डिबाई में 7 करोड़ के बेलर घोटाले का मामला

बुलंदशहर की 4 फर्मों और उप कृषि निदेशक पर मुकदमा, धनराशि वसूली के निर्देश

बुलंदशहर। प्रदेश सरकार द्वारा पराली प्रबंधन के लिए 2020 और 2021 में शुरू की गई 'प्रमोशन ऑफ़ एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन फॉर इन सीटू मैनेजमेंट ऑफ़ क्रॉप रिड्यूस' योजना में बुलंदशहर में बड़ी अनियमितता सामने आई है।

योजना के तहत किसानों को 50% सब्सिडी पर कृषि यंत्र दिए जाने थे, पर 209 बेलरों के अनुदान वितरण में अनियमितता पाई गई। अब इस मामले में बुलंदशहर के उप कृषि निदेशक और 4 फर्मों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है।

इस योजना के तहत जिले में लगभग 250 किसानों ने कृषि यंत्र खरीदने के लिए आवेदन किए थे। इनमें से 209 किसानों ने बेलर (पराली काटने वाला यंत्र) खरीदा था, जिनकी खरीद पर लगभग 7.09 करोड़ रुपये की सब्सिडी मिली थी। विभागीय कर्मचारियों ने कृषकों के यहां स्थलीय सत्यापन भी किया था, लेकिन सत्यापन रिपोर्ट में गंभीर गड़बड़ियों का खुलासा हुआ।

सत्यापन अधिकारी ने कृषक द्वारा उपलब्ध कराए गए यंत्र क्रय बिल और आवश्यक अभिलेखों का मिलान किया और रिपोर्ट तैयार की। बाद में, जब 209 बेलरों के अनुदान वितरण में अनियमितताओं की शिकायत मिली, तो जांच शुरू की गई। जांच के दौरान पता चला कि 209 में से केवल 58 बेलर ही मौके पर पाए गए।

इस मामले में कृषि विभाग के अधिकारियों और यंत्र विक्रेताओं के खिलाफ कार्रवाई की गई है। एफआईआर दर्ज कर धनराशि की वसूली के आदेश भी दिए गए हैं। यह मामला किसानों के साथ धोखाधड़ी और सरकारी धन के दुरुपयोग का प्रतीक बनकर सामने आया है।

एफआईआर में एमजी एग्रीकल्चर प्रोडक्ट डिबाई, गुप्ता एग्रीकल्चर इंप्लीमेंट्स डिबाई, कैलाश ज्ञान मोटर्स डिबाई, डीएल एसोसिएट्स खुर्जा, और उपकृषि निदेशक विकास कुमार समेत प्राविधिक सहायक ग्रुप-सी तैनात अधिकारियों पर आरोप लगाए गए हैं।

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