सीसीएसयू को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय भारत सरकार से मिला IPR चेयर
बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रति छात्रों और शोधार्थियों में जागरूकता बढ़ेगी, नवाचार को मिलेगा प्रोत्साहन
आईपीआर चेयर मिलने वाला प्रदेश का पहला विवि बना सीसीएसयू
मेरठ। सीसीएसयू को भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (DPIIT) द्वारा SPRIHA (Scheme for Pedagogy & Research in IPRs for Holistic Awareness) योजना के अंतर्गत IPR चेयर (बौद्धिक संपदा अधिकार अध्यक्षता) स्वीकृत की गई है। यह विश्वविद्यालय के लिए एक बड़ी उपलब्धि है और नवाचार व अनुसंधान के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी। चौ. चरण सिंह विवि प्रदेश का पहला विवि बन गया है। जिसे यह उपल्ब्धि मिली है।
विवि के सभागार कक्ष में मीडिया को जानकारी देते हुए शोध निदेशक प्रोफेसर बीरपाल सिंह ने बताया कि इस योजना 1,लाख का समेकित मानदेय दिया जाएगा। नियुक्ति 5 वर्षों के लिए होगी, जिसे 2 वर्ष और बढ़ाया जा सकता है (अधिकतम 7 वर्ष)।दो रिसर्च असिस्टेंट नियुक्त किए जाएंगे, जिन्हें अधिकतम रु. 50 हजार प्रति माह तक का मानदेय मिलेगा। एक Ph.D. फेलोशिप (JRF/SRF) प्रदान की जाएगी, जो 5 वर्षों तक लागू रहेगी।प्रत्येक वर्ष लगभग 5 लाख रुपये की धनराशि पुस्तकों की खरीद, यात्रा भत्ता एवं कार्यशालाओं, सेमिनारों, प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन हेतु स्वीकृत की गई है।
कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री जयंत सिंह का धन्यवाद देते हुए कहा कि इस IPR से छात्रों को बहुत लाभ मिलेगा, कहा कि छात्रों और शोधार्थियों को बौद्धिक संपदा अधिकारों जैसे पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क आदि की समझ विकसित करने का अवसर मिलेगा।विश्वविद्यालय में IPR पर आधारित कार्यशालाएं, सेमिनार और प्रशिक्षण कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित किए जाएंगे।स्टार्टअप्स और नवाचार में रुचि रखने वाले छात्र अपने आविष्कारों की सुरक्षा और पेटेंटिंग प्रक्रिया को समझ सकेंगे।शोध के क्षेत्र में रुचि रखने वाले विद्यार्थियों को रिसर्च प्रोजेक्ट्स, गाइडेंस और फेलोशिप का लाभ मिलेगा।विश्वविद्यालय में इनोवेशन को संस्थागत समर्थन प्राप्त होगा, जिससे रोजगार और उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा।
इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने मंत्रालय के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह चेयर विश्वविद्यालय को वैश्विक नवाचार और अनुसंधान के मानकों के निकट ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
बौद्धिक संपदा शिक्षा और अनुसंधान को सुविधाजनक बनाना
इस योजना का उद्देश्य यह है उच्चतर शिक्षा विश्वविद्यालयों में बौद्धिक संपदा शिक्षा को शुरू करना और बढ़ावा देना, जिसके लिए योजना के तहत चयनित पात्र संस्थानों में डीआईपीपी-आईपीआर अध्यक्षों की नियुक्ति की जा सकती है;।सभी आईपीआर मामलों पर वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को संकलित करके आईपीआर ज्ञान डेटाबेस का निर्माण;(04) दुनिया भर के अन्य विश्वविद्यालयों/कॉलेजों/संस्था नों के साथ भारतीय शैक्षणिक संस्थानों का सहयोग, नीति निर्माताओं के लिए आईपीआर विचारों पर उद्योग, व्यवसायियों और शिक्षाविदों से इनपुट/सिफारिशें विकसित करना, तैयार करना और एकत्रित करना बौद्धिक संपदा अधिकार और संबंधित मामलों में अनुसंधान को बढ़ावा देना तथा इसकी नीतिगत प्रासंगिकता पर प्रकाश डालना। संयुक्त अनुसंधान, साझा व्याख्यान व्यवस्था और छात्र/शैक्षणिक आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाने के लिए आईपीआर अध्यक्षों के बीच सहयोग, अनुसंधान का प्रसार और बौद्धिक संपदा अधिकार पर चर्चा को बढ़ावा देना; तथा घरेलू आईपीआर फाइलिंग में वृद्धि को सुगम बनाना है ।
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