चिंताजनक ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा
इलमा अज़ीम 
ग्रामीण जनता खराब स्वास्थ्य, पहुंच की कमी और गरीबी के चक्र में फंसी हुई है। भारत में ग्रामीण स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे अन्य देशों की तुलना में अधिक हैं। वहां युवा डॉक्टरों को गांवों और दूरदराज के क्षेत्रों में समस्याओं के प्रति संवेदनशील बनाने जैसी पहल चल रही हैं। इस साल अक्टूबर में भारत भर के युवा डॉक्टरों का एक समूह उदयपुर शहर से 25 किलोमीटर दूर एक गांव इसवाल में बैठक करेगा जो बेसिक हेल्थकेयर सर्विसेज द्वारा आयोजित ग्रामीण संवेदीकरण कार्यक्रम (आरएसपी) में भाग लेगा।
 यह राजस्थान की एक गैर-लाभकारी संस्था है जो राज्य में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चलाती है। आरएसपी तीन दिवसीय क्षेत्रीय कार्यक्रम है जो इस समूह को एक ओर अच्छी तरह से काम करने वाली प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं और दूसरी तरफ ग्रामीण व आदिवासी समुदायों के प्रतिदिन के जीवन और संघर्षों को उजागर करने की उम्मीद रखता है। आरएसपी कई युवा डॉक्टरों के बीच कॉर्पोरेट अस्पतालों, फार्मा कंपनियों और कमीशनखोरी की वास्तविक दुनिया से बढ़ते मोहभंग के जवाब में उभरा है। उन्हें किस तरफ जाना चाहिए? इसका जवाब ग्रामीण भारत दे सकता है क्योंकि वह अपनी स्वास्थ्य सेवाओं संबंधी समस्याओं से बाहर आने के लिए संघर्ष कर रहा है। 


अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में 10.3 करोड़ स्वास्थ्य कर्मियों की कमी का दो तिहाई भाग ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में है। 'ग्रामीण स्वास्थ्य संरक्षण में असमानताओं पर वैश्विक साक्ष्य' शीर्षक से मई 2015 की रिपोर्ट में '174 देशों के लिए स्वास्थ्य कवरेज में ग्रामीण घाटे पर नया डेटा', नामक लेख में ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों के बीच प्रमुख स्वास्थ्य पहुंच असमानताओं का खुलासा किया गया है।


 यह असमानता विशेष रूप से अफ्रीका में स्पष्ट दिखायी देती है जहां ग्रामीण आबादी के एक बड़े हिस्से तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच का अभाव है। हमें समुदाय के करीब आधारित स्वास्थ्य सेवा मॉडल की आवश्यकता होगी जो नैतिक और उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा का प्रैक्टिस करते हैं। ग्रामीण संवेदीकरण शेष विश्व के लिए मार्गदर्शक हो सकता है।

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