सजगता ही समाधान
राजीव त्यागी
मोबाइल पर नंबर मिलाते ही आजकल साइबर ठगी, डिजिटल अरेस्ट, ऑनलाइन या ब्लेक मेलिंग से सतर्क रहने का संदेश सुनने को मिलता है। मजे की बात यह है कि साइबर ठगी के सबसे अधिक शिकार पढ़े लिखे और समझदार लोग ही हो रहे हैं।
लाख समझाने के बावजूद एक ओर ठगों के हौसले बुलंद हैं तो ठगी के शिकार होने वाले लोगों की संख्या और राशि में मल्टीपल बढ़ोतरी हो रही है। भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा जारी हालिया आंकड़ों को देखे तो पिछले तीन साल में ही ठगी के नए अवतार से ठगी की राशि 20 गुणा बढ़ गई है।
इस साल की शुरुआत के दो महीनों में ही 17 हजार 718 से अधिक मामलें दर्ज हो चुके हैं और 210 करोड़ 21 लाख रु. से अधिक की ठगी हो चुकी है। यह तो साल की शुरुआत के हाल है। पिछले तीन साल के आंकड़ों पर नजर ड़ाले तो हालात की गंभीरता को आसानी से समझा जा सकता है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार ही 2024 में एक लाख 23 हजार 672 मामलें दर्ज हुए और 1935 करोड़ 51 लाख रु. की ठगी हो गई। यह तो वे मामलें हैं जो पुलिस में दर्ज हुए हैं जबकि हजारों मामलें ऐसे भी होंगे जिनमें मामलें दर्ज कराए ही नहीं गए होंगे। खास बात यह है कि ठगी के केन्द्र व ठगी के तरीके से वाकिफ होने के बावजूद यह होता जा रहा है।
ऐसा नहीं है कि साइबर या इससे जुड़ी ठगी हमारे यहां ही होती है अपितु देखा जाए तो यह आयातित ठगी का तरीका है। साइबर या यों कहें कि इस तरह की ठगी के मामलों में रशिया पहले पायदान पर है तो यूक्रेन दूसरे पायदान पर बना हुआ है। इनके बाद चीन, अमेरिका, नाइजेरिया और रोमानिया का नंबर आता है। इससे एक बात तो साफ हो जाती है साइबर ठगों के सारी दुनिया में हौसले बुलंद हैं।
जहां तक हमारे देश की बात करें तो साइबर ठग या तो किसी तरह का लालच देकर लिंक भेजकर ठगी करते हैं तो दूसरी और ड़रा धमकाकर आसानी से ठगी का शिकार बना लेते हैं। दरअसल आम नागरिकों को भी सजग होना ही होगा। अनजान नंबरों पर बात ही ना करें। ज्योंही कोई डराये धमकाये तो बहकावे में आने के स्थान पर पड़ताल करें। इस तरह के हालात सामने आये तो परेशान होने के स्थान पर परेशानी को साझा करें, पुलिस का सहयोग लेने में भी संकोच ना करें। देखा जाए तो सजगता ही इस समस्या का समाधान हो सकती है।
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