बिहार के अनुसंधान ने किसानों को भेज दिया घटिया पपीते का बीज
किसानों ने अनुसंधान पर घटिया बीज देने का आरोप
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पर आरोप
मेरठ । जो किसान साल भर अपनी फसल का इंतजार करता है और जब अंत में फसल के नाम पर उसे सिफर (शून्य) मिले तब उक्त किसान की हालत क्या होती होगी, यह सिर्फ महसूस किया जा सकता है। दरअसल मेरठ के कुछ किसानों के साथ भी ऐसा ही हुआ। इन किसानों का कहना है कि उन्होंने पपीते की फसल उगाने के लिए बिहार के समस्तीपुर से पपीते के बीज मंगवाए थे। यह बीच भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) से मंगवाए गए थे।
आरोप है कि संस्थान ने मेरठ के इन किसानों को बेहद घटिया किस्म के बीज भेज दिए। किसानों का आरोप है कि इनमें से एक भी बीज नहीं फूटा और पूरी फसल चौपट हो गई। बीज में अंकुरण न होने के कारण इन किसानों को लगभग 30 लाख रुपए का नुकसान उठाना पड़ा। जब इन किसानों ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से शिकायत की तो उल्टा संस्थान ने किसानों के खेती करने की पद्धति पर ही सवाल खड़े कर दिए। हालांकि अब किसानों ने संस्थान के निदेशक से इस मामले की शिकायत की है और अपने नुकसान की भरपाई की मांग की है। उधर भारतीय जैविक किसान संघ के अध्यक्ष आकाश राठी का आरोप है कि किसानों के साथ ठगी की जा रही है। भारतीय किसान संघ मेरठ (प्रांत जैविक प्रमुख) जुगनेश पाल सिंह के अनुसार वह पिछले 13 सालों से पपीते की खेती कर रहे। उन्होंने बताया कि बिहार (समस्तीपुर) स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की बेहतर गुणवत्ता के चलते उन्होंने वहां से पपीते का बीज मंगवाया लेकिन उन्हें बेहद घटिया किस्म का बीज उपलब्ध कराया गया। किसानों का आरोप है कि जो बीच उन्होंने अपने खेतों में डाला तो 15 दिन बाद भी बीज अंकुरित नहीं हुआ। इसकी शिकायत उन्होंने समस्तीपुर शाखा के मुखिया कृष्ण कांत सिंह से की। किसानों के अनुसार हालांकि उक्त शाखा ने मेरठ के किसानों को पुराना बीज देने की बात स्वीकार की है। शिकायत के बाद संस्थान ने दोबारा मेरठ के किसानों को बीच भेजा लेकिन इस बार भी किसानों को वही पुराना बीच भेज दिया गया। अब इस पूरे मामले की शिकायत इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टिट्यूट नई दिल्ली के जॉइंट डायरेक्टर (रिसर्च) डॉ. विश्वनाथन से की गई है। उन्होंने किसानों को आश्वासन दिया है कि उनकी समस्या का जांच के बाद शीघ्र समाधान किया जाएगा।
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