मायावती ने उपचुनाव में उतारे प्रत्याशी
मीरापुर में चंद्रशेखर के करीबी तो फूलपुर में चला अखिलेश वाला दांव
लखनऊ,एजेंसी। बसपा प्रमुख मायावती ने यूपी उपचुनाव की 10 में से 6 सीटों पर टिकट को हरी झंडी दे दी है, जिसमें एक तरफ उन्होंने फूलपुर सीट पर अखिलेश का दांव चला है और शिवबरन पासी को प्रत्याशी बनाया है। वहीं दूसरी तरफ बसपा प्रमुख ने मुजफ्फरनगर जिले की मीरापुर विधानसभा सीट पर चंद्रशेखर आजाद के करीबी शाह नजर को उम्मीदवार बनाया है।
प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है। उपचुनाव से अमूमन दूरी बनाए रखने वाली बसपा प्रमुख मायावती ने इस बार किस्मत आजमाने का फैसला किया है और अपने पत्ते खोल दिए हैं। यूपी उपचुनाव की 10 में से 6 सीटों पर मायावती ने टिकट को हरी झंडी दे दी है। बसपा प्रमुख ने अयोध्या जिले की मिल्कीपुर सीट पर पुराने चेहरे पर दांव खेला है तो मीरापुर सीट पर चंद्रशेखर आजाद के करीबी को उम्मीदवार बनाया है। इतना ही नहीं फूलपुर सीट पर मायावती ने 2024 में चले अखिलेश यादव वाला फॉर्मूला चला है और कटेहरी सीट पर कांग्रेस से आए नेता को उतारा है।
यूपी की जिन दस सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उसमें मिल्कीपुर, सीसामऊ, कटेहरी, सीसामऊ, कुंदरकी, गाजियाबाद, फूलपुर, मझवा, खैर और मीरापुर विधानसभा सीट है. इनमें से पांच सीट पर सपा के विधायक थे तो तीन सीट पर बीजेपी का कब्जा था। इसके अलावा निषाद पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के एक-एक विधायक थे। 2024 में 9 विधायकों के लोकसभा सांसद चुने जाने के चलते सीटें खाली हुई हैं तो कानपुर सीसामऊ सीट से विधायक रहे इरफान सोलंकी को अदालत से सजा होने के चलते उपचुनाव होने हैं। इन 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को 2027 के विधानसभा चुनाव का ट्रेलर माना जा रहा है, जिसके चलते ही मायावती भी किस्मत आजमा रही हैं।
मायावती ने इन सीटों पर उतारे उम्मीदवार
बसपा प्रमुख मायावती ने अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर राम गोपाल कोरी को उम्मीदवार बनाया है तो अंबेडकरनगर की कटेहरी विधानसभा सीट से अमित वर्मा पर दांव खेला है। इसके अलावा बसपा ने फूलपुर विधानसभा सीट पर शिवबरन पासी को प्रत्याशी बनाया है तो मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट पर शाह नजर को टिकट दिया है। इन चारों ही नेताओं ने मायावती से मुलाकात की थी, जिसके बाद उपचुनाव में उनकी उम्मीदवारी पर मुहर लगी है। इसके अलावा मिर्जापुर की मझवा और कानपुर की सीसामऊ सीट पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है।
बसपा ने मिल्कीपुर और फूलपुर विधानसभा सीट से दलित उम्मीदवार को उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है। अब दलित प्रत्याशी मैदान में होने से दोनों ही सीटों पर दलित वोटबैंक को अपने-अपने पाले में करने की होड़ देखने को मिल सकती है। इसके अलावा मीरापुर विधानसभा सीट पर मुस्लिम दांव खेला है तो कटेहरी सीट पर कुर्मी दांव खेलकर दोनों ही सीटों पर मुकाबले को कांटे का बना दिया है।
फूलपुर सीट पर बसपा का अखिलेश वाला दांव
लोकसभा चुनाव में जिस तरह से अखिलेश यादव ने फैजाबाद और मेरठ सामान्य सीटों पर दलित उम्मीदवार उतारे थे, उसी फॉर्मूले को मायावती ने फूलपुर के उपचुनाव में चला है। बसपा ने फूलपुर सीट पर शिवबरन पासी को प्रत्याशी बनाया है, जो दलित समुदाय से आते हैं। फूलपुर विधानसभा अनरिजर्व सीट है। बसपा के मुख्य सेक्टर प्रभारी घनश्याम चंद्र खरवार ने कहा कि शिवबरन पासी उपचुनाव में पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी होंगे। 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा का सियासी प्रयोग हिट रहा था। सपा फैजाबाद सीट जीतने में सफल रही और मेरठ सीट पर उसे मामूली वोटों से हार का मुंह देखना पड़ा था। ऐसे में बसपा प्रमुख मायावती ने उपचुनाव में अखिलेश वाला प्रयोग करके फूलपुर सीट जीतने का दांव चला है।
मिल्कीपुर सीट पर बसपा ने खेला कोरी पर दांव
