आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति असाध्य रोगों का निवारण करने में सक्षम : डा. चित्रांशु 

मेरठ। पाश्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर दुर्गाबाड़ी सदर बाजार मेंआयुशास्त्र वेलनेस सेंटर के तत्वाधान में आयोजित शिविर में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति द्वारा मरीजों का उपचार किया गया। साथ ही रोगियों को रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए उचित खानपान जीवनशैली अपनाने के टिप्स भी दिये गये। आयुर्वेदाचार्य वैद्य चित्रांशु सक्सेना ने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति असाध्य रोगों का निवारण करने में सक्षम है।

शिविर मे गठिया वात, उदर विकार, रक्तचाप, साइटिका, डिबिटिस जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज करने के साथ ही खानपान व जीवनशैली के बारे मे परामर्श दिया गया। डा. चित्रांशु सक्सेना ने कहा कि आयुर्वेद के अनुसार अग्निकर्म बेहतरीन पैरा सर्जिकल प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य 'दहनोपकरण' के रूप में ऊतक के विभिन्न कष्टों का उपचार करना है। अग्निकर्म पद्धति से हड्डियों और जोड़ों में अकड़न, मांसपेशियों में ऐंठन, टेनिस एल्बो, कैल्केनियल स्पर, प्लांटर फेशिआइटिस, ऑस्टियोआर्थराइटिस, साइटिका, पीठ के निचले हिस्से में दर्द, ट्रिगर अंगूठा, का बेहतर उपचार संभव है। अग्निकर्म त्वचा में स्थानांतरित होने वाली ऊष्मा, स्त्रोत में अवरोध को हटाकर प्रभावित स्थान पर रक्त संचार को बढ़ाती है। तापमान में वृद्धि से किसी भी चयापचय गतिविधि की दर बढ़ जाती है। चिकित्सीय दृष्टिकोण से तापमान में उचित वृद्धि के साथ, सभी कोशिका गतिविधि बढ़ जाती है, जिसमें वाहिकाओं का फैलाव, कोशिका गतिशीलता, रासायनिक मध्यस्थों का संश्लेषण और उत्सर्जन शामिल है। अधिक रक्त संचार, सूजन को दूर करता है और रोगी को लक्षणों से राहत मिलती है। उन्होने कहा कि कई रोगियों में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी देखने को मिल रही है इसके लिए आमला अश्वगंधा, तुलसी, गिलोय, एलोवेरा चवनपरास आदि का सेवन करना चाहिए। दैनिक जीवन शैली में बदलाव लाकर, घरेलू नुक्से अपनाकर रोग से बचाव किया जा सकता है। शिविर में डा. रूचि त्यागी, कवि सौरभ जैन सुमन, मृदुल जैन, अक्षत जैन, सुनील कुमार जैन, योगेंद्र प्रकाश जैन, सचिन जैन, विनोद कुमार जैन, निकुंज जैन, अनिल जैन बंटी, नवीन जैन भी मौजूद रहे।

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