वन हैं तो हम हैं…
इलमा अज़ीम
वन, हमारे पर्यावरण का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये हमारे जीवन के लिए आवश्यक ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, जीव-जंतुओं का घर होते हैं और हमारी धरती को हरा-भरा और समृद्ध बनाते हैं। वन संरक्षण आज के समय में अत्यंत आवश्यक है क्योंकि हमारे अस्तित्व का संबंध प्रत्यक्ष रूप से वनों से है। वनों का महत्व असीम है। ये न केवल हमें शुद्ध हवा देते हैं, बल्कि जलवायु को भी नियंत्रित करते हैं। मतलब यह कि हमारा अस्तित्व वनों पर निर्भर है। अगर वन नहीं होंगे तो मानव जीवन संकट में पड़ जाएगा।
वनों से हमें कई आवश्यक वस्तुएं मिलती हैं जैसे लकड़ी, औषधियां, फल, और गोंद। इसके अलावा, वनों से हमें मानसिक और शारीरिक शांति मिलती है। एक स्वस्थ वन पारिस्थितिकी तंत्र हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है। आज के समय में वनों की कटाई, शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के कारण वन तेजी से नष्ट हो रहे हैं। वनों की कटाई से न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि जलवायु परिवर्तन की समस्याएं भी बढ़ रही हैं। इसलिए, हमें वनों को बचाने के लिए जागरूकता फैलानी होगी और वृक्षारोपण को बढ़ावा देना होगा। वन हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं।
हमारे जंगल संकट में हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, हम हर साल दुनिया भर में 88,000 वर्ग किलोमीटर प्राकृतिक वन खो देते हैं - यानी हर हफ़्ते लंदन के आकार के बराबर वन क्षेत्र खो जाता है, या हर 2 सेकंड में एक फुटबॉल मैदान खो जाता है। यदि उन्हें लकड़ी या कागज में नहीं बदला जा रहा है, तो बहुत सारे जंगलों को, विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में, सोया (कृषि पशुओं के चारे के लिए) या पाम ऑयल (भोजन और सौंदर्य प्रसाधनों के लिए) जैसी फसलों को उगाने के लिए परिवर्तित किया जा रहा है।
और हां, यह सिर्फ प्राकृतिक संसाधनों और वन्य जीवन का नुकसान ही नहीं है जो दांव पर लगा है। सभी पेड़ों को काटने से जलवायु परिवर्तन की गति बढ़ रही है। इन्हें संरक्षित करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। "वन हैं तो हम हैं" के सिद्धांत को अपनाते हुए, हमें वनों की रक्षा करने के लिए एकजुट होना होगा। हमारी छोटी-छोटी कोशिशें भी बड़े बदलाव ला सकती हैं। यदि हम अपने वनों को बचाएंगे, तो हमारा भविष्य भी सुरक्षित रहेगा।
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