एडटेक, शिक्षा को सशक्त बनाने और समाज में परिवर्तन लाने का एक क्रांतिकारी माध्यम है – कुंवर शेखर विजेंद्र

मेरठ।शोभित विश्वविद्यालय के कुलाधिपति कुंवर शेखर विजेंद्र ने स्मार्टएड कॉन्क्लेव में शिक्षा में एडटेक (शैक्षिक प्रौद्योगिकी) की व्यापक संभावनाओं पर अपने विचार साझा किए। अपने प्रभावशाली संबोधन में उन्होंने एडटेक को मात्र तकनीकी नवाचार न मानते हुए इसे भारत की शिक्षा व्यवस्था में समानता, कौशल विकास, और समावेशिता लाने का एक क्रांतिकारी साधन बताया।  

भविष्य के रोजगार के लिए स्नातकों को तैयार करना विषय पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, एडटेक ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच की खाई को पाट सकता है। यह न केवल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सुलभ बनाता है, बल्कि छात्रों को उद्योग-संबंधित कौशल प्रदान करके उन्हें आत्मनिर्भरता और उद्यमशीलता के लिए तैयार करता है। विशेष रूप से टियर-2 और टियर-3 शहरों में, यह क्षेत्रीय आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। 

उन्होंने एडटेक के माध्यम से व्यक्तिगत शिक्षा, वर्चुअल प्रयोगशालाओं, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-आधारित समाधानों के महत्व पर प्रकाश डाला, जो विभिन्न सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के छात्रों को सशक्त बनाने का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि शोभित विश्वविद्यालय कैसे प्रौद्योगिकी का उपयोग करके वंचित और पिछड़े क्षेत्रों के छात्रों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार कर रहा है।  

कुंवर शेखर विजेंद्र ने कहा, शिक्षा का उद्देश्य केवल रोजगार तैयार करना नहीं है, बल्कि समाज के सशक्तिकरण का माध्यम बनना चाहिए। एडटेक न केवल शिक्षा की पहुंच को व्यापक बनाता है, बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि दूरस्थ क्षेत्रों के छात्र भी समान अवसर प्राप्त करें और भविष्य के लिए तैयार हों।”  

उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि विश्वविद्यालयों और एडटेक कंपनियों को यह सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक जिम्मेदारी निभानी चाहिए कि प्रौद्योगिकी का लाभ समाज के सबसे वंचित वर्गों तक पहुंचे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों, नीति निर्माताओं, और उद्योग जगत के बीच समन्वय एक समावेशी और स्थायी शिक्षा प्रणाली के निर्माण में सहायक होगा।  

स्मार्टएड कॉन्क्लेव में एडटेक के उपयोग से शैक्षणिक और औद्योगिक अंतराल को पाटने, उद्यमिता को प्रोत्साहित करने, और तकनीकी एवं सॉफ्ट स्किल्स से लैस स्नातकों को तैयार करने पर विचार-विमर्श किया गया।  

कुंवर शेखर विजेंद्र के विचारों ने यह स्पष्ट किया कि शिक्षा और प्रौद्योगिकी का प्रभाव केवल रोजगार तक सीमित नहीं, बल्कि सामाजिक उत्थान और सशक्तिकरण का माध्यम भी है।

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