कुमार विश्वास का तंज- "
पहले के राम अच्छे थे"मेरठ महोत्सव में भाजपा सांसद अरुण गोविल के नहीं पहुंचने पर ली चुटकी
मेरठ। कवि कुमार विश्वास ने आज कहा- "पहले के राम असली थे। आप पहले भी भगवान राम के भरोसे थे। आगे भी उनके ही भरोसे रहोंगे। "ये बातें कुमार विश्वास ने मेरठ महोत्सव में कही। दरअसल उनका इशारा भाजपा सांसद अरुण गोविल की ओर था। उन्होंने नाम न लेते हुए उन पर तंज कसा। इसकी वजह ये थी कि अरुण गोविल
कुमार विश्वास ने भाजपा नेताओं की चुटकी ली। उन्होंने कहा- "मैं आज यहां पर आया हूं तो भाजपा वाले ये न समझे कि मैं आज कोई अच्छी बात बोलूंगा। मेरा पेमेंट हो चुका है इसलिए आज किसी को नहीं छोड़ने वाला हूं। पूर्व भाजपा सांसद राजेंद्र अग्रवाल का नाम लेते हुए कहा-"लोग कह रहे हैं राजेंद्र जी बदल गए हैं अब वो सांसद नहीं है। जबकि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कह रहे हैं पहले वाले राम अच्छे थे।
उन्होंने राजेंद्र अग्रवाल की चुटकी लेते हुए कहा- आज यहां पर भीड़ अधिक हो गई है। अगर किसी को बैठने की सीट न मिली हो तो आप राजेंद्र अग्रवाल की तरफ देख सकते हैं।कुमार विश्वास ने आगे कहा- "मेरठ से मेरा बहुत पुराना नाता रहा है। मैं आज यहां पर बहुत दिनों के बाद आया हूं। मैं दुनिया भर के 44 देशों में घूम आया हूं लेकिन कभी नहीं कहा कि मैं गाजियाबाद का हूं। मेरठ में मैं पैदा हुआ हूं। हमारे यहां एक कहावत है कि हाथी घूमे गांव-गांव जिसकी हाथी उसी का नाव। "
उन्होंने मीडिया वालों पर चुटकी लेते कहा-"आज देश भर की बड़ी मीडिया यहां पर मौजूद है। ये इसलिए नहीं आये हैं कि कल कवि सम्मेलन दिखाए कवर करे बल्कि इसलिए आये हैं क्योंकि कुमार विश्वास कुछ बोले और ये तुरंत ब्रेकिंग न्यूज चला दें। 'भाजपा नेताओं के सामने कुमार विश्वास ने किया इशारा'।पत्रकार मित्रों अगर आपने इशारा अपनी पत्नी का पकड़ा होता तो यहां नहीं आना पड़ता। उन्होंने आगे कहा-आने वाले समय में मेरठ महोत्सव देश के सबसे श्रेष्ठ महोत्सव की लिस्ट में शामिल होगा।
महोत्सव में बनाए गये मंच से विभिन्न प्रदेशों के डांस को कलाकारों ने प्रस्तुत किया वही रॉक बैड के कलाकारों ने युवाओं को थिरकने के लिए मजबूर कर दिया। मुख्य मंच पर लेजर शॉ का आयोजन जय हो के गीत पर किया गया। लेजर शो का अदभुत नजारा देख दर्शन दंग रहे गये। इसी मंच से 1857 क्रांति से लेकर अब के सफर को बखूबी तरीके दर्शाया गया। रात अठ बजे जिसका सभी को ब्रेसबी से इंतजार था कवि सम्मेलन का आगाज हुआ। कवि कुमार विश्वास राम राम कह कर अपनी कविताओं को प्रस्तुत किया । उनकी भाषा लोकल रही।उसी अंदाज में राजनीति पर जमकर तंज कसे।
भ्रूण हत्या पर कविता कहते हुूूए उन्होनें कहा इसे कमजोर करिए अपनी आवाज से अपने दांत से के दिल के बदलने का सामान न समझा जाए यह कहती है आज की लड़की के दिल के बदलने का सामान समझा जाए मुझको अब इतना भी आसान न समझा जाए मुझको अब इतना भी आसान न समझा जाए मैं भी बेटों की तरह जीने का हक मांगती हूं । मैं भी बेटों की तरह जीने का हक मानती हूं इसको गद्दारी का इलाज न समझा जाए। हमने देखी होगी अपने दोस्तों के साथ जाते हुए निरीक्षण सवार होकर माध्यम से समझा जाए मैं भी बेटों की तरह जीने का हक मानती हूं इसको गद्दारी का ऐलान न समझा जाए और अब तो अब तो बेटे भी हो जाते हैं घर से रुखसत।
सम्मलेन में कवियत्री कविता तिवारी कहा इस धरती पर बैठने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए जिस धरती ने क्रांति का सर फूटा हो उसे धरती पर जिस धरती पर मर मिटने के लिए जहां से क्रांति की ज्वाला प्रज्वलित हुई हो ऐसी धरती पर बैठना भी सौभाग्य होगा तो मैं आपके हाथ जोड़कर निवेदन कर रही हूं। मेरे शब्द और आपकी भावना दोनों मिलकर मां को बुलाएंगे और आज इस बात की भी परीक्षा है कि किस बात की विजय होगी तमाम प्रकार की व्यवस्थाएं भी चल रही है लेकिन आपकी आस्थाएं यदि प्रबल हो तो इस प्रकार के विभिन्न बढ़ाएं शांत हो जाते हैं तो आपकी एक बार करतल ध्वनि मुझे आश्रित करें कि आप मां सरस्वती की वंदना में सम्मिलित होंगे तुम्हारे ही गीत गा रही है सारी धारा तुम्हारे ही गीत गा रही है ऐसा लगा तू माधुरी वे बिना बजा रही है ऐसा वीणा बजा रही है।
कवि हेमंत पांडे ने कविता के माध्यम से कहा कि अगर आपको आपको बहुत अच्छा लगेगा बड़ा ख्याल आप लोग का कर भी हम कवियों का बहुत ख्याल रखते हैं कि बेटा होटल अच्छा है कि नहीं है टाइम से पहुंच गए कि नहीं पहुंच गए आप समझ लीजिए कि इतना ही ख्याल रखते हैं जितना आजकल मोदी की नीतीश कुमार का रख रहे हैं कैसे कंफर्म करो नीतीश जी सोए कि नहीं चल दिए। मेरा सौभाग्य आदरणीय सर के साथ में बैठा हूं और मैं आपको बता दूं ऐसे ही नहीं बैठा हूं मैं भी बहुत खाई थी लेकिन चोट उनको नहीं लगी है
अत्याचार पर लिखो तुम कलाम के सिपाही हो कुछ क्रांति लिखो देश में फैली हुई भ्रांति लिखो कब तक देश को यूं गुलाम लिखोगे मलिक बिपाशा पर कब तक कलम लिखोगे हम जानते हैं नेता किसी लायक होते अगर वह शरीफ होते तो क्या विधायक होते हैं विषय है। हमने कहा गुरुजी का खुलेआम शिकार होने दो आप चाहते हैं।
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