महाकुंभ की व्यथा

सपना सी.पी. साहू 'स्वप्निल' 

महाकुंभ में मोनालिसा ने अपनी व्यथा, उसकी ही जुबानी सुनाई। जिसे सुनकर लगा कि अध्यात्म, आस्था के अद्वितीय महाकुंभ में यूट्यूबर, इंफ्लूएंसर और गलत सोच वालों के कारनामों के चलते एक सोलह साल की बच्ची, जो भगवान की दी सुंदर आंखों की वजह से, सुंदर शक्ल की कारण से किस तरह परेशान हो रही है। किस तरह उसे बड़ी भीड़ घेर रही है, उसके साथ फोटो खींचा रही है। कुछ तो उद्दंडता के चलते उठा ले जाने की धमकी भी दे रहे है।  

ऐसी स्थिति बहुत दुखद है, निम्न मानसिकता रखने वाले इंफ्लूएंशर की स्थिति जो निरंतर किसी को लेकर अफवाहें फैलाते रहते है। ताकि सोशल मीडिया पर उनकी रील वायरल हो और वे लोग सोशल मीडिया के जरिए पैसे कमा सके। वे इसके लिए उन दीन, हीन, शांति की राह पर चलने वाले जैसे सबको परेशान कर सकते है। वे जो कमाकर खाना चाह रहे है, उनको खाने-कमाने तक नहीं दे रहे है।



दूसरी ओर हम सब देख रहे है कि जो जीवन में शांति के लिए अध्यात्म की ओर बढ़ रहे आईआईटी किए अभय सिंह को, जो इतना पढ़ा-लिखा, ज्ञानी होने के बाद ढोंगी बनाने में लगे है। जबकि, वह भूल रहे है कि आध्यात्मिक होना ही सनातन धर्म का अंतिम पड़ाव है। हमारे चार आश्रमों में पहला ब्रह्मचर्य, दूसरा गृहस्थ, तीसरा वानप्रस्थ और चौथा संयास ही है। यह जरूरी भी नहीं की गृहस्थ आश्रम में हर कोई प्रवेश करें। उस समझदार के बारे में बहुत गलत बोल रहे है। उसके निजी जीवन और उसके घर तक पहुंच गए है। किसी को वानप्रस्थ होने के बाद जबरदस्ती इतना परेशान क्यों किया जा रहा है। उसका जीवन है वह जैसे चाहे जीने दो।

दूसरी ओर, ग्लैमर और सोशल मीडिया में डूबी, माॅडल सी हर्षा रिछारिया जो महिला सनातन धर्म को जानने पहुंची थी तो उसके बनावट, श्रंगार पर, उसकी लाइफ स्टाइल पर वीडियों बना रहे है। उसकी पुरानी वीडियों, फोटो निकालकर उसको चरित्रहीन बताने तक में लग गए है। अरे भाई, सबका अपना-अपना तरीका है रहन-सहन का, क्या करना है इससे।

वही विडंबना ये भी देखिए कि मजे करने के लिए पहुंचे इंफ्लूएंशर सुंदर साध्वियां खोज रहे है। साध्वियों को 1, 2, 3, 4 रैंकिंग दे रहे है। क्या महाकुंभ में सौन्दर्य प्रतियोगिता चल रही है। क्या महाकुंभ कुछ ओछी मानसिकता वालों की इस तरह की हरकतों के चलते विधर्मियों के बीच हास्यास्पद नहीं बन रहा है? 

जो इंफ्लूएंशर, साधु संतों को मीडिया में लाना चाह रहे है। सोचने का विषय है अगर वे फेमस होने कि लालसा रखते तो वे सिर्फ कुंभ के मेले में ही क्यों दिखते? हम सब जानते है कि धार्मिक कुंभ के आयोजन के अलावा, यह साधु संत स्वयं कहा जाते है वह आम जन के लिए रहस्य ही है। ये महान साधु संत पब्लिसिटी के लिए नहीं निकले है। ये पुण्य के लिए महाकुंभ में आए है। 

वैसे जो प्रसिद्ध होना चाहते है वे, खुद अपना प्रचार-प्रसार कर लेंगे। लेकिन जो नहीं चाहते तो कोई साधना में रुकावट डालने, मोबाइल, कैमरा और माइक लेकर क्यों पहुंच रहे है, ऐसे लोग। यह कैसी शालिनता दिखा रहे है इंफ्लूएंशर? विचारणीय है। सभ्य समाज में एक साजिश के तहत, उद्दंडता फैलाने का और सनातनियों की आस्था का मजाक बनाने का तरीका हो रहा है, यह सब। जरूर सोचिए।

समझने वाली बात है जो लोग बाबाओं को परेशान कर रहे है, तो बाबा जी तो चिमटा उठाकर इन नासमझ को मार सकते है पर यह बच्ची परेशान होने के बाद भी मार नहीं सकती क्योंकि, हमारे देश में जो महिला आवाज उठाती है, तो सीधे लोग उसके चरित्र में खामियां निकालने लगते है। 

जो सभ्यता से रहे नारी तो परेशान करते है और बदतमीजी करे तो अकारण गाली गलौच देते है। बस, यही मिल रहा है आजकल के सोशल मीडिया में इंफ्लूएंशरों के द्वारा चलाए ट्रेंड से। 



अज्ञानी इंफ्लूएंशर अपने आपको मीडियाकर्मी बताकर भी वीडियो रिकार्ड कर रहे है, उनके द्वारा पत्रकारिता का स्तर तक प्रभावित हो रहा है। इनके चक्कर में न पडे़, सभी सावधान रहे ऐसी गलत पब्लिसिटी पाने से बचे। अभी तो महाकुंभ में मुख्यमंत्री योगी जी और पूरी उत्तर प्रदेश सरकार के अच्छे प्रबंधन को देखते हुए हम सभी सनातनी, हमारे विश्व के सबसे बडे़ आध्यात्मिक मेले महाकुंभ में श्रद्धा की डुबकी लगाकर सफल बनाए।  

इंदौर (म.प्र.)

स्वरचित, मौलिक व अप्रकाशित आलेख

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