विश्व शांति को खतरा
मध्य-पूर्व में एक बड़े युद्ध की आहट सुनाई दे रही है। इज़रायल के खिलाफ ईरान ने हमले की न केवल चेतावनी दे दी है बल्कि खुद इज़रायल भी इससे बचाव की तैयारियां कर रहा है। इस लड़ाई के लिये दोनों पक्षों की होती लामबन्दी से भी इसकी कल्पना की जा सकती है। अगर इसे समय रहते न रोका गया तो बड़ी तबाही की सम्भावना से इंकार नहीं किया सकता। हमास के राजनैतिक प्रमुख इस्माईल हानिया और हिजबुल्लाह के टॉप कमांडर फाउद शुकर की हत्या से इज़रायल के विरूद्ध और ईरान का साथ देने के लिये लेबनान, यमन, सीरिया और जॉर्डन आ गये हैं। ईरान ने सीरिया से इज़रायल पर ड्रोन हमले की तैयारी की है। जॉर्डन तथा लेबनान के कई आतंकी संगठन भी इस लड़ाई में ईरान का साथ देने के लिये मोर्चाबन्दी कर रहे हैं। फिलीस्तीन समर्थक इस्लामिक देशों की एकजुटता को देखकर इज़रायल ने भी अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं। उसने अपने नागरिकों को बचाव सम्बन्धी सभी उपाय करने हेतु आगाह किया है।
नागरिकों से कहा गया है कि वे अपने बम शेल्टरों को साफ़ रखें ताकि हमला होने की स्थिति में डेढ़ मिनटों में वे उनमें पहुंचकर खुद को सुरक्षित कर लें। ईरान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अली बाघेरी ने कहा है कि पिछले 10 महीनों से इज़रायल द्वारा गज़ा पट्टी में जो नरसंहार किया गया है और विनाश फैलाया है उसके मद्देनज़र उसे रोकना अब नितांत आवश्यक हो गया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर ऐसा न हुआ तो न सिर्फ पश्चिम एशिया बल्कि विश्व की शांति खतरे में पड़ जायेगी। ईरान एवं समर्थक देशों में इज़रायल के खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है जिसे नज़रंदाज़ नहीं किया जाना चाहिये। इस नाराज़गी, लड़ाई की तैयारियों एवं दोनों पक्षों की लामबन्दी को देखते हुए शांति के अंतरराष्ट्रीय प्रयास किये जाने अब बेहद ज़रूरी हो गये हैं। समय रहते ऐसा न किया गया तो लड़ाई छिड़ जाने पर उसे बड़े विनाश एवं नरसंहार के पहले रोकना कठिन हो जायेगा। विश्व शांति के लिये इस लड़ाई को टाला जाना चाहिये।
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