शहर का मास्टर ड्रेनेज प्लान तैयार कराएगा जल निगम

इंटीग्रेटेड स्टार्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम योजना को मूर्त रूप देने शासन ने नामित की कार्यदायी संस्था

अब एक मीटर से ज्यादा चौड़े नालों का निर्माण मास्टर ड्रेनेज प्लान के अनुसार ही होगा

मेरठ।  शहरों में होने वाले जलभराव से निजात दिलाने के लिए सरकार गंभीर है। इंटीग्रेटेड स्टार्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम योजना लांच की गई है। जिसके तहत मेरठ सहित प्रदेश के अन्य शहरों का मास्टर ड्रेनेज प्लान तैयार किया जाएगा। जिसको मूर्त रूप देने के लिए शासन ने जलनिगम की सीएंडडीएस शाखा को कार्यदायी संस्था नामित किया है।

अब शहर में एक मीटर से ज्यादा चौड़े नालों का निर्माण मास्टर ड्रेनेज प्लान के अनुसार होगा। मास्टर ड्रेनेज प्लान की गाइड लाइन एक अप्रैल से प्रभावी हो जाएगी। मेरठ शहर का मास्टर ड्रेनेज प्लान तैयार करवाने के लिए जलनिगम सीएंडडोएस जल्द टेंडर जारी करेगा। टेंडर के जरिए एक कंपनी का चयन किया जाएगा। जो पूरे शहर में जलनिकासी का मास्टर प्लान तैयार करेगी।नगर  निगम के सुपरविजन में यह कार्य होगा।

315 छोटे-बड़े नाले है वर्तमान में शहर में निर्माण की आवश्यकता

जलनिगम के अधिकारियों का दावा है कि सर्वे पूरा करने में कम से कम नौ महीने का समय लगेगा। मास्टर ड्रेनेज प्लान अगले 25 सालों को देखते हुए तैयार किया जाएगा। 

शहर में लंबे समय से मास्टर ड्रेनेज प्लान की जरूरत नहसूस की जा रही है। दरअसल, शहर में 315 छोटे-बड़े नाले हैं. जिनसे मुहल्लों की नालियां जुड़ी हैं। शहर से बाहर काली नदी तक बरसात का पानी पहुंचाने के लिए वर्तमान में चार प्रमुख ओडियन, आबूनाला एक व आबूनाला दो और दिल्ली रोड नाला हैं। बागपत रोड, दिल्ली रोड, कंकरखेड़ा, पल्लवपुरम, गंगानगर क्षेत्र में नए नालों के निर्माण की आवश्यकता है।

तेजी से होते शहरीकरण ने भी बढ़ाई जरूरत

रैपिड रेल कारिडोर बनने के बाद शहर का विस्तार तेजी के साथ मोदीपुरम से लेकर मोहिद्दीनपुर तक हो रहा है. गंगा एक्सप्रेस-वे और मेरठ-दिल्ली एक्स्प्रेस-वे के पांचवे चरण के विस्तार के साथ मेरठ- बुलंदशहर हाइवे पर बिजौली तक शहर का फैलाव होने की संभावना है।मेरठ-पौड़ी हाइवे फोरलेन होने के बाद गंगानगर की ओर तेजी से शहरीकरण हो रहा है। ऐसे में लोगों को ड्रेनेज जैसी मूलभूत सुविधा भी लोगे को मुहैया करानी है।

ड्रेनेज सिस्टम में सुधारी की उम्मीद

पुराने नालो पर क्षमता से दोगुना बरसात का पानी बाहर निकालने का दबाव है। जिससे नाले बिन बरसात भी ओवरफ्लो रहते हैं। बड़े और छोटे नालों की कनेक्टविटी व उनका जल प्रवाह भी ठीक नहीं है। आबूनाला दो ( कसेरूखेड़ा) नाले में दौराला तक का पानी आता है।।नाले में बरसात के महीने में क्षमता से अधिक पानी आने से डिफेंस कालोनी, मीनाक्षीपुरम कालोनियां जलभराव का दंश झेलती हैं। ये इलाके भी ड्रेनेज सिस्टम में सुधारी की उम्मीद लगाए हुए हैं।


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