यूएलआई की चुनौतियां
इलमा अजीम
भारतीय रिजर्व बैंक की यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस (यूएलआइ) डिजिटल प्लेटफॉर्म की सुविधा किसानों और छोटे व्यापारियों को वित्तीय सहायता प्रदान कर आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभा सकती है। इसके उपयोगकर्ताओं के लिए ऑनलाइन कर्ज लेना आसान हो जाएगा। यह यूपीआइ जैसा एक नया सिस्टम होगा। यह आधार कार्ड, केवाइसी, भूमि के सरकारी रिकॉर्ड, पैन नम्बर जैसे विभिन्न स्रोतों से आंकड़े जुटाएगा। इससे आवेदक के लोन लेने की क्षमता का आकलन हो सकेगा। कर्ज देने वाले दूसरे निजी ऐप और यूएलआइ में अंतर इतना होगा कि इस ऐप पर आरबीआइ का पूरी तरह से नियंत्रण होगा। माना जा रहा है कि यूएलआइ से छोटे व्यापारियों और किसानों को बैंकों व निजी वित्तीय संस्थाओं की परंपरागत रूप से जटिल और समय लेने वाली ऋण प्रक्रिया से मुक्ति मिल सकेगी। पर किसानों और छोटे व्यापारियों में डिजिटल साक्षरता की कमी होने पर उन्हें इस प्लेटफॉर्म का उपयोग करने में कठिनाई हो सकती है।
विशेष रूप से सीमित कनेक्टिविटी वाले ग्रामीण क्षेत्रों में इस सुविधा का पूरा उपयोग नहीं हो पाने की चुनौती आ सकती है। डिजिटल साक्षरता की कमी के चलते कर्ज की शर्तों को समझने में छोटी-सी चूक छोटे किसानों और व्यापारियों को बड़े कर्ज तले दबा सकती है। इस सुविधा के जरिए आरबीआइ कर्ज लेना आसान कर रही है तो कर्ज चुकाना आसान कैसे हो, इस पर भी मंथन किया जाना चाहिए। आरबीआइ को ऋण पर ब्याज दरें निर्धारित करते समय विशेष ध्यान रखना होगा ताकि ऋण आसानी से चुकाया जा सके। बड़े व्यापारी तो योजनाबद्ध तरीके से बड़े कर्ज लेते रहते हैं। थोड़ा भुगतान करके फिर लोन ले लेते हैं। ब्याज का पैसा कम चुकाने, बार-बार कर्ज लेने और साख बनाए रखने के लिए वे ऐसा क्रमबद्ध रूप से करते रहते हैं।
कई बार तो वे सरकार से कर्ज माफ भी करवा लेते हैं। छोटे किसानों और व्यापारियों की ऐसी पहुंच नहीं होने से उनको नुकसान उठाना पड़ता है। आरबीआइ के इस कदम का स्वागत करना चाहिए कि उसने कर्ज लेना आसान बना दिया है। लेकिन छोटे व्यापारियों को इस इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि वे वास्तविक जरूरतों के अनुसार ही ऋण लें। ऋण चुकाने में असमर्थ होने की स्थिति से बचना होगा।
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