मायावती ने अयोध्या की मिल्कीपुर सीट से रामगोपाल कोरी को प्रत्याशी बनाया है। रामगोपाल कोरी 2017 में मिल्कीपुर सीट से चुनाव लड़ चुके हैं. तब उन्हें 46,000 वोट मिले थे और वह तीसरे स्थान पर थे। 2017 के चुनाव में बीजेपी के गोरखनाथ बाबा निर्वाचित हुए थे और उन्होंने सपा के अवधेश प्रसाद को हराया था। 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के अवधेश प्रसाद ने गोरखनाथ बाबा को हराकर अपना हिसाब बराबर कर लिया है। लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अवधेश प्रसाद को फैजाबाद सीट से प्रत्याशी बनाया और उन्होंने जीत दर्ज की। अवधेश प्रसाद के सांसद बनने से यह सीट खाली हुई है, जिसके बाद मायावती ने कोरी समुदाय से आने वाले रामगोपाल कोरी पर दांव चला है, क्योंकि सपा और बीजेपी यहां से पासी समुदाय के नेता को चुनाव लड़ाने की जुगत में है।
मीरापुर सीट पर चंद्रशेखर के करीबी पर भरोसा
मुजफ्फरनगर जिले की मीरापुर विधानसभा सीट पर बसपा ने शाह नजर को उम्मीदवार बनाया है। शाह नजर नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद के करीबी माने जाते हैं और वो आजाद समाज पार्टी से जुड़े हुए थे, जिन्हें मायावती ने अपने साथ मिला लिया है और उन्हें मीरापुर सीट से उतारा है। शाह नजर मुजफ्फरनगर के जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके हैं। इस तरह से बसपा ने मीरापुर सीट पर मुस्लिम कैंडिडेट उतारकर बड़ा सियासी दांव चला है, क्योंकि इस सीट पर करीब सवा लाख मुस्लिम वोटर हैं। चंद्रशेखर ने भी इस सीट पर मुस्लिम प्रत्याशी उतार रखे हैं। यह सीट आरएलडी के विधायक रहे चंदन चौहान के सांसद चुने जाने के चलते खाली हुई है। 2012 में बसपा यह सीट दलित और मुस्लिम समीकरण के सहारे जीतने में सफल रही थी और उसी दांव को फिर से आजमाया है।
कटेहरी सीट पर बसपा ने चला कुर्मी कैंडिडेट
बीएसपी ने अंबेडकरनगर की कटेहरी विधानसभा सीट से अमित वर्मा को अपना चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है, जो उपचुनाव के लिए उनका उम्मीदवार होना तय है। ऐसे में ये माना जा रहा है कि कटेहरी विधानसभा सीट से अमित वर्मा का टिकट फाइनल है। अमित वर्मा ने प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल के साथ बसपा सुप्रीमो मायावती से मुलाकात की थी, जिसके बाद उनके नाम पर मुहर लगी थी। अमित वर्मा ओबीसी के कुर्मी समुदाय से आते हैं और कांग्रेस छोड़कर बसपा में आए हैं। यह सीट लालजी वर्मा के सांसद चुने जाने के चलते खाली हुई है। लालजी वर्मा कुर्मी समुदाय से आते हैं और बसपा से लेकर सपा तक से विधायक रह चुके हैं। कुर्मी और दलित समीकरण बनाने के लिहाज से मायावती ने अमित वर्मा पर दांव खेला है।
मझवा सीट पर बसपा का ब्राह्मण कार्ड
मिर्जापुर जिले की मझवा विधानसभा सीट पर मायावती ने ब्राह्मण कार्ड चला है। बसपा ने दीपू तिवारी को मझवा सीट पर प्रभारी बनाया है। माना जा रहा है कि उनका टिकट फाइनल है। मझवा विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मण समुदाय की संख्या काफी महत्वपूर्ण है और कई बार चुनावों में यह निर्णायक भूमिका निभा चुका है। इसी समीकरण को देखते हुए बसपा ने दांव चला है। दलित-ब्राह्मण समीकरण के सहारे मझवा सीट फिर से जीतने की तैयारी है। दीपू तिवारी सपा छोड़कर बसपा में आए हैं और छात्र संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं। इस तरह उनकी पकड़ मजबूत मानी जाती है।
सीसामऊ सीट पर भी चला दलित दांव
कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट पर बसपा ने बीआर अहिवार को प्रत्याशी बनाया गया है। सीसामऊ विधानसभा सामान्य सीट है। मायावती ने अनरिजर्व सीट पर दलित प्रत्याशी उतारकर बड़ा सियासी दांव चला है। बीआर अहिरवार बसपा के पुराने नेता हैं और मिश्रिख लोकसभा सीट से 2024 में चुनाव लड़ चुके हैं। अब मायावती ने उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया है। इस तरह से मायावती ने अपने कोर वोटबैंक के साथ-साथ पार्टी के नेताओं को भी सियासी संदेश दिया है।
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