अभिव्यक्ति की आजादी
इलमा अज़ीम
सोशल मीडिया ने हमारे एक-दूसरे से जुडऩे और बातचीत करने के तरीके में क्रांति ला दी है। इसने एक नई घटना को भी जन्म दिया है : सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर। इन्फ्लुएंसर्स को अक्सर रोल मॉडल और ट्रेंडसेटर के रूप में देखा जाता है, खासकर युवा लोगों के बीच। उन्हें अक्सर सफलता, लोकप्रियता और सुंदरता के अवतार के रूप में देखा जाता है।
इससे ‘आकांक्षी’ सामग्री के चलन में वृद्धि हुई है, जहां इन्फ्लुएंसर्स अपनी शानदार जीवनशैली का प्रदर्शन करते हैं और ऐसे उत्पादों का प्रचार करते हैं जो उनके अनुयायियों को उनके जैसा बनाने का वादा करते हैं। हालांकि, प्रभावशाली लोग जिस सामग्री को बढ़ावा देते हैं, वह हमेशा सकारात्मक या स्वस्थ नहीं होती। कई प्रभावशाली लोग अवास्तविक शारीरिक मानकों को बढ़ावा देते हैं, जो उनके अनुयायियों के बीच शरीर के असंतोष और खाने के विकारों में योगदान कर सकते हैं। वे भौतिकवाद और उपभोक्तावाद को भी बढ़ावा देते हैं, अपने अनुयायियों को ऐसे उत्पाद खरीदने के लिए प्रोत्साहित करते हैं जिनकी उन्हें जरूरत नहीं है या वे खरीद नहीं सकते हैं।
अस्वस्थ व्यवहार को बढ़ावा देने के अलावा, प्रभावशाली लोग युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।कई लोग अपने प्लेटफॉर्म का उपयोग सकारात्मक संदेशों को बढ़ावा देने के लिए करते हैं, जैसे कि शरीर की सकारात्मकता, मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता और सामाजिक न्याय। हालांकि, हम जो सामग्री देखते हैं, उसके बारे में आलोचनात्मक होना और उसके पीछे के उद्देश्यों पर सवाल उठाना महत्वपूर्ण है। हमें इस तथ्य के प्रति सचेत रहना चाहिए कि प्रभावशाली लोगों को अक्सर उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए भुगतान किया जाता है, और हो सकता है कि उनकी सामग्री पूरी तरह से वास्तविक न हो। माता-पिता और शिक्षकों को भी युवाओं को सोशल मीडिया की दुनिया में आगे बढऩे में मदद करने में भूमिका निभानी चाहिए।
उन्हें मीडिया साक्षरता कौशल सिखाकर, हम युवाओं को उनके द्वारा देखी जाने वाली सामग्री का गंभीरता से मूल्यांकन करने और इस बारे में निर्णय लेने में मदद कर सकते हैं कि वे किससे जुडऩा चाहते हैं। निष्कर्ष में, सोशल मीडिया के प्रभावशाली लोग युवा दिमाग पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से शक्तिशाली प्रभाव डाल सकते हैं, जबकि हमें संभावित जोखिमों के बारे में सावधान रहना चाहिए। सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की आजादी का गलत ढंग से प्रयोग किया जा रहा है। इसे रोकने के लिए सरकार व पूरे समाज को काम करना होगा।
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