संस्कृत को लेकर डीएमके सांसद दयानिधि मारन के बयान की निंदा

 संस्कृत को बताया वैज्ञानिक भाषा, देश से माफी मांगे मारन 

मेरठ। मुक्ताकाश बाल अकादमी में आयोजित मेरठ महानगर के संस्कृत प्रेमियों की बैठक में वक्ताओं ने बीते दिनों लोकसभा में डीएमके सांसद दयानिधि मारन के संस्कृत को लेकर दिए गए बयान की निंदा की और इसे भारतीयता के खिलाफ बताया। दयानिधि मारन ने लोकसभा की कार्यवाही का संस्कृत में अनुवाद किए जाने का विरोध किया था। दयानिधि मारन ने पूरे देश के संस्कृतप्रेमियों को ठेस पहुंचाई है और इसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए।

संस्कृत भारती के क्षेत्र संगठन मंत्री देवेद्र पांड्या ने संस्कृत की महत्ता बताते हुए कहा कि संस्कृत दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा है और सभी भाषाओं की जननी है। संस्कृत भाषा में भारतीय संस्कृति की आत्मा बसती है। संस्कृत वह भाषा है जिसके माध्यम से मनुष्यों को ज्ञान का प्रथम दिग्दर्शन ऋग्वेद के रूप में प्राप्त हुआ। संसार का सबसे प्रेरणाप्रद ग्रन्थ गीता संस्कृत में ही रचित है। संस्कृत भारती के विभाग संयोजक प्रभाकरमणि त्रिपाठी ने कहा कि संस्कृत भाषाओं का वह सूर्य है जो सभी भाषाओं को मार्ग दिखाती है। संस्कृत का व्याकरण हजारों साल से लेकर आज तक विशुद्ध है। एनएएस कालेज में संस्कृत के प्रोफेसर डा. संदीप कुमार ने कहा कि आज भारत में ही नहीं बल्कि विदेश में भी संस्कृत भाषा सीखने वालों की संख्या निरन्तर बढ़ रही है। संस्कृत भाषा में ज्ञान का भंडार छिपा हुआ है। आईआईएमटी विश्वविद्यालय के स्कूल आफ मीडिया, फिल्म एंड टेलीविजन स्टडीज के प्रोफेसर डा. नरेन्द्र मिश्र ने कहा कि स्पष्ट व्याकरणिक नियमों और संगठित शब्दावली के कारण संस्कृत को वैज्ञानिक भाषा का दर्जा दिया जाता है। संस्कृत भाषा कंप्यूटर विज्ञान और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में बेहद उपयोगी साबित हो सकती है।

मुक्ताकाश की प्रधानाचार्य विचित्रा कौशिक ने सभी अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए आभार जताया। इस अवसर पर डा. ईशेन्द्र पाराशर, आचार्य नीलकमल, अजय, नीरज, अक्षय, अंकित, पूनम, शिवानी आदि उपस्थित रहे।

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