मैन्युफैक्चरिंग हब बनने का परिदृश्य
- डा. जयंतीलाल भंडारी

हाल ही में 30 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय उद्योग परिसंघ के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को जिस तरह सुविधाओं के साथ तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है, उससे दुनिया भर के निवेशक भारत आने के लिए उत्सुक हैं। ऐसे में देश के उद्योगों को भी इस सुनहरे अवसर का लाभ उठाने में पीछे नहीं रहना चाहिए। उल्लेखनीय है कि इन दिनों प्रकाशित हो रही वैश्विक आर्थिक एवं वित्तीय संगठनों की रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि 23 जुलाई को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा पेश किया गया वर्ष 2024-25 का बजट उद्योगों को समृद्ध करने का बजट है। इस बजट के माध्यम से जिस तरह मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूत करते हुए आयात घटाने व निर्यात बढ़ाने के अभूतपूर्व प्रावधान किए गए हैं, उनसे भारत के नए मैन्युफैक्चरिंग हब बनने का परिदृश्य उभरकर दिखाई दे रहा है।
गौरतलब है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर देश से निर्यात और रोजगार सृजन दोनों में अहम योगदान देता है और इसके प्रोत्साहन के लिए इस बजट में खास ख्याल रखा गया है। इस बजट के माध्यम से औद्योगिक क्लस्टर पर फोकस किया गया है। औद्योगिक क्लस्टर उन्हें कहा जाता है, जहां पर एक ही जगह किसी आइटम के निर्माण से जुड़ी तमाम सुविधा उपलब्ध होती है, मैन्युफैक्चरिंग आसान हो जाती है और उसकी लागत भी कम हो जाती है। वित्तमंत्री ने बजट में देश के 100 शहरों में प्लग एंड प्ले वाले औद्योगिक पार्क बनाने की घोषणा की है। केंद्र, राज्य और निजी सेक्टर की आपसी सहभागिता से प्लग एंड प्ले सुविधा वाले औद्योगिक पार्क विकसित किए जाएंगे।



खास बात बात यह है कि उद्यमी को ऐसे औद्योगिक पार्क में जाकर सिर्फ उत्पादन शुरू करना होता है। मुख्य रूप से नए निर्यातकों तथा उद्यमियों को मैन्युफैक्चरिंग के प्रति आकर्षित करने के लिए प्लग एंड प्ले मॉडल लाया जाता है। उल्लेखनीय है कि निर्यात बढ़ाने के मद्देनजर चीन व अन्य देशों में वर्षों से प्लग एंड प्ले मॉडल पर मैन्युफैक्चरिंग हो रहा है और वहां कई जगहों पर उद्यमी को मशीन तक लगाने की जरूरत नहीं होती है। नए बजट के प्रावधानों के तहत 100 शहरों में प्लग एंड प्ले वाले सुविधा वाले औद्योगिक क्लस्टर या पार्क के विकसित होने से कम से कम 100 प्रकार के आइटम का बड़े पैमाने पर उत्पादन हो सकता है। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि एक औद्योगिक पार्क में एक आइटम से जुड़े उत्पादन की तमाम सुविधाएं दी जा सकती हैं।
गौरतलब है कि वर्ष 2024-25 के बजट में वित्तमंत्री ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को निर्यात बढ़ाने के मद्देनजर सशक्त बनाया है। ज्ञातव्य है कि देश के जीडीपी और निर्यात दोनों में ही 40 प्रतिशत से अधिक का योगदान देने वाले एमएसएमई को सबसे अधिक कठिनाई कर्ज लेने में ही आती है। नए बजट में सरकार ने इस समस्या को दूर करने की कोशिश की है। नए बजट में मशीनरी की खरीददारी के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम लांच की गई है। इस स्कीम के तहत सेल्फ फाइनेंसिंग गारंटी फंड बनाया जाएगा जिसके तहत 100 करोड़ तक के लोन की गारंटी होगी। नए बजट के प्रावधानों के तहत कर्ज लेने वाले एमएसएमई को सिर्फ अपफ्रंट गारंटी फीस देनी होगी। खास बात यह भी है कि डिजिटल ट्रांजेक्शन के आधार पर भी एमएसएमई को लोन दिए जाएंगे।
बजट की घोषणा के मुताबिक बैंक एमएसएमई को डिजिटल लेन-देन के मूल्यांकन के आधार पर लोन देगा। इस व्यवस्था से उद्यमियों को कारोबार बढ़ाने के लिए आसानी से लोन मिल सकेगा। यह पाया गया है कि कारोबारी परेशानी की वजह से एमएसएमई का कारोबार कई बार दिक्कत में आ जाता है और वे बैंक के कर्ज को नहीं चुका पाते हैं। एक से अधिक किस्त नहीं चुका पाने पर धीरे-धीरे वे एनपीए घोषित होने के कगार पर आ जाते हैं। एमएसएमई को इस परेशानी से बचाने के लिए अलग से फंड बनाने की घोषणा की गई है। निश्चित रूप से नए बजट के प्रावधानों के तहत एमएसएमई के उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ जाने पर उन्हें काफी फायदा हो सकता है।

