मेरठ मैट्रो का ट्रायल शुरू ,दिन में चार बार कॉरिडोर पर चलेगी 

मेरठ।मेरठ मेट्रो ने शहर के अंदर एंट्री ले ली है। हालांकि अभी मेट्रो का ट्रायल रन शुरू हुआ है। जो 6 महीने तक कंटीन्यू रहेगा। मेरठ साउथ स्टेशन से मेरठ सेंट्रल स्टेशन तक यह ट्रायल रन रोजाना 3 से 4 बार हर दिन होगा।माना जा रहा है कि जुलाई 2025 में ये मेट्रो आम जनता के लिए दौड़ने लगेगी।

मेरठ में तीन कोच की मेट्रो ट्रेन शहर में 13 स्टेशनों के बीच चलेगी। एक ट्रेन में 700 से अधिक यात्री सफर कर सकेंगे।दुहाई डिपो में मेट्रो के 10 कोच पहुंच चुके हैं। आज 2 कोच की ट्रेन का ट्रायल रन किया गया है। हालांकि अभी दो कोच आने बाकी है। मेरठ में मेट्रो की अधिकतम परिचालन गति 120 किलोमीटर प्रति घंटा रखी गई है। इसकी टेस्टिंग लगातार हो रही है।मेरठ मेट्रो कॉरिडोर की लंबाई 23 किमी है, जिसमें 18 किमी का हिस्सा एलिवेटेड है और 5 किमी का सेक्शन अंडरग्राउंड है। मेरठ में कुल 13 स्टेशन हैं, जिनमें से 9 स्टेशन एलिवेटेड और 3 स्टेशन भूमिगत हैं। एक स्टेशन (डिपो स्टेशन) ग्राउंड लेवल पर होगा।वापसी में इसकी रफ्तार को थोड़ा बढ़ाते हुए मेरठ साउथ वापस ले जाया गया। शहर के अंदर आरआरटीएस कॉरिडोर पर ही मेरठ दक्षिण से मोदीपुरम डिपो तक रैपिड के साथ मेट्रो चलाई जाएगी। इसके लिए मेरठ दक्षिण स्टेशन से मोदीपुरम तक करीब 23 किलोमीटर लंबा कॉरिडोर बनाया जा रहा है।

मेरठ में 12 मेट्रो चलेंगी

इन ट्रेनों को 40 किमी प्रति घंटे से लेकर 135 किमी प्रति घंटे की डिजाइन गति पर इस दूरी में चला कर इनका परीक्षण किया जा रहा है। मेरठ में कुल 12 मेट्रो चलेंगी। एक ट्रेन में तीन डिब्बे होंगे। ट्रेन के डिब्बे गुजरात से बड़े ट्रॉले में लाए जा रहे हैं। डिपो में डिब्बों को जोड़ा जा रहा है।

इन सभी की टेस्टिंग शुरू हो गई है। इसके लिए डिपो में 700 मीटर लंबा ट्रैक बनाया है। शताब्दीनगर में विद्युत आपूर्ति के लिए पावर सबस्टेशन बनकर तैयार हो गया है, जबकि मोदीपुरम में दूसरे सब स्टेशन का काम चल रहा है।

मेरठ मेट्रो का डिजाइन बेहद आकर्षक व आधुनिक है। इसमें यात्रियों को अधिकतम आराम, सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है। ट्रेनें वातानुकूलित हैं, जिनमें बैठने की व्यवस्था, सामान रखने की रैक, ग्रैब हैंडल, यूएसबी डिवाइस चार्जिंग सुविधा आदि हैं।

मेरठ मेट्रो की ट्रेन अत्याधुनिक हल्के वजन और स्टेनलेस स्टील से निर्मित हैं। एक ट्रेन में 700 से ज्यादा यात्री सफर कर सकेंगे। सभी स्टेशनों पर प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर (पीएसडी) के साथ मेट्रो संचालन को जोड़ा जाएगा, ताकि सुरक्षा का पूरा पालन हो सके।

ऊर्जा खपत में कमी के लिए ट्रेनों के दरवाजों में पुश बटन का प्रयोग किया गया है, जिसकी मदद से सिर्फ वही दरवाजे खुलेंगे, जहां पुश बटन को दबाया जाएगा। आपातकालीन निकास उपकरण, अग्निशामक यंत्र, अलार्म और टॉक-बैक सिस्टम जैसे सुरक्षा सिस्टम को एकीकृत किया गया है। आपातकालीन स्थिति में मेडिकल स्ट्रेचर ले जाने के लिए ट्रेन में जगह की व्यवस्था, व्हील चेयर के लिए भी स्थान होगा।

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