आरजीपीजी कॉलेज में  एकदिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन 

 मेरठ।  रघुनाथ गर्ल्स पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज मेरठ में प्राचार्य प्रोफेसर निवेदिता कुमारी के मार्गदर्शन में अर्थशास्त्र विभाग ,वसुधा इको क्लब ,प्लांट कंजर्वेशन सोसायटी एवं जागरूक नागरिक संगठन द्वारा "पर्यावरण संकट एवं विकासशील अर्थव्यवस्थाएं: चुनौतियां ,रणनीतियां और समाधान" विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया ।

 सेमिनार का उद्देश्य विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर पर्यावरण के संकट के प्रभाव का पता लगाना ,सतत विकास के लिए प्रभावी रणनीतियों की पहचान करना, पर्यावरण के मुद्दों पर ज्ञान के आदान-प्रदान ,चिंतन और इस गंभीर समस्या के बारे में जागरूक करना रहा। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि पद्म भूषण, पद्मश्री डॉ अनिल जोशी ,विशिष्ट अतिथि, डीएम दीपक मीणा ,एवं डीएफओ  राजेश कुमार ,सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के पूर्व अतिरिक्त निदेशक, डॉ एस के त्यागी ,जागरूक नागरिक संगठन के सचिव गिरीश शुक्ला एवं प्राचार्या प्रोफेसर निवेदिता कुमारी द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया ।

सेमिनार का संचालन आयोजन सचिव प्रोफेसर दीक्षा यजुर्वेदी द्वारा किया गया। सेमिनार की थीम की प्रासंगिकता पर सेमिनार की संयोजिका प्रोफेसर नीना बत्रा द्वारा प्रकाश डाला गया। वर्तमान में वातावरणीय संकट जीवन के हर पहलू को प्रभावित कर रहा है । इकोलॉजिकल इंबैलेंस के साथ-साथ स्वास्थ्य एवं आर्थिक विकास पर पर्यावरण संकटों का सीधा  दुष्प्रभाव सामने आ रहा है। मुख्य अतिथि पद्म विभूषण एवं पदम श्री से अलंकृत डॉक्टर अनिल जोशी द्वारा ग्रास एनवायरमेंट प्रोडक्ट(जी ई पी) एवं जीडीपी की अवधारणा को समझाया गया। वैश्विक स्तर पर जल संकट ,वायु प्रदूषण का संकट ,बायोडायवर्सिटी का संरक्षण गंभीर समस्या बन चुके हैं इसके लिए शोधार्थियों एवं महिलाओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। अपने स्तर पर जल जमीन एवं जंगल के संरक्षण से हम अधिकतर पर्यावरणीय संकटों का नियंत्रण कर सकते हैं। डॉ जोशी ने अपनी संस्कृति को जिसमें प्रकृति का संरक्षण का संदेश सहित है ना भूलने का आह्वान किया। तत्पश्चात प्रथम तकनीकी सत्र में प्रोफेसर डिंपल विज  प्राचार्य एकेपी कॉलेज खुर्जा द्वारा "जलवायु परिवर्तन और अर्थव्यवस्था : प्रभाव रणनीतियां एवं समाधान" विषय पर सारगर्भित व्याख्यान दिया। डॉ विज ने बताया कि  2024 की क्लाइमेट रिस्क लैंडस्केप रिपोर्ट के अनुसार 2023 इस शताब्दी का सबसे गर्म साल रहा है साथ ही आईपी सीसी की रिपोर्ट के अनुसार बताए गए दुष्प्रभावों की सत्यता किस प्रकार दिखाई दे रही है इसके बारे में विस्तार से चर्चा की। सस्टेनेबल डेवलपमेंट हेतु विभिन्न उपाय एवं रिसर्च पर बल दिया। तत्पश्चात विषय विशेषज्ञ प्रोफेसर मोनिका कौल, वनस्पति विज्ञान विभाग, हंसराज कॉलेज दिल्ली द्वारा "सतत विकास हेतु शहरी क्षेत्र में हरित क्षेत्र का संवर्धन "  विषय पर ज्ञानवर्धक व्याख्यान दिया गया। शहरी क्षेत्र में किस प्रकार अर्बन फॉरेस्ट विकसित किया जा सकता है और यह कार्बन सिंक की तरह एयर क्वालिटी को बेहतर करने में किस प्रकार सहायक हो सकता है इस विषय पर प्रकाश डाला गया। 

दूसरे तकनीकी सत्र में डॉक्टर राजपाल त्यागी, असिस्टेंट प्रोफेसर एमएम कॉलेज मोदीनगर द्वारा "भारतीय अर्थव्यवस्था में वायु प्रदूषण के संकट से उत्पन्न चुनौतियां पर नियंत्रण करने वाली रणनीति" के विषय में विस्तृत चर्चा की गई। श्री एस एस के त्यागी, सेवानिवृत्त एडिशनल डायरेक्टर, सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा बायोडायवर्सिटी के हनन, सस्टेनेबल डेवलपमेंट की आवश्यकता, प्रमुख पर्यावरणीय संकटों को रिसर्च में नवाचार द्वारा किस प्रकार कम किया जा सकता है, इस विषय पर चर्चा की गई।

एक दिवसीय सेमिनार में विभिन्न शिक्षण संस्थानों के 400 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया तथा 60 से अधिक शिक्षकगण, शोधार्थियों द्वारा  पेपर प्रेजेंटेशन किया गया। सेमिनार की उपलब्धियों ,सेमिनार के उपविष्यों  बायोडायवर्सिटी हनन, जलवायु परिवर्तन, शैवालों एवं पौधों द्वारा जल प्रदूषण को दूर करने की विधियों,वायु प्रदूषण,जल संरक्षण,एसिड रैन आदि संबंधित विषयों पर सार संक्षेप को चिन्हित करने हेतु एक स्मारिका पत्रिका का विमोचन  अतिथियों एवं प्राचार्य द्वारा किया गया। सेमिनार के अंतिम सत्र में प्राचार्य प्रोफेसर निवेदिता कुमारी द्वारा अतिथियों को सम्मान प्रतीक एवं प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट दिए गए। इस सेमिनार को सफल बनाने में प्रोफेसर सुनीता सिंह, प्रोफेसर कल्पना चौधरी, डॉ गरिमा मलिक , डॉ छाया तेवतिया, निर्लेप कौर, डॉ ममता ,डॉ बबिता  संयोगिता ,अनामिका ,डॉ शैलजा ,डॉ सुनीता सिंह ,गरिमा कुमारी ,हिना यादव, डॉ नलिनी,डॉ गीता ,प्लांट कंजर्वेशन सोसायटी एवं वसुधा इको क्लब के सभी सदस्यों का सहयोग रहा।


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