यूएस में भारतीय समुदाय से बोले पीएम मोदी भारत रुकने वाला नहीे
नयी दिल्ली,एजेंसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूयॉर्क के नासाऊ कोलिजियम में प्रवासी भारतीयों को संबोधित किए. पीएम ने लोगों को नमस्ते करते हुए कहा कि अब तो अपना नमस्ते भी लोकल से ग्लोबल हो गया है। आपका प्यार मेरे लिए सौभाग्य है। आज भारत जब कुछ कहता है दुनिया उसे सुनती है।
पीएम मोदी ने कहा कि मां भारतीय ने जो हमें सिखाया है वो हम कभी भी भूल नहीं सकते हैं।भारतीयों के टैलेंट का कोई मुकाबला नहीं है। हम जहां भी जाते हैं सबको परिवार मानकर उनसे घुल मिल जाते हैं। हम उस देश के वासी हैं जहां सैकड़ों भाषाएं हैं, बोलियां हैं, दुनिया के सारे मत है पंथ हैं फिर भी हम एक बनकर नेक बनकर आगे बढ़ रहे हैं। हम अपने लाइफ स्टाइल में थोड़े से बदलाव करके भी पर्यावरण की बहुत मदद कर सकते हैं।आजकल भारत में एक पेड़ मां के नाम लगाया जा रहा है।मां जिंदा तो साथ ले जाना, नहीं है तो तस्वीर ले जाना। ये अभियान आज देश के कोने-कोने में चल रहा है।ग्लोबल पीस, ग्लोबल स्कील गैप को दूर करने में, ग्लोबल इनोवेशन को नई दिशा देने में, ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत की भूमिका अहम होगी। भारत की प्राथमिकता दुनिया में अपना दबाव बढ़ाने की नहीं, अपना प्रभाव बढ़ाने की है। हम सूरज की तरह रोशनी देने वाले हैं। हम विश्व पर दबदबा नहीं चाहते हैं, हम विश्व की समृद्धि में अपना सहयोग बढ़ाना चाहते हैं।आज हमारे रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट सोलराइज हो रहे हैं।भारत में बहुत बड़ी संख्या में ग्रीन जॉब पैदा हो रहे हैं। 21वीं सदी का भारत एजुकेशन, स्कील, रिसर्च की ओर से आगे बढ़ रहा है। आप सभी नालंदा विश्वविद्यालय के नाम से परिचित हैं। कुछ समय पहले ही यह प्राचीन यूनिवर्सिटी नए अवतार में सामने आई है। हमने ग्रीन ट्रांजेशन का रास्ता चुना है. प्रकृति प्रेम के संस्कारों ने हमें गाइड किया है। इसलिए हम सोलर, ग्रीन हाइड्रोन, न्यूक्लियर एनर्जी पर इन्वेसमेंट कर रहे हैं। 2014 के बाद से भारत ने अपनी सोलर एनर्जी की क्षमता को 30 गुना से ज्यादा बढ़ाया है।अब तक भारत में सेमी कंडक्टर यूनिट भी शुरू हो चुकी है। वो दिन दून नहीं जब आप मेड इंडिया चिप अमेरिका में भी देखेंगे।ये मोदी का गारंटी है। भारत में रिफॉर्म के लिए जो कमिटमेंट है वो अभूतपूर्व है। दुनिया को बर्बाद करने में हमारा कोई रोल नहीं है।पीएम मोदी बोले भारत में लोगों के फोन में ई वॉलेट है। भारतीय अब अपने डॉक्यूमेंट्स फिजिकल फोल्डर में नहीं रखते हैं। उनके पास अब डिजिलॉकर है। भारत अब रुकने वाला नहीं है। भारत अब थमने वाला नहीं है। भारत चाहता है कि दुनिया में ज्यादा से ज्यादा डिवाइस मेड इन इंडिया चिप पर चलें। हमने मेड इन इंडिया टेक्नोलॉजी पर काम किया। आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल मेन्युफैक्चरर है। हम अब मोबाइल एक्सपोर्टर बन गए हैं। भारत अब नई व्यवस्थाएं बनाता और नेतृत्व करता है। भारत में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर डीपीआई का नया कॉन्सेप्ट दुनिया को दिया है।2014 तक भारत के पांच शहरों में मेट्रो थी, आज 23 शहरों में मेट्रो है, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मेट्रो नेटवर्क भारत में हैं। 140 से ज्यादा शहरों में एयरपोर्ट हैं। आज भारत का 5जी बाजार अमेरिका से भी बड़ा हो चुका है। ये दो साल के भीतर-भीतर हुआ है। अब तो भारत मेड इन इंडिया 6जी पर काम कर रहा है। 2024 का ये साल पूरी दुनिया के लिए बहुत अहम है। एक तरफ कई देशों के बीच संघर्ष है, तनाव है तो दूसरी तरफ कई देशों में डेमोक्रेसी का जश्न चल रहा है। भारत और अमेरिका डेमोक्रेसी के इस जश्न में भी साथ हैं। अमेरिका में चुनाव होने वाले हैं और भारत में चुनाव हो चुके हैं।मैं दुनिया में जहां भी जाता हूं, हर लीडर के मुंह से प्रवासी भारतीयों की तारीफ ही सुनता हूं। कल ही राष्ट्रपति बाइडेन अपने घर ले गए थे। उनकी आत्मीयता, उनकी गर्मजोशी मेरे लिए दिल छू लेने वाला मोमेंट रहा। ये सम्मान 140 करोड़ भारतीयों का है। ये सम्मान आपका है। आपके पुरुषार्थ का है।
इसी कार्यक्रम में ही देख लीजिए, कोई तमिल का है, कोई पंजाबी है तो कई मराठी है तो गुजराती है. भाषा अनेक है, लेकिन भाव एक है. वो भाव है भारत माता की, वो भाव है भारतीयता की। दुनिया के साथ जुड़ने के लिए ये हमारी सबसे बड़ी ताकत है।पीएम मोदी ने कहा कि भारतीय समुदाय के सामर्थ्य को मैं हमेशा से समझता था। जब मेरे पास कोई सरकारी पद नहीं था, तब भी समझता था और आज भी समझता हूं।आप सब मेरे लिए हमेशा से भारत के सबसे मजबूत ब्रांड अम्बेसडर रहे हैं। इसलिए मैं आप सबको राष्ट्रदूत कहता हूं।
कल संयुक्त राष्ट्र महासभा में पीएम मोदी का संबोधन होगा।अमेरिका ने भारत के स्थायी सदस्यता की दावेदारी का समर्थन किया है। अब सबकी नजर पीएम मोदी के संबोधन पर है।इस कार्यक्रम के बाद पीएम मोदी संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में भाग लेने वाले नेताओं के समक्ष चुनौती न केवल ज्वलंत मुद्दों पर बल्कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के आधुनिकीकरण पर साथ मिलकर काम करने की है।
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