शंकर की मूर्ति पूजा से अधिक श्रेष्ठ है लिंग की उपासना
मेरठ। श्री परशुरामेश्वर महादेव मन्दिर परिसर में श्री शिव महापुराण तात्विक विवेचना के दूसरे दिन ओजस्वी वक्ता, युवा संत दण्डी स्वामी ध्रुवानंद तीर्थ जी महाराज ने कहा कि भगवान शंकर की मूर्ति पूजा से अधिक श्रेष्ठ है कि लिंग की उपासना की जाए, लिंग की उपासना अधिक फलदायी व कल्याणकारी है। शिवलिंग की पूजा का मुख्य प्रयोजन समस्त जीवो को कल्याण है, शिवलिंग के माध्यम से ही समस्त सृष्टि चराचर उसी में ही लीन हो जाती उससे ही उदय होती है।
भगवान शिव ही उत्पत्ति के देवता हैं, प्रलय के देवता हैं, सभी देवों के आधार एवं आराध्य देव भगवान शंकर है इसीलिए उनका नाम महादेव हैं। ब्रहमा विष्णु आदि जितने भी देवी देवता है, सभी भी उत्पत्ति शिवलिंग से ही हुई है। शिवलिंग की प्रतिष्ठा सबसे पहले भगवान विष्णु एवं ब्रह्मजी के बीच हुए युद्ध को समाप्त करने के लिए की गई थी, जिस दिन यह उत्पत्ति हुई उस दिन को शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। शिवलिंग की उपासना किसी भी दिन किसी भी समय, मंगल कार्य में या किसी दुखद कार्य में करने से संबंधित क्लेश मिट जाते है, और आने वाले क्लेशों से पार उतारते हैं। लिंग उपासना का यही मुख्य प्रयोजन हैं। मन्दिर निर्माण कार्य में महत्वपूर्ण तथा शिवमहापुराण आयोजन में महत्वपूर्ण योगदान देने के के लिए पार्षद अनुज वशिष्ठ तथा पार्षद सुमित मिश्रा को पूज्य महाराज जी ने विशेष आशीर्वाद प्रदान किया।
मुख्य आचार्य राकेश बसलियाल तथा प्रदीप सेमवाल ने संपूर्ण विधि विधान के साथ पूजन पाठ कराए।मुख्य यजमान डा. विवेकानंद शर्मा जी ने सभी अतिथियों एवं भक्त गणो का स्वागत करते हुए आभार व्यक्त किया।कार्यक्रम को सफल बनाने में वैभव शमी, विवेक शर्मा, क्षितिज शर्मा, विशिष्ट दीक्षित, दीपक शर्मा, ब्रजेश दीक्षित पं. गौरव भारद्वाज, पं. बाबुराम शर्मा, पं अव्यक्तानंद शर्मा, शर्मा, पं. परमानंद शर्मा, आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।कार्यकर्म का संचालन ब्राहमण कल्याण परिषद् के अध्यक्ष डा. अशोक कुमार शर्मा तथा सुधेश कुमार शर्मा ने किया ।
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