मैं शराब के नहीं, सफलता और अहंकार के नशे में था : राम गोपाल वर्मा

चेन्नई। निर्देशक राम गोपाल वर्मा की फिल्म 'सत्या' हाल ही में सिनेमाघरों में फिर से रिलीज हुई। निर्देशक ने सोशल मीडिया पर एक भावुक नोट साझा किया और बताया कि वह शराब के नशे में नहीं, बल्कि अपनी सफलता और अहंकार के नशे में थे। यह एहसास उन्हें 27 साल बाद 'सत्या' देखने के बाद हुआ।
सोशल मीडिया पर सक्रिय राम गोपाल वर्मा ने एक्स हैंडल पर एक पोस्ट साझा किया, इसमें वह भावुक नजर आए। पोस्ट को साझा करते हुए उन्होंने लिखा, “ ‘सत्या’ को 27 साल बाद देखकर मैं इतना भावुक हो गया था कि मेरे आंसू बहने लगे और मैं इस बात की परवाह नहीं कर रहा था कि कोई देखेगा या नहीं। आंसू सिर्फ फिल्म के लिए नहीं, बल्कि उसके बाद जो हुआ, उसके लिए थे।"
उन्होंने कहा, “फिल्म बनाना जुनून की पीड़ा से पैदा हुए बच्चे को जन्म देने जैसा है, बिना यह जाने कि मैं किस तरह के बच्चे को जन्म दे रहा हूं। ऐसा इसलिए है क्योंकि एक फिल्म को टुकड़ों में बनाया जाता है, बिना यह जाने कि यह कब बनकर तैयार होगी।
निर्देशक ने लिखा, " मैं शराब के नशे में नहीं, बल्कि अपनी सफलता और अपने अहंकार के नशे में था, हालांकि, मुझे दो दिन पहले तक इसका एहसास नहीं था। 'रंगीला' और 'सत्या' की रोशनी ने मुझे अंधा कर दिया और अपनी तकनीकी जादूगरी या कई अन्य चीज़ों का भद्दा प्रदर्शन करने को लेकर फिल्में बनाने में भटक गया, जो निरर्थक थीं। मैं एक सरल और सामान्य सत्य को भूल गया था कि तकनीक किसी दिए गए विषय को ऊपर उठा सकती है, लेकिन उसे आगे नहीं ले जा सकती।”
राम गोपाल वर्मा ने यह स्वीकार करते हुए कि उनकी बाद की कुछ फिल्में सफल रही होंगी, लेकिन उनमें से किसी में भी वह ईमानदारी और निष्ठा नहीं थी जो ‘सत्या’ में थी, आगे कहा, “ मेरे शानदार नजरिए ने मुझे सिनेमा में कुछ नया करने के लिए प्रेरित किया, उसने मुझे अपने काम के मूल्य से भी अंधा कर दिया और मैं आसमान की ओर मुंह करके दौड़ने वाला वह शख्स बन गया, जो अपने पैरों के नीचे लगाए गए बगीचे को देखना ही भूल गया और यही मेरी गरिमा में आई गिरावट की वजह बन गई।"

No comments:

Post a Comment

Popular Posts