आपात स्थिति में 'नमो भारत' कॉरिडोर बनेगा मेरठ का 10 किमी लंबा भूमिगत सुरक्षा कवच

शहर के नीचे बनी आधुनिक सुरंगें और स्टेशन आपातकाल में लोगों को आश्रय देने में हो सकते हैं मददगार; यूक्रेन युद्ध से सबक

मेरठ।  जहाँ एक ओर भारतीय सेना देश की सीमाओं की रक्षा के लिए पूरी तरह सक्षम है और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है, वहीं भविष्य में किसी भी अप्रत्याशित आपात स्थिति या दुश्मन देश के हमले से बचाव के लिए मेरठ शहर के भीतर एक आधुनिक और विशालकाय भूमिगत ढाँचा संभावित 'बंकर' के तौर पर बेहद उपयोगी साबित हो सकता है। यह ढाँचा कोई विशेष रूप से निर्मित शेल्टर नहीं, बल्कि रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) यानी नमो भारत ट्रेन कॉरिडोर का भूमिगत हिस्सा है

यूक्रेन की तरह सुरंगों का हो सकता है उपयोग

हाल ही में यूक्रेन में देखे गए हालात, जहाँ रूस के हमलों से बचने के लिए नागरिकों ने मेट्रो सुरंगों और भूमिगत ढाँचों का बड़े पैमाने पर उपयोग किया, यह सिखाता है कि शहरी क्षेत्रों में भूमिगत संरचनाएं आपातकाल में जीवन रक्षक साबित हो सकती हैं। इसी तर्ज पर, मेरठ में बनी नमो भारत की सुरंगें और स्टेशन भी भविष्य में ऐसी किसी भी विषम परिस्थिति में शहरवासियों को सुरक्षित आश्रय प्रदान करने की क्षमता रखते हैं।

 मेरठ के नीचे 10 किमी का 'बंकर' तैयार

नमो भारत कॉरिडोर परियोजना के तहत मेरठ शहर के नीचे लगभग 3.50 किलोमीटर लंबी दो समानांतर सुरंगों का निर्माण किया गया है। इन सुरंगों के साथ-साथ तीन भूमिगत स्टेशन भी बनाए गए हैं, जो आपात स्थिति में बड़ी संख्या में लोगों को समायोजित कर सकते हैं। इसके अलावा, ट्रेन के भूमिगत सेक्शन में प्रवेश करने और बाहर निकलने के लिए भी दोनों सिरों पर सुरंग जैसे ढाँचे हैं।

 इस प्रकार, एक तरफ की भूमिगत संरचना (एक सुरंग, स्टेशन और प्रवेश/निकास ढाँचा) की कुल लंबाई लगभग पाँच किलोमीटर हो जाती है। जब दोनों समानांतर लाइनों के भूमिगत हिस्सों को जोड़ा जाता है, तो यह कुल लंबाई लगभग 10 किलोमीटर तक पहुँच जाती है। यह विशाल भूमिगत नेटवर्क आपातकाल के समय एक बड़े और सुरक्षित बंकर के तौर पर कार्य कर सकता है, जो हवाई हमलों या गोलाबारी से प्रभावी सुरक्षा प्रदान करेगा।

 आवश्यकता पड़ने पर होगा उपयोग: जिलाधिकारी

इस महत्वपूर्ण पहलू पर मेरठ के जिलाधिकारी वीके सिंह ने बताया कि फिलहाल नमो भारत ट्रेन की सुरंगों और भूमिगत हिस्सों को आपातकालीन बंकर के तौर पर उपयोग करने के संबंध में कोई विशेष आधिकारिक निर्देश नहीं हैं। हालाँकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि भविष्य में कभी ऐसी कोई आपात स्थिति उत्पन्न होती है जहाँ इन भूमिगत ढाँचों का उपयोग लोगों की सुरक्षा के लिए आवश्यक हो जाता है, तो स्वाभाविक रूप से इनका उपयोग किया जाएगा। यह इस बात को रेखांकित करता है कि शहर के भीतर एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचा अनजाने में ही एक संभावित सुरक्षा कवच के रूप में भी मौजूद है।

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