कैंसर से हर साल 12 लाख लोगों की मौत
मेरठ कॉलेज के चिकित्सा समिति द्वारा कैंसर जागरूकता गोष्ठी का किया गया आयोजन
मेरठ।मेरठ कॉलेज में मंगलवार को विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर चिकित्सा समिति द्वारा कैंसर जागरूकता गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें आईएमएस गाजियाबाद के कैंसर वैज्ञानिक प्रो. उमेश कुमार ने कैंसर के प्रमुख कारणों, रोकथाम और उपचार पर व्याख्यान दिया।
उन्होंने बताया कि कैंसर लाइलाज नहीं है। परंतु समय से जांच और इलाज नहीं किया गया तो यह जानलेवा हो सकता है। प्रो. उमेश कुमार ने बताया कि भारत में प्रतिवर्ष करीब 18 लाख नए केस सामने आते हैं, जिसमें से 80 प्रतिशत तीसरा यानी एडवांस स्टेज के होते हैं।
प्रतिवर्ष 12 लाख से अधिक कैंसर मरीजों की मृत्यु हो जाती है। कैंसर के कारणों में 15-20 प्रतिशत अनुवांशिक तथा 80-85 प्रतिशत अन्य कारण जिसमे तंबाकू का सेवन तथा दूषित मिलावटी खानपान प्रमुख है।उन्होंने बताया कि मद्यपान से मोटापा होना भी कैंसर के प्रमुख कारणों में से एक है।खाद्य पदार्थ में मिलाए जाने वाला कृत्रिम रंग कैंसर को बढ़ावा दे रहे
इसके साथ पर्यावरण प्रदूषण, कृषि में रसायनों का अत्यधिक प्रयोग, खाद्य पदार्थ में मिलाए जाने वाला कृत्रिम रंग, परिरक्षक कैंसर को बढ़ावा देती है। महिलाओं में होने वाले स्तन तथा सर्वाइकल कैंसर दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है जिसका प्रमुख कारण देर से शादी तथा बच्चे का देर से होना या नहीं होना है।
सर्वाइकल कैंसर का मुख्य कारण ह्यूमन पैपिलोमा वायरस है जो गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) को प्रभावित करता है। लड़कियों को 9 से 14 वर्ष की उम्र में अगर टीकाकरण हो जाए तो वयस्क होने पर कैंसर का खतरा कम हो जाता है।उन्होंने बताया कि मोबाइल तथा ब्लूटूथ से निकलने वाले रेडिएशन से बच्चों को ब्रेन ट्यूमर का मामला सामने आने लगा है। प्लास्टिक का गर्म या ठंडा उपयोग से डायोक्सिन नामक का रसायन निकलता है जो कैंसर कारक होता है।
इन सबके बावजूद उनका मानना है कि कैंसर निवारण योग्य है। यदि कैंसर के व्यक्तिगत व विशेषज्ञों द्वारा स्क्रीनिंग कर शुरुआती चरण में पता लगा लिया जाए तो सफल उपचार की संभावना बढ़ जाती है।
जीवनशैली, खानपान में बदलाव लाकर कम कर सकते कैंसर का खतरा
उन्होंने बताया कि कैंसर के पारंपरिक उपचारों में कीमोथेरेपी रेडिएशन थेरेपी, सर्जरी के अलावा आधुनिक उपचार पद्धति जैसे इम्यूनोथेरेपी, लक्षित थेरेपी, व्यक्तिगत चिकित्सा इसके इलाज में कारगर सिद्ध हो रहे हैं। ये अत्याधुनिक उपचार व्यक्तिगत रोगियों की आनुवांशिक प्रोफाइल के अनुसार उपचारों को तैयार करके और परिणामों मे सुधार कर कैंसर के देखभाल मे क्रांति ला रहा है।मेरठ कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मनोज कुमार रावत ने कहा कि समग्र जीवनशैली, खानपान में बदलाव के प्रति जागरूकता लाकर इसके खतरे को 70 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। रासायनिक उर्वरकों से मुक्त खाद्य पदार्थ, शारीरिक श्रम, तनाव रहित दिनचर्या से कैंसर के बढ़ते प्रभावों को नियंत्रित किया जा सकता है।इस अवसर पर प्रो. अर्चना सिंह, समन्वयक आईक्यूएसी, प्रो. चन्द्रशेखर भारद्वाज, प्रो.कामेश्वर प्रसाद, प्रो. एमपी वर्मा, प्रो. अनुराग सिंह,प्रो. अंशु, प्रो. नीलम पवार, प्रो. योगेश कुमार, प्रो. अर्चना तथा शोध छात्र अंकित, भावना, ब्रजेश, रानी, रोहित आदि मौजूद रहे।
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