सुसज्जित केंद्र में प्रसव कराना भी बेहतर उत्तरजीविता की कुंजी
पहले दिन  से नवजात काे मॉ का  दूध पिलाना न भूले   

मेरठ। 14 से 21 तक मनाया जा रहे न्यू बेबी बार्न वीक के शनिवार को न्यूटिमा हॉस्पिटल के बाल रोग चिकित्सक ने महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए  डा सुमित उपाध्याय ने बताया कि विश्व प्रीमेच्योरिटी है (बहुत जल्दी पैदा होने वालों के लिए) महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि प्रीमैच्योरिटी न केवल नवजात मृत्यु दर का सबसे सामान्य कारण है, बल्कि कुल मिलाकर पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर है।

उन्होंने बताया दस  गर्भधारण में से एक प्रीमेच्योरिटी में समाप्त हो जाता है। आइए अड़तीस पूर्ण सप्ताह से पहले ऐच्छिक सीएस न करके समयपूर्वता को रोकने का संकल्प लें। चौंतीस सप्ताह से पहले प्रसव होने वाली महिलाओं को अपने डाक्टर से प्रसवपूर्व स्टेरॉयड देकर बेहतर नवजात परिणाम सुनिश्चित करना होता है। प्रसव कक्ष में तत्काल अच्छी देखभाल से सुसज्जित केंद्र में प्रसव कराना भी बेहतर उत्तरजीविता की कुंजी है। यदि महिला को नवजात की बीपी, शुगर, थाइराइड  या बच्चे में यूएसजी  पर कोई कमी का पता चले तो  नवजात शिशु विशेषज्ञ को अवश्य दिखाएं। 


इससे बच्चे का जन्म से सुचार उपचार जो सकता है। सी पैप वेंटिलेशन और सर्फेक्टेंट उनकी देखभाल में जितना महत्वपूर्ण है, उनमें संक्रमण को रोकना एक और महत्वपूर्ण कदम है।सभी शिशुओं में अनावश्यक एंटीबायोटिक दवाओं से बचें। पहले दिन से ही सभी समय से पहले मां का दूध पिलाना न भूलें। जिन बच्चों को फेफड़े अत्यंत कमजोर रहते हैं उन्हें हाई फ्रीक्यूसी वेंटीलेटर  की आवश्यकता पड़ती है। इन प्रीमैच्योर बच्चो को तापमान बनाये रखने के लिए विशेष incubators की आवश्यकता पड़ती है जो न्यूटीमा जैसे विशिष्ट सेंटर पैर उपलब्ध है। उन्होंने कई ऐसी माताओं से परिचय कराया जिनके बच्चे प्रीमैज्योर हुए थे। वे बिलकुल ठीक है। एनएसजी में कंमाडो के पद पर तैनात वर्तमान में एसएसबी में बिहार में तैनात मु़नगर निवासी माेनू ने बताया उनका पहला बेबी 720ग्राम का हुआ था। उसे 87 दिन नर्सरी में रखना पड़ा । उनका नाम लक्क्षू रखा है। जब दूसरा बेबी भी आठ सौ ग्राम से कम हुआ है। उसे भी नर्सरी में रखा हुआ है। सोनू की पत्नी की कौमल  ने बताया दोनो बच्चे प्री मैचयोर हुए है। चिकित्सकों की मदद से उनका उपचार किया गया। उन्होंने बताया समय से पहले प्रसव में नवजात में कई प्रकार की बीमारियो को खतरा रहे है। ऐसे में घबराने के बजाय चिकित्सकों पर भराेसा करना चाहिए। वही दूसरी महिला ज्योति शर्मा हापुड़ निवासी ने बताया उनका बेबी  नौ सौ ग्राम का हुआ था। उसे सांस की समस्या ,पीलिया व  इन्फेक्शन हो गया था। जिसे नियत्रण करने के उनके बेबी को 27 सप्ताह से नर्सरी में रखा गया। उनका बेटा पूरी तरह ठीक है। 
 डा सुमित उपाध्याय ने बताया ढाई किलो का बेबी स्वस्थ माना जाता है। लेकिन समय से पूर्व प्रसव होने से नवजात में कई प्रकार की परेशानी का खतरा बना रहता है। ऐसे दंपत्तियों को घबराना नहीं चाहिए। चिकित्सकों की सलाह पर उपचार कराना चाहिए । उन्होनें बताया नवजात मृतयु दर में पहले के मुकाबले काफी गिरावट आ रही है। यूपी मे यह रेशा तीस, दिल्ली में 12 , केरल मे दस का चल रहा है। सरकार का प्रयास है इस यूपी में चल रहे रेशो को काफी कम किया जाए। इस मौके पर डा संदीप गर्ग आदि मौजूद रहे 


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