किडनी निकालने के मामले में केएमसी हाॅस्पिटल की बढ़ी परेशानी 

अस्पताल से सीएमओ  ने किया जवाब तलब

प्रकरण की न्यायिक जांच कराने के लिए डीएम को भेजी चिट्‌ठी

मेरठ। बागपत रोड स्थित केएमसी हाॅस्पिटल  के खिलाफ समाजवादी युवजन सभा के नेताओं द्वारा किए गए हंगामे, विरोध प्रदर्शन के बाद स्वास्थ्य विभाग जागा है।  सीएमओ डॉ. अशोक कटारिया ने अस्पताल प्रबंधन से पूरे मामले में जवाब तलब किया है। वहीं प्रकरण की न्यायिक जांच कराने के लिए समिति गठित करने का पत्र भी भेजा है। 

सीएमओ की तरफ से केएमसी अस्पताल प्रबंधन को पत्र भेजा है। जिसमें इस पूरे मामले में अपना स्पष्टीकरण देने को कहा गया है। उधर डीएम को भी पत्र भेजकर प्रकरण की न्यायिक जांच के लिए समिति गठित करने की मांग की है।

सपाइयों ने कहा कि जब केएमसी अस्पताल के डॉक्टरों पर मुकदमा दर्ज हो चुका है। वहां महिला की किडनी निकालने का जघन्य अपराध हुआ है तो अब तक अस्पताल पर बुलडोजर क्यों नहीं चला। अस्पताल गिराया जाए, इसका लाइसेंस निरस्त किया जाए।

सपा कार्यकर्ताओं ने बताया बुलन्दशहर निवासी कविता का 6 साल पहले मेरठ के केएमसी अस्पताल में ऑपरेशन हुआ था। जब वहां के छह डॉक्टरों की मिलीभगत से उस महिला की किडनी निकाल कर बेच दी गई। इसकी जानकारी कविता को तब हुई जब उसके पेट में दर्द हुआ।जब उसने अपना अल्ट्रासाउंड करवाया। तब उसे पता चला उसके अंदर उसकी किडनी नहीं है। उसके बाद में सरकारी कार्यालय के चक्कर काट रही थी। अब कोर्ट ने केएमसी अस्पताल मालिक समेत 6 डॉक्टरों के खिलाफत के दर्ज किया है।सपाइयों ने कहा कि किडनी गैंग मेरठ में सक्रिय है। ये अफसरों की मिलीभगत व सरकार के संरक्षण के बिना नहीं चल सकता। इस मामले की गहनता से जांच बेहद जरूरी है। इस अस्पताल को सील कर इसकी जांच कराई जाए। ये लोग किडनी निकालकर कहां बेच रहे थे, चैक किया जाए। इस पूरे रैकेट को तोड़ा जाए।

कोविड के दौरान यहीं हुई थीं मौतें

सपाइयों ने आरोप लगाया कि इसी केएमसी अस्पताल में कोविड के समय 61 लोगों की ऑक्सीजन की कमी से मौत हो गई थी। इनकी मौत का जिम्मेदार मेरठ की जनता केएमसी अस्पताल के डॉक्टरों को मानती है।

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