भगवान परशुराम आवश्यकता और प्रासंगिकता पर कवि सम्मेलन का आयोजन 

प्रयागराज। महाकुंभ 2025 के पावन अवसर पर राष्ट्रीय परशुराम परिषद द्वारा आयोजित महाशिविर के भगवान श्री परशुराम कथा पंडाल में "भगवान परशुराम: आवश्यकता और प्रासंगिकता" विषय पर एक विशेष सत्र एवं भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस ऐतिहासिक आयोजन में संत समाज, विद्वानों, गणमान्य व्यक्तियों एवं प्रतिष्ठित कवियों की गरिमामयी उपस्थिति रही।

इस सत्र की अध्यक्षता काशी सुमेरु पीठ के जगतगुरु शंकराचार्य  नरेंद्रानंद सरस्वती  महाराज ने की, जबकि गंगा समग्र के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री रामाशीष जी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

इस अवसर पर स्वामी राम शंकर  (डीजिटल बाबा), स्वामी प्रभु  चैतन्यनंद , स्वामी  अर्जुनानंद , स्वामी  नरेशानंद , स्वाती दिगंबर  अखिलेश पुरी  महाराज, रमेश पुरी  महाराज (निरंजनी अखाड़ा), स्वामी महाराज पुरी महाराज,  श्यामल दास  (वृंदावन), स्वामी  योगानंद ब्रह्मचारी,  सोपान महाराज एवं  विवेक गौतम सहित अनेक संत-महात्माओं ने अपने विचार रखे।

राष्ट्रीय परशुराम परिषद के संस्थापक एवं नि. राज्य मंत्री पंडित  सुनील भराला ने सभी अतिथियों का ससम्मान स्वागत किया और उन्हें भगवान  परशुराम की दिव्य मूर्ति, परशुराम चालीसा एवं प्रतीक स्वरूप फरसा भेंट कर सम्मानित किया।

महाशिविर में आयोजित भव्य कवि सम्मेलन में देशभर से आए प्रतिष्ठित कवियों ने अपनी ओजस्वी व भावपूर्ण रचनाओं के माध्यम से भगवान परशुराम के चरित्र, शौर्य एवं आदर्शों का भावपूर्ण चित्रण किया। इस अवसर पर रुचि चतुर्वेदी ,  तुषा शर्मा जी,  सात्विक नीलदीप,  गोपाल पाण्डेय आज़ाद ,  पदम गौतम ,  मनोज मधुबन एवं  ललित तिवारी  जैसे ख्यातिप्राप्त कवियों ने अपनी सशक्त कविताओं से श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया।

इस विशेष अवसर पर परशुराम स्वाभिमान सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय भारद्वाज , राष्ट्रीय सह संयोजक शिव प्रकाश मिश्रा सेनानी  एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट, सहसंयोजक, धर्म प्रकोष्ठ  राजपुरोहित आचार्य मधुर, मुख्य प्रबंधक, महाकुंभ शिविर आयोजन समिति महेंद्र कनोडिया, शिविर प्रमुख  संतोष पंडि, प्रदेश उपाध्यक्ष   अशोक शर्मा, भोजन प्रबंधक  गोविंद दीक्षित, राष्ट्रीय समन्वयक डॉ. प्रियंका शुक्ला , मनोज शर्मा  (जिला अध्यक्ष, मेरठ, परशुराम स्वाभिमान सेना),  मुनीश शुक्ला सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित रहे।महाकुंभ में यह आयोजन न केवल साहित्यिक बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी अद्वितीय रहा, जिसने सभी उपस्थित श्रद्धालुओं के हृदय को भगवान श्री परशुराम जी की भक्ति एवं उनके आदर्शों से ओत-प्रोत कर दिया।

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