बड़ी कार्रवाई
सीएमओ ने 13 अस्पतालों का लाइसेंस किया निरस्त, दो निलंबित
चार अस्पतालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गयी
मेरठ।सीएमओ मेरठ डॉक्टर अशोक कटारिया ने बड़ी कार्रवाई करते हुए जिले के 13 अस्पतालों का लाइसेंस निरस्त कर दिया है जबकि दो अस्पतालों का लाइसेंस निलंबित किया गया है। चार अस्पतालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। तीन पैथोलॉजी लैब दो डायग्नोस्टिक सेंटर में 38 झोलाछाप चिकित्सकों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है। एक साथ इतनी बड़ी कार्रवाई होने पर निजी अस्पतालों की संचालकों में हड़कंप मच गया है।
जिन अस्पतालों पर कार्रवाई की गई है। उसमें ल ब्लॉक का प्रमोद हॉस्पिटल एवं सरस्वती हॉस्पिटल के लाइसेंस निरस्त किए है। श्री नारायण हॉस्पिटल किला परीक्षितगढ़ पर कार्रवाई करते हुए एफआरआई दर्ज के साथ अस्पताल का लाइसेंस निरस्त किया गया है। एमवी जेबी एमआर हॉस्पिटल किला परीक्षितगढ़ , मेरठ मेडिको सेंटर का भी लाइसेंस निरस्त करते हुए एफआईआर दर्ज करायी गयी है। श्री प्रेम मेमोरियल हॉस्पिटल जेल चुंगी रोड लाइसेंस निरस्त किया गया है। गोस्वामी हॉस्पिटल जेल चुंगी, का लाइसेंस निलंबित किया गया है। नीलकंठ हॉस्पिटल का लाइसेंस निरस्त किया गया है। एबीएस हॉस्पिटल कंकरखेड़ा, प्रिया हॉस्पिटल किला, सुपर मैक्स हॉस्पिटल गढ़ रोड, इंडियन हॉस्पिटल, लोटस हॉस्पिटल गढ़ रोड, कायाकल्प हॉस्पिटल, के लाइसेंस निरस्त किए गये है। वही बहसूमा बाईपास स्थित एनएस केयर पर एफआरआई दर्ज करायी गयी है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अशोक कटारिया ने बताया कि इन अस्पतालों की लगातार शिकायती मिल रही थी। जांच में पाया गया कि उनके मानक पूरे किए बिना ही इन्हें संचालित किया जा रहा था। प्रमोद और सरस्वती अस्पताल के खिलाफ आवास विकास में शिकायत की थी। श्री नारायण और प्रिया अस्पताल को दूसरे लोग चला रहे थे। एमवी मेरठ मेडिको बिना संचालन के संचालित हो रहे थे। जांच जांच में पुख्ता सबूत होने पर ही कार्रवाई की गई है। उन्होंने चेतावनी की है कि जिले के अंदर बिना मानक पूरे किए हुए किसी भी अस्पताल का संचालन किया गया तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कार्रवाई करने से पूर्व सीएमओ की ओर से जांच टीम बनायी गयी थी। जिसने ऐसे अस्पतालों व झोलाछाप चिकित्सक व लैब की जांच की गयी। जिसमें तथ्य सही पाए गये।
अतुल प्रधान की मेहनत रंग लाई
सरधना के विधायक अतुल प्रधान ने महंगी शिक्षा और निजी अस्पतालों द्वारा मनमानी तरीके से मरीज के परिजनों से धन वसूलने के खिलाफ आंदोलन किया था। जिस पर जिला प्रशासन ने अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया था। जिसके तहत प्राइवेट अस्पतालों व लैब के खिलाफ जांच कर कर यह कार्रवाई की गई है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा की गई कार्रवाई के बाद शहर के निजी अस्पताल के संचालक को हड़कंप मच गया है।
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