एससी व एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले खिलाफ भारत बंद कल
मेरठ समेत मंडल के सभी जिलों में पूरी तरह सतर्कता बरती जा रही
असामाजिक तत्वों पर रहेगी कड़ी नजर
मेरठ। अनुसूचित जाति व जनजाति आरक्षण में क्रीमीलेयर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ देश भर के विभिन्न संगठनों ने 21 अगस्त को 'भारत बंद' का आह्वान किया है। बसपा समेत कई पार्टियां इस बंद का समर्थन कर रही हैं। बंद को देखते हुए मेरठ मंडल में पुलिस प्रशासनिक अधिकारी पूरी चौकसी बरत रहे है। इसके लिए अधिकारियों को दिशा निर्देश जारी किए गये है।
बंद के दौरान हिंसा की संभावना को देखते हुए पुलिस अधिकारियों ने प्रदेश के सभी मंडल आयुक्तों, जिलाधिकारियों और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के लिए आवश्यक दिशानिर्देश जारी किए हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश को विशेष रूप से संवेदनशील माना गया है, इसलिए वहां की पुलिस को हाई अलर्ट पर रखा गया है। अधिकारियों ने विरोध के दौरान जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं। मेरठ जोन के एडीजी डीके ठाकुर ने जोन के अंतर्गत होने वाले जिलों के पुलिस अधिकारियों को अलर्ट मोड़ पर रहने के निर्देश दिये है।
अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि भारत बंद के दौरान क्या खुलेगा और क्या बंद रहेगा। हालांकि, यह संभव है कि सार्वजनिक परिवहन सेवाएं बाधित हो सकती हैं। कुछ स्थानों पर निजी कार्यालय भी बंद हो सकते हैं। बंद के दौरान सरकारी आदेश न होने पर बैंक और सरकारी कार्यालय खुले रह सकते हैं। पब्लिक ट्रांसपोर्ट को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।भारत बंद के दौरान अस्पतालों और एंबुलेंस जैसी आपातकालीन सेवाएं चालू रहेंगी। सरकारी आदेश के अभाव में, यह संभावना है कि बैंक और सरकारी कार्यालय बंद नहीं होंगे। हालांकि, सुरक्षा कारणों से कुछ क्षेत्रों में सेवा प्रभावित हो सकती है।
बता दें सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर को लेकर फैसला सुनाते हुए कहा था, ''सभी एससी और एसटी जातियां और जनजातियां एक समान वर्ग नहीं हैं। कुछ जातियां अधिक पिछड़ी हो सकती हैं। उदाहरण के लिए - सीवर की सफाई और बुनकर का काम करने वाले। ये दोनों जातियां एससी में आती हैं, लेकिन इस जाति के लोग बाकियों से अधिक पिछड़े रहते हैं। इन लोगों के उत्थान के लिए राज्य सरकारें एससी-एसटी आरक्षण का वर्गीकरण (सब-क्लासिफिकेशन) कर अलग से कोटा निर्धारित कर सकती है। ऐसा करना संविधान के आर्टिकल-341 के खिलाफ नहीं है।''सुप्रीम कोर्ट ने कोटे में कोटा निर्धारित करने के फैसले के साथ ही राज्यों को जरूरी हिदायत भी दी। कहा कि राज्य सरकारें मनमर्जी से यह फैसला नहीं कर सकतीं। इसमें भी दो शर्त लागू होंगी। पहली एससी के भीतर किसी एक जाति को 100% कोटा नहीं दे सकतीं। दूसरी एससी में शामिल किसी जाति का कोटा तय करने से पहले उसकी हिस्सेदारी का पुख्ता डेटा होना चाहिए।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला उन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुनाया था, जिनमें कहा गया था कि एससी और एसटी के आरक्षण का फायदा उनमें शामिल कुछ ही जातियों को मिला है। इससे कई जातियां पीछे रह गई हैं। उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए कोटे में कोटा होना चाहिए। इस दलील के आड़े 2004 का फैसला आ रहा था, जिसमें कहा गया था कि अनुसूचित जातियों का वर्गीकरण कर सकते हैं।
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