महाकुंभ भगदड़

महाकुंभ नगर में भगदड़ को साजिश मानकर चल रही जांच एंजेसियां 

सीएए-एनआरसी पर एटीएस की पैनी नजर ,दस हजार संदिग्ध रडार पर 

वाराणसी,एजेंसी । महाकुंभनगर में गत 28 जनवरी को हुई भगदड़ में मारे गये 49 लोगों की जांच अब साजिश की ओर मुढ़ती दिखाई दे रही है। केन्द्र व यूपी सरकार इसे हादसा नहीं साजिश मानकर चल रही है। स्पेशल टास्क फोर्स की रडार पर दस हजार संदिग्ध आ गये है। इसमें सबसे ज्यादा प्रदर्शनकारी सीएए व एनआरसी के लाेगों को मूवमेंट महाकुंभ मिला है। 

एनआईए व एटीएस की  जांच में ऐसे गैर हिंदू हैं, जिनके सोशल मीडिया अकाउंट पर महाकुंभ को लेकर निगेटिव कमेंट किए गए या फिर उन्होंने गूगल और यूट्यूब पर महाकुंभ को बहुत ज्यादा सर्च किया। इनकी भूमिका की भी जांच  एंजेसियां  कर रही हैं। 18 जेलों में कैद पीएफआई सदस्यों से भी पूछताछ हो रही है। नाम नहीं छापने की शर्त परएक अधिकारी ने  बताया कि महाकुंभ में 45 करोड़ लोगों को आना था। बड़ा आयोजन था, इसलिए महीनों पहले से खुफिया एजेंसियां एक्टिव थीं।इंटेलिजेंस ने सीएए, एनआरसी के प्रदर्शनकारी, क्रिमिनल हिस्ट्री, प्रदेश सरकार के खिलाफ बड़े प्रदर्शन करने वाले लोगों पर इनपुट दिए थे। इसके आधार पर यूपी के 1 लाख से ज्यादा लोगों का वेरिफिकेशन कराया गया।

उन्हें समझाया गया और मैसेज दिया गया कि महाकुंभ के दौरान प्रयागराज की तरफ मूवमेंट नहीं करें। इसके बावजूद भगदड़ होने के बाद जांच में पाया गया कि इनमें से कुछ का मूवमेंट महाकुंभ में हुआ। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि सिर्फ वाराणसी और आसपास के 10 जिलों के 16 हजार लोगों को महाकुंभ से पहले ही काशी के बाहर मूवमेंट करने से मना किया गया।लेकिन, 117 लोगों का मूवमेंट काशी के बाहर मिला। इनमें 50 से ज्यादा लोग प्रयागराज भी पहुंचे थे। ये सभी हिंदू धर्म से नहीं हैं। जब लोगों से पूछताछ हुई, तब उन्होंने अपने मूवमेंट के पीछे अलग-अलग कारण बताए।ऐसे ही दूसरे शहरों में संदिग्ध माने गए लोगों से एजेंसियों ने पूछताछ शुरू कर दी है कि मना करने के बाद अपने शहर से बाहर क्यों गए?ये वही लोग हैं, जिनकी पुरानी क्रिमिनल हिस्ट्री है। NRC-CAA के प्रदर्शन में शामिल रहे हैं। सोशल मीडिया पर महाकुंभ को लेकर निगेटिव कमेंट किए। यूपी सरकार के खिलाफ अलग-अलग वक्त पर प्रदर्शनों में शामिल रहे हैं।

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