अच्छी कहानी में हर शब्द एक रत्न की तरह जड़ा होता है : प्रोफेसर सगीर अफ्राहीम

ग़ज़ल और कविता की तरह लघुकथाएँ भी दिल को प्रभावित करती हैं : प्रोफेसर रेशमा परवीन
आज हर विषय का इस्तेमाल कथा साहित्य में किया जा रहा है : महमूद शाहिद
उर्दू विभाग, सीसीएसयू ने अदबनुमा के तहत “अफसांचो की स्थिति” शीर्षक से ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन 
मेरठ ।लघुकथा लिखना आसान नहीं, बल्कि बहुत कठिन काम है। एक अच्छी लघुकथा में प्रत्येक शब्द रत्न की तरह गूँथा होता है। आज पढ़ी गई सभी लघुकथाएँ किसी न किसी रूप में अपना महत्व रखती हैं और कार्यक्रम में इस विधा पर अच्छी चर्चा हुई तथा अच्छी लघुकथाएँ भी पढ़ी गईं। मैं सभी लघुकथा लेखकों को बधाई देता हूँ। यह शब्द प्रोफेसर सगीर अफ्राहीम, पूर्व अध्यक्ष उर्दू विभाग, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के   के थे, जो उर्दू विभाग,चौधरी चरण सिंह विवि ,  और इंटरनेशनल यंग उर्दू स्कॉलर्स एसोसिएशन (आईवाईयूएसए) द्वारा आयोजित “अफसांचों की स्थिति” विषय पर अपना अध्यक्षीय भाषण दे रहे थे।
 कार्यक्रम की शुरुआत सईद अहमद सहारनपुरी द्वारा पवित्र कुरान की तिलावत से हुई। नात बी.ए. ऑनर्स के छात्र मोहम्मद नदीम द्वारा प्रस्तुत की गई। मुख्य अतिथि के रूप में महमूद शाहिद [द्वैमासिक 'अफसानामा', आंध्र प्रदेश के संपादक], जमशेदपुर से तनवीर अख्तर रोमानी, दुर्ग से रौनक जमाल, रियाद, सऊदी अरब से नूर जमशेदपुरी, मालेर कोटला, पंजाब से अरशद मुनीम, महाराष्ट्र से अलीम इस्माइल, भागलपुर से यासमीन अख्तर, ओडिशा से रुकैया जमाल और मुंबई से वसीम अकील शाह ने ऑनलाइन भाग लिया। आयुसा की अध्यक्ष प्रोफेसर रेशमा परवीन वक्ता के रूप में ऑनलाइन उपस्थित थीं। स्वागत भाषण डॉ. इरशाद सियानवी, संचालन फरहत अख्तर ने  और धन्यवाद ज्ञापन शोध छात्रा उज़मा सहर ने दिया।
विषय प्रवेश कराते हुए डॉ. इरशाद सियानवी ने कहा कि कुछ हद तक यह स्वीकार किया जाने लगा है कि केवल कथा साहित्य लिखने वाले कथा लेखक ही अच्छा लघुकथा साहित्य लिख सकते हैं। इसीलिए बशीर मालेरकोटलवी ने भी कहा कि "वही लेखक किंवदंती रच सकता है जो किंवदंती के प्रतीकों से भली-भांति परिचित हो। वह समकालीन आवश्यकताओं को समझता हो और अपने समय के पाठक की मनोदशा को भी समझता हो।" बड़ी संख्या में कथा लेखक लघु कथाएँ लिख रहे हैं और उनकी लघु कथाएँ साहित्यिक हलकों में लोकप्रिय भी हो रही हैं।
प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी ने कहा कि आज एम.ए. हक और जोगिंदर पाल हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उन्होंने कहानी को आगे बढ़ाने का अनूठा कार्य किया। आज का कार्यक्रम लघु कथाओं को बढ़ावा देगा। कई रचनाकारों की आलोचनात्मक पुस्तकें भी कथा साहित्य को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध हुईं। आज नई पीढ़ी में कई युवा हैं जो अच्छी कहानियां लिख रहे हैं।
अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रोफेसर रेशमा परवीन ने कहा कि ग़ज़ल और कविता की तरह लघु कथाएं भी दिल को प्रभावित करती हैं। एक छोटी कहानी जो दिल और दिमाग को प्रभावित करती है उसे अच्छी लघु कहानी कहा जाता है। विभिन्न विषयों पर बहुत महत्वपूर्ण लघुकथाएँ प्रस्तुत की गई हैं। आज की तेज गति वाली जिंदगी में लघु कहानियां बहुत महत्वपूर्ण हैं।
विशिष्ट अतिथि महमूद शाहिद ने कहा कि हम कथा से लघुकथा की ओर बढ़ने के बिंदु पर पहुंच गए हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि कथा साहित्य साहित्य में अपना स्थान अवश्य बनाएगा। आजकल एक पंक्ति, दो पंक्ति और तीन पंक्ति की कहानियाँ लिखी भी जा रही हैं। आज कथा साहित्य में हर विषय का प्रयोग हो रहा है, लेकिन फिर भी कथा साहित्य के क्षेत्र को व्यापक बनाने के लिए और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है। कथा लेखकों को कथा साहित्य को आसान नहीं समझना चाहिए क्योंकि कथा साहित्य में गहराई और गहनता होती है।
इस अवसर पर रुकिया जमाल ने 'घोल', यास्मीन अख्तर ने 'तलाश', 'जल बिन मछली', अलीम इस्माइल ने 'तमाशा', परदा', नूर जमशेदपुरी ने 'नेसेसिटी' इंतेजार, रौनक जमाल ने 'डरपोक', 'डस्ट बिन', महमूद शाहिद ने 'शेख गुल' और तनवीर अख्तर रोमानी ने 'खोल दो', 'बाबा लोग' जैसी खूबसूरत कहानियां सुनाईं और सुनने वालों  को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम से डॉ. आसिफ अली, डॉ. शादाब अलीम, डॉ. अलका वशिष्ठ, सैयदा मरियम इलाही, मुहम्मद शमशाद एवं छात्र जुड़े रहे।

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