60 के बाद वाणी को संयम में रखो, मीठा बोलोगे तो शुगर नहीं होगी- प्रदीप मिश्रा
कथा सुनने हर रोज पहुंच रहे 1 लाख लोग, जाम से हो रहा बुरा हाल
मेरठ।शताब्दी नगर में चल रही शिव महापुराण में बुधवार को कथा वाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि सनातन धर्म में 33 कोटि देवता हैं, जो तुम्हें अच्छे लगे उनको भेजो। दूसरे के धर्म को मत भेजो। हमें किसी धर्म का अपमान नहीं करना है। सिर्फ अपने देवताओं को भेजना है। घर की रोटी खाओ, जूठन खाने दूसरी जगह मत जाओ।
पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि आज कथा का चौथा दिन है। ये बहुत महत्वपूर्ण है। व्यक्ति का जीवन चार भाग में होता है। बचपन, जवानी, अधेड़ और बुढ़ापा। उन्होंने कहा कि बचपन, जवानी और अधेड़ जीवन कैसे भी बीत जाए लेकिन बुढ़ापा नहीं बिगड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि मनुष्य की असली उम्र 40 साल है। इसके बाद उसको 20 साल गधे की उम्र मिली। इसके बाद उसको 20 साल कुत्ते की उम्र मिली है। इसके बाद 20 साल उल्लू की उम्र मिलती है।40 साल तक मनुष्य खूब मजे करता है। घूमता है। खूब खाता-पीता है। लेकिन 40 के बाद मनुष्य की गधे की 20 साल की उम्र शुरू हो जाती है। परिवार के बोझ शुरू हो जाते हैं। बच्चों की पढ़ाई, उनकी शादी और भी काम शुरू हो जाते हैं। 60 साल के बाद 80 साल तक की उम्र कुत्ते की लग जाती है। फिर उसको कमरा छोड़कर हॉल में चले जाना पड़ता है। बाहर दरवाजे के पास खाट डल जाती है। कुर्सी डल जाती है। जैसे कुत्ता रहता है, वैसे इंसान को रहना पड़ता है। 80 की उम्र के बाद 100 साल तक उल्लू की उम्र लग जाती है, फिर नींद नहीं आती।
घर में वस्तु मत बढ़ाओ, लेकिन व्यवहार जरूर बढ़ाओ
भगवान शंकर की कथा कहती है कि आप चाहे 40 के हो जाओ, चाहे 60 के हो जाओ चाहे 80 के हो जाओ चाहे 100 के हो जाओ, अपने घर के अंदर वस्तु बढ़ाओ मत बढ़ाओ लेकिन अपना व्यवहार जरूर बढ़ाओ। घर का सामान कम है तो चलेगा लेकिन अगर व्यवहार कम हो गया तो वस्तु किसी काम की नहीं।
उन्होंने पूछा कि दुकान कैसे चलती है। पड़ोसी की दुकान भी भरी हुई है, लेकिन चलती उसकी ही अच्छी है जिसका व्यवहार अच्छा होता है। अपने व्यवहार को इतना बढ़ाओ कि दुनिया आपके पास आए। व्यवहार में मन साफ होना चाहिए, सत्यता होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि 60 वर्ष के बाद आपके सिग्नेचर ऑफिस में नहीं चलते तो घर में क्यों चलाते हो। 60 के बाद घर में बच्चों की तरह रहो। चिड़चिड़ापन बंद करो। बस ये याद रखो कि 60 वर्ष के बाद अपनी वाणी को संयम में रखो।
उन्होंने कहा कि आजकल सबसे ज्यादा बीमारी शुगर की है। बुजुर्गों से पूछो कि पहले इतनी शुगर होती थी क्या। चाय भी खूब मीठी पीते थे। लेकिन शुगर नहीं होती थी मीठा बोलते थे तो शुगर निकल जाती थी। मीठा बोलोगे तो शुगर का लेवल कम होता रहेगा। बुढ़ापे को खुश होकर जीयो, बस इतना ध्यान रखना कि वाणी और व्यवहार में हमेशा संयम रखो।
काम निकालने वाले बहुत गुणगान करते हैं
जब किसी को आपसे काम निकालना होता है तो वह आपका गुणगान करता है। सावधान रहो। कोई बहुत ज्यादा प्रशंसा करे तो हाथ जोड़ लो। मन में भगवान शंकर को ध्यान लगाओ और कहो कि जो भी हो रहा है वो आपका है। मेरा कुछ नहीं है।
जिस घर में स्त्री का सम्मान नहीं वहां रिद्धि, सिद्धि समृद्धि नहीं आती
उन्होंने कहा पत्नी को ही धर्म पत्नी कहा जाता है पति को नहीं इसलिए कि पत्नी खुद के लिए नहीं जीती। वह एक मां बहन, बेटी, सास के लिए जीती है। व्रत भी करती है तो पति और बच्चे के लिए करती है। अपना घर छोड़कर ससुराल चली जाती है। स्त्री स्वयं के लिए नहीं जीती। पूरा जीवन परिवार को दे दती है। स्त्री को इसके बदले क्या चाहिए सिर्फ आदर चाहिए। माता पार्वती को शंकर से क्या चाहिए थे, कुछ नहीं उन्हें सिर्फ आदर मिला। भगवान शंकर ने जितना आदर अपनी पत्नी को दिया उतना कोई नहीं दे पाया। स्त्री को क्या चाहिए सिर्फ आदर चाहिए। भगवान शंकर के मंदिर में पार्वती का सम्मान उनसे ऊपर होता है। पार्वती को सम्मान दिया तो उनको रिद्धि, सिद्धि समृद्धि मिली। जिस घर में नारी का सम्मान होता है वहां पर रिद्धि, सिद्धि समृद्धि आती है।
ये रहे मौजूद
कथा में मुख्य यजमान संदीप गोयल, रश्मि गोयल, आशीष बंसल, पूनम बंसल, डॉ. ब्रजभूषण, सचिन गोयल, अखिल जिंदल, राजीव गोयल समेत आयोजकगण मौजूद रहे।
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