नज़र

मेरी आँखों के अश्क़ छुपाने लगे।
लोगों से भी नज़रें मिलाने लगे।।

जब से आए हो मेरी ज़िंदगी में।
हसीं नज़ारे यूँ दिखाने लगे।।

तमाम थे अधूरे तुम बिन।
सोए ख़्वाबों को जगाने लगे।।

चाह के भी निकल न पाऊँ मैं।
इस क़दर जाल फैलाने लगे।।

धुँधला–धुँधला था सारा जहान ।
आँखों से अँधेरा मिटाने लगे।।

पल भर रहा न जाता तुम बिन।
ऐ चश्मा! अपनी आदत लगाने लगे।।
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- प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम, जिला- गरियाबंद, छत्तीसगढ़।

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