इसे ध्यान में रखते हुए खाद्य आइटम से जुड़े एमएसएमई सेक्टर में उनकी गुणवत्ता जांच को लेकर 50 यूनिट खोलने के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि नए बजट के तहत इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को विनिर्माण बेहतर करने और मेक इन इंडिया पहलों के तहत दो महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए पिछले वर्ष के 9509 करोड़ रुपए से बढ़ाकर कुल आवंटन 21085 करोड़ रुपए किया गया है। बहुप्रचारित उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं के अभूतपूर्व बजट प्रावधान हंै। खिलौना, जूते, चमड़े, उद्योगों के विकास के साथ सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले के विकास का संशोधित कार्यक्रम भी प्रोत्साहित किया गया है। इसके तहत कंपनियों को देश में सिलिकॉन और कंपाउंड फैबरिकेशन (फैब), डिस्प्ले फैब, असेम्बली, टेस्टिंग, मार्किंग व पैकेजिंग (एटीएमपी), आउटसोस्र्ड सेमीकंडक्टर असेम्बली और टेस्ट व डिजाइन करने के लिए विशेष प्रोत्साहन दिए गए हैं। गौरतलब है कि वर्ष 2024-25 के बजट से भारत से निर्यात बढ़ाने की संभावनाएं बढ़ गई हंै। पिछले वर्ष 2023 में जी-20 के सफल आयोजन के साथ दुनिया में यह बात उभरकर सामने आई है कि ‘चीन प्लस वन’ रणनीति के तहत भारत दुनिया के सक्षम व भरोसेमंद देश के रूप में वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला वाले देश के रूप में नई भूमिका निभा सकता है। दुनिया का कोई दूसरा देश इस तरह के परिचालन के पैमाने और आकार की पेशकश नहीं कर सकता, जैसा भारत में उपलब्ध है।
इसके अलावा जी-20 में घोषित हुए भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक कारिडोर (आईएमईसी) के माध्यम से रेल एवं जल मार्ग से भारतीय कंपनियों के लिए नए अवसरों का ऐसा ढेर लगाया जा सकेगा, जिससे चीन की तुलना में भारत की प्रतिस्पर्धी क्षमता भी बढ़ जाएगी। नए बजट के प्रावधानों से ऐसे में जहां भारत एक ओर अधिक रणनीतिक प्रयासों से भारतीय बाजार में चीन के प्रभुत्व को कम कर सकता है, वहीं दूसरी ओर दुनिया के बाजार में उद्योग-कारोबार, निर्यात और निवेश के अधिक मौकों को मुठ्ठियों में ले सकता है। 



हम उम्मीद करें कि वर्ष 2024-25 के नए बजट के तहत वित्तमंत्री सीतारमण ने मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात बढ़ाने के लिए 100 शहरों में प्लग एंड प्ले सुविधा वाले औद्योगिक पार्क और एमएसएमई को आयात घटाने व निर्यात बढ़ाने और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को नई ऊंचाई देने के लिए मजबूती के जो विकास कवच दिए हैं, उनसे भारत लक्ष्य के अनुरूप निर्यात बढ़ाने में सफल होगा और नए मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में दिखाई दे सकेगा। ऐसे में यदि हम नए बजट में उद्योग-कारोबार को सौंपी गई नई निर्यात रणनीतियों के साथ लगातार आगे बढ़ेंगे, तो भारत 2030 तक दो लाख करोड़ डॉलर के निर्यात लक्ष्य को पाने में सफल होगा तथा निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था से 2047 में दुनिया के विकसित देश के रूप में भी चमकते हुए दिखाई देगा।

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