निःशुल्क विधिक सेवा प्रत्येक विधि के विद्यार्थियों के प्राथमिक दायित्व
मेरठ। विधि अध्ययन संस्थान, चौधरी चरण सिंह विवि के लीगल एड क्लीनिक द्वारा राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ सरस्वती माँ के सम्मुख संस्थान दीप प्रज्जविलत कर किया गया। संगोष्ठी में लीगल ऐड क्लीनिक के नोडल ऑफिसर एवं सहायक आचार्य डा. विकास कुमार ने संस्थान में संचालित विधिक सेवा केन्द्र का परिचय व उसके द्वारा किये गये सामाजिक सरोकार के कार्यों की आख्या प्रस्तुत की।
संगोष्ठी में आशीष कौशिक द्वारा बीज वक्तव्य देते हुये निःशुल्क विधिक सहायता के उद्गम व वर्तमान में अधिकार के स्वरूप पर प्रकाश डालते हुये प्रतिभागियों को विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 में निःशुल्क विधिक सेवा अधिकार को क्रियान्वयन करने के लिये राष्ट्रीय, राज्य व जिला स्तर पर स्थापित अभिकरणों का ब्यौरा दिया और कहा कि निःशुल्क विधिक सेवा प्रत्येक विधि के विद्यार्थियों के प्राथमिक दायित्व है व यह कानून न्यायालय व आम आदमी के बीच सीधा सम्पर्क स्थापित करता है। संस्थान के समन्वयक डा॰ विवेक कुमार ने अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुये कहा कि मा॰ उच्चतम न्यायालय द्वारा निःशुल्क विधिक सेवा के अधिकार को लेकर मुखर है। इस श्रृंखला में ने बताया कि उच्चतम न्यायालय ने बीते महीने अक्टूबर में कहा कि गरीबों के लिये विधिक सेवा गरीब नहीं होनी चाहिये। तात्पर्य है कि जो विधिक सेवा गरीबों को मौलिक अधिकार के रूप में दी जा रही है वह हर रूप में उसका पक्ष मुखर होकर न्यायालय में प्रस्तुत करें। उच्चतम न्यायालय ने महत्वपूर्ण निर्णयों में जिसमें विधिक सेवा को मौलिक अधिकार घोषित किया गया है प्रतिभागियों के समक्ष विवरण दिया। डा. सुदेशना, संयोजक लीगल एड क्लीनिक व सहायक आचार्य ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। कार्यक्रम का कुशल संचालन संस्थान कि छात्रा प्रज्ञा जिंदल द्वारा किया गया। इस मौके पर डा॰ अपेक्षा चौधरी, डा॰ महिपाल सिंह, डा॰ सुशील कुमार शर्मा, डा॰ मीनाक्षी, डा. शेख अरशद , विशाल, मंजीत, आरती, जैसिका, यशिका, ज्योति, शिवानी, महक व अन्य छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
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