ट्रंप की नीतियों पर निगाहें
इलमा अजीम
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने शपथ लेने के तुरंत बाद अपने फैसलों से दुनिया का ध्यान खींच लिया है। इनमें बर्थ राइट सिटीजनशिप समाप्त करने सहित विश्व स्वास्थ्य संगठन से बाहर होना भी शामिल है। ट्रंप के फैसले से 10 लाख भारतीयों पर भी असर पडऩे की आशंका है। वैसे तो ट्रंप ने शपथ ग्रहण के बाद अपने संबोधन में ही अपनी नीतियों को लेकर स्पष्ट संकेत दे दिए हैं।
अब इसका वास्तविक असर विश्व समुदाय की प्रतिक्रियाओं में देखने को मिलेगा। इनकी वजह से ही वैश्विक शक्ति संतुलन में परिवर्तन भी होना तय है। अपने संबोधन में ट्रंप ने संरक्षणवाद की ओर लौटने का संकेत दिया है। ‘अमरीका फर्स्ट’ की नीति अमरीकी अर्थव्यवस्था में कुछ क्षेत्रों को लाभ पहुंचा सकती है, लेकिन उनका दीर्घकालिक प्रभाव न केवल अमरीका बल्कि समूची दुनिया के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
क्योंकि ट्रंप की नीतियां अमेरिकी उत्पादों को बढ़ावा देने व विदेशी आयात पर निर्भरता कम करने पर केंद्रित रहेंगी। ट्रंप का रुख जलवायु परिवर्तन समझौतों और पर्यावरणीय नीतियों के खिलाफ रहा है। ट्रंप के शासन के दौरान जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक प्रयासों को झटका लग सकता है।
इससे ग्रीन एनर्जी और कार्बन उत्सर्जन में कमी के प्रयास भी धीमे पड़ सकते हैं। जाहिर तौर पर इससे प्रमुख शक्तियों के बीच स्पर्धा के साथ तनाव भी बढ़ सकता है। माना जा रहा है कि ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध व तकनीकी प्रतिस्पर्धा और तेज हो सकती है। यह बात और है कि ट्रंप की चीन-विरोधी नीतियां कहीं न कहीं भारत के हित में होंगी लेकिन देशों का नया ध्रुवीकरण अंतरराष्ट्रीय कूटनीति को और जटिल बनाने वाला होगा।
No comments:
Post a Comment