मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के पहले 100 दिन, चुनाव आयोग ने शुरू की 21 नई पहल
नयी दिल्ली। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के कार्यकाल के पहले 100 दिन में नयी 21 पहल की हैं जिनमें चुनावी प्रक्रिया को मजबूत और मतदाताओं की सुविधा बढ़ाने के साथ साथ बूथ स्तरीय चुनाव अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के साथ साथ राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीति दलों के साथ सीधा संवाद शामिल है।
पूर्व आईएएस अधिकारी श्री कुमार ने आईआईटी कानपुर से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। उन्होंने 19 फरवरी 2025 को मुख्य निर्वाचन आयुक्त का पद संभाला और उनका कार्यकाल 26 जनवरी 2029 तक चलेगा।
आयोग के एक अधिकारी ने कहा, ‘ देश के 28वें मुख्य चुनाव आयुक्त इस पद पर अपने लम्बे कार्यकाल का फायदा उठा कर आयोग के कामकाज में कुछ बड़े सुधार करने में लगे हैं जिसमें जमीनी स्तर के चुनाव अधिकारियों का प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण एक बड़ा महत्वाकांक्षी कदम है।”
श्री कुमार ने मार्च 2025 में आयोजित मुख्य चुनाव अधिकारियों (सीईओ) के सम्मेलन के दौरान चुनाव आयुक्तों डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी की मौजूदगी में सीईसी ने एक नए सिरे से चुनाव आयोग के लिए दृष्टिकोण तैयार किया। उनके नेतृत्व में मतदाताओं की पहुंच को बेहतर बनाने के लिए प्रति मतदान केंद्र मतदाताओं की अधिकतम संख्या 1,500 से बढ़ाकर 1,200 कर दी है। आयोग ने गेटेड कम्युनिटी और ऊंची इमारतों जैसे घनी आबादी वाले इलाकों में अतिरिक्त मतदान केंद्र बनाए जाएंगे।आयोग का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी मतदाता को वोट डालने के लिए 2 किलोमीटर से अधिक की यात्रा न करनी पड़े।
मतदाता सूचना पर्चियों को स्पष्टता के लिए फिर से डिजाइन किया गया है, जिसमें सीरियल और पार्ट नंबर की दृश्यता बढ़ाई गई है। मतदाताओं की सुविधा के लिए एक महत्वपूर्ण बढ़ावा के रूप में, प्रत्येक मतदान केंद्र के प्रवेश द्वार पर मोबाइल जमा सुविधा स्थापित की जाएगी। इसी तरह इन नयी पहलों के तहत उम्मीदवारों द्वारा स्थापित बूथों को अब मतदान केंद्र के प्रवेश द्वार से 200 मीटर की जगह 100 मीटर की दूरी पर अनुमति दी जाएगी ।
एक सरल उपयोगकर्ता इंटरफ़ेस की सुविधा के लिए, मौजूदा 40 से अधिक ऐप व वेबसाइटों के बजाय एक ही बिंदु पर सभी हितधारकों के लिए सभी सेवाएँ प्रदान करने के उद्देश्य से एक एकल-बिंदु नया एकीकृत डैशबोर्ड -ईसीआईनेटविकसित किया गया है।अधिकारियों ने बताया कि ईसीआईनेट के कुछ मॉड्यूल मौजूदा उपचुनावों में उपलब्ध कराए जाएंगे और बिहार विधानसभा चुनाव तक पूरा डैशबोर्ड विभिन्न हितधारकों के उपयोग के लिए उपलब्ध होगा।
आयोग ने भारत के महापंजीयक से मृत्यु पंजीकरण डेटा का सीधा एकीकरण शुरू किया है, ताकि मृतक मतदाताओं को समय पर और सत्यापित रूप से मतदाता सूची से हटाया जा सके। बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) सत्यापन में केंद्रीय भूमिका निभाते रहेंगे, जिसमें फील्ड-लेवल जांच के बाद अपडेट किए जाएंगे।
आयोग ने आरपी अधिनियम, 1950 में निर्धारित अनुसार उपचुनाव से पहले मतदाता सूचियों का विशेष सारांश संशोधन शुरू किया गया है। उपचुनाव से पहले सूचियों की ऐसी समीक्षा पहली बार की गयी है।
आयोग ने चुनाव प्रक्रिया के बारे में भ्राति दूर करने के लिए राजनीतिक हितधारकों के साथ नियमित बातचीत का सिलसिला शुरू किया है। इस क्रम में 4,719 बैठकें की जा चुकी है जिनमें 28,000 से अधिक राजनीतिक दल के प्रतिनिधियों ने भाग लिया है। इनमें सीईओ स्तर पर 40 बैठकें, डीईओ स्तर पर 800 और ईआरओ स्तर पर 3,879 बैठकें शामिल थीं।
आयोग ने आप, भाजपा, बसपा, माकपा और एनपीपी सहित मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ नई दिल्ली में विचार-विमर्श किया है तथा मौजूदा उपचुनावों के बाद राष्ट्रीय राजनीतिक दलों और राज्य राजनीतिक दलों के साथ और बैठकें करने की योजना बनाई है।
आयोग ने बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ), बीएलओ पर्यवेक्षकों और बूथ स्तरीय एजेंटों (बीएलए) के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का विस्तार किया है। भारत अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र एवं चुनाव प्रबंधन संस्थान (आईआईआईडीईएम) में 3,500 से अधिक बीएलओ/बीएलओ पर्यवेक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है, जिसे अब आने वाले वर्षों में एक लाख से अधिक बीएलओ पर्यवेक्षकों को प्रशिक्षण देने का काम सौंपा गया है। ये पर्यवेक्षक बदले में 10.5 लाख से अधिक पदाधिकारियों के बड़े बीएलओ नेटवर्क को प्रशिक्षित करेंगे।
आयोग के निर्णय के अनुसार पहचान और पहुंच में सहायता के लिए सभी बीएलओ को मानकीकृत फोटो पहचान पत्र जारी किए जाएंगे। मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के बीएलए को भी प्रशिक्षण दिया गया है, जिसमें बिहार, तमिलनाडु और पुडुचेरी के शुरुआती बैच आईआईआईडीईएम में सत्र पूरा कर रहे हैं।
अधिकारियों ने बताया कि आयोग ने मीडिया सेल के अधिकारियों को मीडिया से सम्पर्क बढ़ाने को प्रेरित किया है जिसका उद्देश्य सार्वजनिक संचार की गुणवत्ता और समयबद्धता में सुधार करना है।
चुनावी प्रक्रिया में पहचाने गए हितधारकों की 28 श्रेणियों के लिए एक व्यापक प्रशिक्षण ढांचा विकसित किया गया है। ये मॉड्यूल जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और 1951, निर्वाचक पंजीकरण नियम, 1960 और चुनाव संचालन नियम, 1961 के प्रावधानों के साथ-साथ ईसीआई के निर्देशों पर आधारित हैं। अन्य सुधारों के अलावा, ईसीआई ने अपने मुख्यालय में बायोमेट्रिक उपस्थिति लागू की है, ई-ऑफिस प्रणाली को सक्रिय किया है और नियमित सीईओ-स्तरीय समीक्षा बैठकें शुरू की हैं। इन उपायों का उद्देश्य आंतरिक समन्वय और परिचालन दक्षता में सुधार करना है।
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