हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर काव्य संगोष्ठी एवं ’’साहित्य सम्मान समारोह’’ का शानदार आयोजन
--लोकतन्त्र के चौथे स्तम्भ ’’मीडिया’’ की निष्पक्ष, निर्भीक एवं लोकहित की खबरों से आज भी ’पत्रकारों’ का सम्मान शिखर पर- सुधीर गिरि
मेरठ। राष्ट्रीय राजमार्ग बाईपास स्थित श्री वेंक्टेश्वरा विश्वविद्यालय/संस्थान में ’’हिन्दी पत्रकारिता दिवस’’ पर साहित्यिक संस्था ’’मधुरम’’ के संयुक्त तत्वाँधान में ’’भव्य काव्य संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह का शानदार आयोजन किया गया, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से पधारे दो दर्जन से अधिक कवियो/कवियत्रियों, शायरो ने देश में लोकतन्त्र के चौथे स्तम्भ ’’मीडिया’’ के सम्मान में एक से बढ़कर एक रचनाऐ पेश करते हुए ’’मीडिया’’ को सरकार एवं आमजनमानस के बीच का ’’सेतु’’ करार दिया। इस अवसर पर संस्थान प्रबन्धन की ओर से देश के विभिन्न हिस्सो से पधारे कवियो एवं साहित्यकारों को शॉल, स्मृति चिन्ह, तुलसी माला, पटका एवं पगड़ी भेट कर सम्मानित किया गया।
श्री वेंक्टेश्वरा विश्वविद्यालय/संस्थान के टैगोर सभागार में हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर आयोजित ’’काव्यसंगोष्ठी एवं सम्मान समारोह’’ का शुभारम्भ संस्थापक अध्यश श्री सुधीर गिरि, प्रतिकुलाधिपति डॉ. राजीव त्यागी, मधुरम की अध्यशा एवं महाकवियत्री डॉ. मधु चतुर्वेदी, डॉ. चेतन आनन्द, रेडियो आर जे डॉ. नीरजा चतुर्वेदी, कुलपति प्रो. कृष्णकान्त दवे आदि ने सरस्वती माँ की प्रतिमा के सन्मुख दीप प्रज्जवलित करके किया।
गाजियाबाद से पधारे विख्यात शायर गोविन्द गुलशन ने कहा-
’’यकीन कीजिए किस पर, यकीन मैं क्या है!
मुझे पता है मेरी, आस्तीन में क्या है!!’’
प्रख्यात महा कवियत्री डॉ0 मधु चतुर्वेदी ने कहा-
’’न दुनिया को जीत पाये जो, सिकन्दर हो नहीं सकता!
बिना अभ्यास के कोई धुरन्धर हो नहीं सकता!
जरा सी बाढ़ आते ही, लगे जो तोड़ने सीमा!
को कोई ताल है उथला, समन्दर हो नहीं सकता!!’’ पढ़कर खूब वाहवाही लूटी।
हापुड़ से पधारे कवि डॉ0 अनिल बाजयेयी ने पढ़ा-
’’सितारा एक टूटे तो, गगन खाली नहीं होता!
झड़े गर फूल कोई तो, चमन खाली नहीं होता!
हमारी माँ के दामन में है, लाखो लाल राणा से!
सपूतों से कभी मेरा, वतन खाली नहीं होता!! सुनकर देशभक्ति की ज्वाला भर दी।
पिलखुवा से पधारे कवि डॉ0 सतीश वर्द्धन ने बेटियों को समर्पित रचना पढ़ी-
’’लौंग, तुलसी जावित्री होती है बेटियां!
सीता और सावित्री होती है, बेटियां!
देवियों से बेटियों को कैसे कमतर आँक लूँ!
गंगा, गीता, गायत्री होती है बेटियां!!’’
ओज के कवि डॉ0 चेतन आनन्द ने कहा कि-
’’खामोश हम रहे तो, पहल कौन करेगा!
उजड़े चमन में फेरबदल कौन करेगा!
प्रश्नों के पक्ष में अगर चले गए जो हम,
उत्तर की समस्याओं को हल कौन करेगा!!’’
दिल्ली से पधारे विख्यात आर0जे0, मशहूर पत्रकार एवं कवियत्री डॉ0 नीरजा चतुर्वेदी ने पढ़ा कि-
अपने ही साये में डर रहा हूँ मै!
ना चाहकर भी सबकुछ कर रहा हूँ मै!
ऐ जिन्दगी तूने ये कैसी शर्त लगा दी!
कि मौत किसी ओर की और मर रहा हूँ मै!!’’ सुनाकर पत्रकारो की पीड़ा व्यक्त की।
इस अवसर पर कुलसचिव प्रो. पीयूष पाण्डेय, डीन ऐकेडमिक डॉ. राजेश सिंह, डॉ. आर.एस. शर्मा, डॉ. सुमन कुमारी, डॉ. स्नेहलता गोस्वामी, डॉ. अंजलि भारद्वाज, डॉ. योगेश्वर सिंह, डॉ. अनिल जयसवाल, डॉ. आशुतोष, डॉ. एस.एन. साहू, डॉ. धीरज दुबे, डॉ. ओमप्रकाश गोसाई, डॉ. अश्विन कुमार सक्सेना, डॉ. तेजपाल सिंह, डॉ. राजवर्द्धन, डॉ. ऐना ऐरिक ब्राउन, अरूण गोस्वामी, मारूफ चौधरी, मेरठ परिसर निदेशक डॉ. प्रताप सिंह एवं मीडिया प्रभारी विश्वास राणा आदि लोग उपस्थित रहे।
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