देश भर के कैंटोनमेंट बोर्ड क्षेत्र में भी टी ओ डी पॉलिसी को राज्य सरकार की तरफ से लागू करें - डा. लक्ष्मी कांत वाजपेयी 

 राज्यसभा सांसद डॉक्टर लक्ष्मीकांत वाजपेई ने रक्षा मंत्री को लिखा पत्र
 मेरठ। डॉ लक्ष्मीकांत वाजपेई ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को मेरठ छावनी क्षेत्र की समस्या संबंधित पत्र लिखा उन्होंने मांग करते हुए कहा है कि टी ओ डी पॉलिसी और गाइडलाइन भारत सरकार की है इसलिए रक्षा मंत्रालय को भी अपने देश भर के कैंटोनमेंट बोर्ड क्षेत्र में भी टी ओ डी पॉलिसी को राज्य सरकार की तरफ से लागू करने का निर्णय करना चाहिए
राज्यसभा सांसद डॉ लक्ष्मीकांत वाजपेई ने कहा कि नगरीय क्षेत्र में जहां जहां भी आरटीएस और मेट्रो गुजरती है उसके संबंध में भारत सरकार ने टी ओ डी पॉलिसी और गाइडलाइन निर्धारित की  थी इसका कारण यह था कि इसमें नियम बनाने का अधिकार राज्य सरकार का है
 भारत सरकार ने गाइडलाइन बनाकर राज्य सरकारों को इस बात के लिए आग्रह किया था उनके क्षेत्र में जहां-जहां भी आरआर टी एस / मेट्रो गुजर रही हो वहां इससे संबंधित नियमावली बनाकर उसका उपयोग करें इस पॉलिसी के अंतर्गत जहां-जहां से भी आरटीएस मेट्रो गुजरती है उसके डेढ़ किलोमीटर आवासीय क्षेत्र इस पॉलिसी के अधीन होता है यह दिल्ली के लागू हुआ और उसके बाद अब जहां-जहां भी जा रही है वहां भी लागू हो रही है उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश में सरकार ने 2022 में केंद्रीय गाइडलाइन के अनुसार अपनी नियमावली बना दी और उसका लाभ मुरादनगर दुहाई होते हुए मेरठ महानगर में मिलने लगा लेकिन कैंटोनमेंट बोर्ड मेरठ क्षेत्र में इसका लाभ नहीं मिल रहा है जिस कारण यह है कि आवासीय क्षेत्र में 70% आवासीय और 30% व्यावसायिक है और अगर किसी व्यावसायिक क्षेत्र से यह परियोजना गुजर रही है तो उसमें 70% व्यावसायिक और 30% आवासीय की अनुमति होती है एफ ए आर के विषय में इस नियमावली में स्पष्ट किया गया है किसी अधिकारी के विवेक पर नहीं छोड़ा गया है वाजपेई ने कहा कि मेरठ के संबंध में यदि हम विचार करें तो कठिनाई यह आ रही है कि नगरीय क्षेत्र में उत्तर प्रदेश सरकार ने यह सुविधा प्रदान कर दी है और मेरठ विकास प्राधिकरण ने उसके अनुसार कार्य भी प्रारंभ कर दिया है वैशाली मैदान से लेकर जीरोमाइल शिवाजी मूर्ति तक कैंटोनमेंट बोर्ड का क्षेत्र है उसमें यह सुविधा प्राप्त नहीं हो रही है वाजपेई ने कहा कि उनके द्वारा जो पत्र सीईओ कैंटोनमेंट बोर्ड को लिखा गया था उसके उत्तर में उन्होंने यह बात कही थी कि यह अधिकार रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत निहित है इसलिए यह प्रतिबंध के साथ कि भले मालिकाना हक ना हो लेकिन विकास और नियमितीकरण होने देना चाहिए इसका परिणाम यह होगा कि कैंट क्षेत्र में चल रहे हजारों मुकदमे रिहायशी और व्यावसायिक हाईकोर्ट में चल रहे हैं उनमें से अधिकांश समाप्त हो जाएंगे कैंट क्षेत्र की जनता का सुगम पूनवर्स होगा रोजगार के अवसर बढ़ेंगे आपसी सहकार से समझदारी सहयोग का वातावरण जनता और कैंट बोर्ड के बीच में बढ़ेगा



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