सड़क हादसों का संकट

इलमा अजीम

जयपुर में हुए एलपीजी टैंकर हादसे में एक दर्जन से अधिक लोगों की जिंदा जलकर मौत हो गई, जबकि 35 लोग गंभीर रूप से झुलस गए हैं। इसके अलावा कई अन्य घटनाओं में भी लोगों की मौत हो गई। इसके बाद भी सड़क दुर्घटनाओं सिलसिला बिलकुल भी थम नहीं रहा है। ग्लोबल रोड सेफ्टी स्टेटस रिपोर्ट 2023 के अनुसार, 90 प्रतिशत से ज्यादा घातक दुर्घटनाएं निम्न और मध्यम आय वर्ग के देशों में हो रही हैं, जबकि इन देशों में विश्व के सारे वाहनों का 48 प्रतिशत ही हैं। 
विश्व में करीब 12 लाख से अधिक लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु होती है और 2 से 3 करोड़ लोग दुर्घटनाग्रस्त होते हैं। यह संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। सड़क के निर्माण और उसके उपयोग का संबंध आर्थिक प्रगति, आजीविका और बाजारीकरण के साथ गहरे रूप में जुड़ा हुआ है। दुखद सत्य यह है कि हमारे देश भारत का स्थान सड़क दुर्घटनाओं के क्षेत्र में काफी ऊंचा है। भारत में प्रतिवर्ष नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के अनुसार, 1,65,600 लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपना जीवन खो देते हैं। 
देश के सभी राज्यों में, कुछ राज्यों को छोड़कर, समुचित पब्लिक ट्रांसपोर्ट उपलब्ध नहीं है। प्राइवेट बसों के भरोसे बहुत दुरूह तरीके से सवारियां यात्रा करती हैं। जो यात्री सक्षम हैं, वह कारों और टैक्सियों का उपयोग करते हैं। हमारे देश में समुद्र के नीचे बनी चमत्कारी टनल का परिवहन मार्ग तो बहुत चर्चित है, किंतु आज आम आदमी के लिए अति आवश्यक, सहज, सुविधाजनक और सस्ते पब्लिक ट्रांसपोर्ट, जिसमें मेट्रो नेटवर्क और बसें शामिल हैं, के बारे में सरकार नहीं सोचती। स्पष्ट है कि हमारे जैसे देशों को अत्याधुनिक परिवहन तंत्र की नहीं, बल्कि आम आदमी की जेब के अनुसार परिवहन की आवश्यकता है।
 इस दृष्टि से मेट्रो और बसों का अच्छा नेटवर्क सबसे कारगर रहेगा। किन्तु हमारे देश के ट्रैफिक प्लानिंग के लिए जिम्मेदार विभाग, लोक निर्माण है, जो शहरी, ग्रामीण और स्टेट हाईवे बनाता है, पुलिस विभाग जो ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिए जिम्मेदार होता है और स्वास्थ्य विभाग जो दुर्घटनाग्रस्त लोगों की देखभाल करता है, परस्पर सामंजस्य से काम नहीं करते हैं। 


इसके अलावा सड़कों पर बढ़ रही वाहनों की भीड़ न केवल सामान्य नागरिक के जीवन को दुश्वार करती जा रही है, यह स्थिति पर्यावरण, स्वास्थ्य और जीवित रहने के सामान्य अधिकार के विरुद्ध है। हमारे देश में प्रति दिन 18 वर्ष के 26 युवा, 18 से 25 आयु वर्ग के 91 युवा, और 25 से 35 वर्ष के 117 युवा मृत्यु को प्राप्त होते हैं। स्पष्ट है कि अन्य प्रदेशों की तरह राजस्थान में भी सड़क सुरक्षा को लेकर जवाबदेही का अभाव है। सड़क दुर्घटना मृत्यु दर हमें क्यों कर परेशान नहीं करती, यह बड़ी आश्चर्य की बात है।

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