्सको ने उनकी सभी जाँचो के साथ विस्तृत जानकारी प्राप्त की तदोपरांत संज्ञान में आया कि उनकी डिलीवरी के दौरान भारी रक्तस्राव हुआ था, जिसके बाद उनकी समस्याएँ शुरू हुईं।शीहान सिंड्रोम सफल उपचार से महिला अब पूरी तरह स्वस्थ्य है।
मरीज़ गीता निवासी मेरठ पिछले क़रीब चार वर्षों से खून की कमी और लो ब्लड प्रेशर की बीमारी से जूझ रही थी। मरीज़ ने कई बार प्राइवेट चिकित्सालय में संपर्क किया परंतु कई बार दिखाने और इलाज कराने के बावजूद उनकी असली बीमारी का पता नहीं चल पा रहा था। हर जगह उन्हें “सिर्फ खून की कमी” बताकर अस्थायी राहत दे दी जाती थी। तत्पश्चात् मरीज़ ने मेडिकल कॉलेज मेरठ के मेडिसिन विभाग की ओ पी डी में विशेषज्ञ चिकित्सको डॉ. आभा गुप्ता व डॉ. एस.के.के. मलिक से संपर्क किया। विशेषज्ञ चिकित्सको ने उनकी सभी जाँचो के साथ विस्तृत जानकारी प्राप्त की तदोपरांत संज्ञान में आया कि उनकी डिलीवरी के दौरान भारी रक्तस्राव हुआ था, जिसके बाद उनकी समस्याएँ शुरू हुईं।क्लीनिकल लक्षणों और हार्मोनल जांचों के आधार पर उन्हें शीहान सिंड्रोम (Sheehan’s Syndrome) से ग्रसित पाया गया। शीहान सिंड्रोम एक दुर्लभ लेकिन गंभीर स्थिति है जिसमें प्रसवोत्तर रक्तस्राव (पीपीएच) के कारण पिट्यूटरी ग्रंथि की रक्त आपूर्ति बाधित हो जाती है, जिससे ग्रंथि की कार्यक्षमता प्रभावित होती है। यह स्थिति महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन और विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है।
लक्षण और संकेत:
हार्मोनल कमी के कारण मासिक धर्म की अनुपस्थिति (अमेनोरिया)
थायराइड हार्मोन की कमी के लक्षण, जैसे कि थकान, वजन बढ़ना और बालों का झड़ना
एड्रीनल इन्सफिशिएंसी के लक्षण, जैसे कि कम रक्तचाप और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन।
कारण और जोखिम कारक:
प्रसवोत्तर रक्तस्राव (पीपीएच)
छोटी सेला टर्सिका
पिट्यूटरी ग्रंथि की रक्त आपूर्ति में कमी
निदान और उपचार:
एंडोक्राइन परीक्षण और एमआरआई जैसे इमेजिंग परीक्षणों के माध्यम से निदान किया जा सकता है
उपचार में आमतौर पर हार्मोन प्रतिस्थापन थेरेपी शामिल होती है, जिसमें थायराइड, एड्रीनल और अन्य हार्मोन की कमी को पूरा करने के लिए दवाएं दी जाती हैं
महत्व और रोकथाम:
शीहान सिंड्रोम को रोकने के लिए प्रसवोत्तर रक्तस्राव का उचित प्रबंधन करना आवश्यक है।
समय पर निदान और उपचार से महिलाओं के स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
डॉ आभा गुप्ता ने बताया कि यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें प्रसव के बाद पिट्यूटरी ग्रंथि का कार्य बाधित हो जाता है, जिससे शरीर में जरूरी हार्मोन नहीं बन पाते।
मरीज़ के इलाज में हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरपी को शुरू किया गया। जिसके शुरू करने के कुछ ही हफ्तों में गीता की हालत में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला। अब उनका ब्लड प्रेशर सामान्य है, थकान में कमी है और बार बार खून कम होनी की समस्या का भी निदान हुआ है ।
डॉ एस के के मालिक ने बताया कि यह केस हमें यह समझाता है कि एक गहराई से लिया गया मेडिकल जानकारी और सही डायग्नोसिस कैसे किसी मरीज की ज़िंदगी बदल सकता है। शीहान सिंड्रोम जैसे रोग भारत में अभी भी अंडरडायग्नोज्ड हैं और इस तरह की कहानियाँ आम जनता और चिकित्सा समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश देती हैं।मेडिकल कॉलेज मेरठ के प्राचार्य डॉ आर सी गुप्ता ने इस उपलब्धि हेतु मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ आभा गुप्ता व डॉ. एस.के.के. मलिक तथा उनकी टीम को शुभकामनाएँ दी।
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